रामनवमी के पावन पर्व और मर्यादा पुरुषोत्तम राम 

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बीएस राजपूत 

 

बचपन से ही कई विद्वान कवियों द्वारा लिखी रामायण पढ़ने का सुअवसर मिला और मेरे मन, मस्तिष्क, बुद्धि, विवेक, चित और ह्रदय पर श्री राम की जो छवि अंकित हुई वो है एक आदर्श आज्ञाकारी पुत्र की, बहुत स्नेही भाई की, बहुत समर्पित पति की, एक आदर्श नरेश की, विश्वविख्यात सम्राट की, एक अति वीर महान योद्धा की, उत्कृष्ट आत्मविश्वासी की, समर्पित आदर्श मित्र की, तथा अपूर्व आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम की। उनके व्यक्तित्व के इन सभी अति दुर्लभ गुणों के साथ उनके जीवन की तीन महान घटनाएं मेरे जीवन की आदर्श बनी।
1. अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट के राज सिंहासन सहित सभी सांसारिक वस्तुओं से पूर्ण अनासक्ति और लंका विजय के उपरांत अति समृद्ध स्वर्णिम लंका के साम्राज्य को पूर्ण निर्लिप्त भाव से मित्र विभीषण को अर्पित कर देना।
2. असीम आत्मविश्वास जो महाबली बाली की मृत्यु से पूर्व ही सुग्रीव का राजतिलक किष्किंधा के नरेश के रूप में और  अति दुर्दांत योद्धा रावण का वध करने से पूर्व ही विभीषण का राजतिलक लंका नरेश के रूप में कर देने में प्रकट होता है।
3 .  उनकी अपूर्व संगठन क्षमता, अद्भुत सैन्य संचालन, तथा अति दुर्लभ व्यूह रचने की सामर्थ्य जो अकेले ही खर दूषण एवम उनकी चौदह सहस्त्र राक्षसों की विशाल सेना को नष्ट करने  और रावण और उसकी सेना के अति भयंकर योद्धाओं को  जनस्थान और किष्किंधा के उन आदिवासी वनवासियों के द्वारा समूल नष्ट करवा देने में प्रकट होती है जिनका सदा ही  रावण के राक्षसों द्वारा उत्पीड़न होता रहता था। श्री राम अत्यंत उज्जवल एवम शक्तिशाली सूर्यवंशी साम्राज्य के ज्येष्ठ राजकुमार थे पर उन्होंने  सीता के अपहरण के बाद रावण के साम्राज्य के विनाश के लिए अयोध्या की विश्वविजयी सेना का आवाहन ना करके रावण के अत्याचारों से त्रस्त जनजातियों और वनवासियों,  वानरो और आदिवासियों को संगठित करके विशाल सेना का निर्माण किया और दुर्दांत  रावण के आतंक को सदा के लिए समाप्त कर दिया था।
अति उज्जवल प्रतापी राजवंश के राजकुमार होते हुए भी निषाद गुह और आदिवासी वानरों से उनकी घनिष्ट मित्रता तथा दलित स्त्री शबरी पर उनकी निश्चल श्रद्धा ने भी मेरे बचपन में मेरे हृदय पर गहरा अमित प्रभाव डाला था। आज रामनवमी के पावन अवसर पर मैं सभी प्राणियों पर श्री राम की कृपा बनी रहने की शुभकामना करता हूं।

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