नई दिल्ली| भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के रोहित शर्मा और विराट कोहली के बीच कथित अनबन के दावे ने दक्षिण अफ्रीका के दौरे से पहले क्रिकेट जगत में हंगामा मचा दिया है। साथ ही उन्होंने कोहली और रोहित के ब्रेक की टाइमिंग पर सवाल भी उठाए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, दो वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। यह उस दिन से हुआ है जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने सफेद गेंद और लाल गेंद वाले क्रिकेट में अलग-अलग कप्तान नियुक्त कर दिया था।
रोहित चोट के कारण दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैचों से बाहर हो गए हैं तो वहीं, व्यक्तिगत कारणों से कोहली ने तीन वनडे मैचों की सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया है।
अजहरुद्दीन ने ट्वीट किया, “विराट कोहली ने सूचित किया है कि वह वनडे सीरीज के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे और रोहित शर्मा आगामी टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन सही समय पर छुट्टी लेनी चाहिए थी। इससे भारतीय टीम में दरार की अटकलें तेज हो जाएंगी।”
देश में खेल के दो दिग्गजों कोहली और शर्मा के बीच अनबन की खबरें नई नहीं हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर इस तरह से कभी हंगामा नहीं हुआ।
बीसीसीआई द्वारा व्हाइट बॉल और रेड बॉल क्रिकेट में अलग-अलग कप्तान बनाने के बाद सोशल मीडिया पर दो स्टार क्रिकेटरों के प्रशंसकों के बीच हंगामा मच गया है।
कोहली के टी20 कप्तानी छोड़ने के बाद बोर्ड सीमित ओवरों के प्रारूप में दो अलग-अलग कप्तानों को रखने के लिए तैयार नहीं था और जब बीसीसीआई ने ट्वीट कर कहा कि रोहित शर्मा को आगे चलकर भारतीय टीम का वनडे और टी20 का कप्तान बनाया गया है, तो यह कोहली के प्रशंसकों के लिए एक बड़ा झटका था।
विशेष रूप से तब जब कोहली ने वनडे टीम में कप्तान के रूप में बने रहने की इच्छा जताई थी।
इसके बाद, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि बोर्ड ने कोहली से टी20 कप्तान के रूप में बने रहने का अनुरोध किया था और चयनकर्ता भी उनके कप्तानी पद छोड़ने के पक्ष में नहीं थे। इसके बाद यह समझा गया कि कोहली को वनडे की कप्तानी से जबरदस्ती हटाया गया।
इस बीच, भारत के पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को लगता है कि एक क्रिकेट संघ के जिम्मेदार प्रशासक के रूप में अजहर को सार्वजनिक रूप से इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।
कीर्ति आजाद ने आईएएनएस से कहा, “राज्य क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष होने के नाते उन्हें इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए थी। अगर उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है, तो वह इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं।