दुनिया को महात्मा बुद्ध, गांधी और लोहिया का रास्ता अपनाने की जरूरत

चरण सिंह
महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी ऐसे ही अहिंसा और शांति की बात नहीं करते थे। ऐसे ही समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने हथियारों की होड़ पर अंकुश लगाने की बात नहीं की थी। ऐसे ही नहीं महात्मा बुद्ध और गांधी के अनुयायी देश और दुनिया में हुए हैं। ऐसे ही सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध के संदेश को दुनिया में नहीं भिजवाया था। दरअसल ये महापुरुष जानते थे कि हिंसा और हथियारों की होड़ दुनिया को बहुत खतरनाक रास्ते पर ले जाएगी। आज की तारीख में वह स्थिति है।

विकास की आड़ में दुनिया विनाश के रास्ते पर चल पड़ी है। जिस तरह से रूस-यूक्रेन, फिलीस्तीन-इजरायल का युद्ध चल रहा है, जिस तरह से चीन और अमेरिका में तनाव है, जिस तरह से भारत पाकिस्तान में तनाव है। जिस तरह से बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिस तरह से श्रीलंका का बट्टा बैठा, जिस तरह से अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ। यह सब विकास नहीं बल्कि विनाश है। इन सबसे आगे निकल गया इजरायल का पेजर अटैक। इजरायल ने यह अटैक तो हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को मारने के लिए किया था। समझने की जरूरत यह है कि इजराइल-मोसाद के पेजर और वॉकी-टॉकी धमाके में हिज्बुल्लाह के लड़ाके कम और आम लोग ज्यादा मरे हैं। बाकायदा यह खुलासा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने किया है। इस खुलासे के अनुसार हमले में 3500 लोग घायल हुए और 42 लोग मारे गये। देखने की बात यह है कि इस हमले में महिलाएं बच्चे भी घायल हुए हैं। किसी की आंख गई तो किसी के हाथ पैर ही उड़ गये।

देखने की बात यह है कि पेजर और वॉकी टॉकी से जब इतना बड़ा विस्फोट हो सकता है तो फिर मोबाइल तो हर आदमी रखता है। कल्पना कीजिये यदि किसी आतंकी संगठन मोबाइल विस्फोट की तकनीक जान ली तो दुनिया पर कितना बड़ा खतरा मंडराने लगेगा। चिंतनीय बात यह है कि दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए तमाम संगठन हैं। यूएन क्या कर रहा है ? दुनिया के शासक क्या कर रहे हैं ? क्या हथियारों की यह होड़ दुनिया के लिए खतरा नहीं पैदा कर हंी है ? क्या मानव जाति पर ही खतरा नहीं मंडरा रहा है ? निर्दोष लोगों के मारे जाने के प्रति किसकी जवाबदेही है ? दुनिया में खराब हो रहे माहौल को देखते हुए हिरोशिमा और नागासाकी शहरों की स्थिति देख ली जाए। जहां आज भी अपंग बच्चे पैदा होते हैं। यदि दुनिया में इसी तरह से लड़ाई झगड़े चलते रहे तो मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।
दुनिया में भारत, रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इंग्लैंड जैसे देशों को आगे बढ़कर अहिंसा और शांति के लिए बड़े प्रयास करने चाहिए। जाति और धर्म, नस्ल भेद को लेकर रोज-रोज लड़ने वाले लोगों को मानव जाति के बचाव पर सड़कों पर उतरना चाहिए। दुनिया के शासकों का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। बिगड़ेगा आम लोगों का शासक को संकट में दूसरे देश में जाकर रहने लगेंगे। अधिकतर नेता दूसरे देशों की नागरिकता लिये होते हैं।

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