चरण सिंह
पीलीभीत में भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो रैली की उस रैली में पीलीभीत के बीजेपी सांसद नहीं पहुंचे। रैली में प्रधानमंत्री के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बरेली से सांसद संतोष गंगवार भी थे। यदि कोई नहीं था तो वह पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी थे।
वरुण गांधी के पीएम मोदी की रैली में न पहुंचने को उनकी नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। तो क्या वरुण गांधी बीजेपी से बगावत करने जा रहे हैं ? यह भी जमीनी हकीकत है कि यदि वह बगावत करते तो फिर पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ते। बाकायदा उन्होंने अपने निजी सचिव से नामांकन पत्र के चार सेट भी मंगवा लिये थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से दूरी बनाकर उन्होंने यह तो दर्शा दिया कि वह प्रधानमंत्री के आगे झुकने नहीं जा रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि तो फिर वह क्या करेंगे ? इन चुनाव में पीलीभीत का खेल तो उनका खत्म हो चुका है। हां अमेठी अभी भी उनका इंतजार कर रही है। दरअसल अमेठी उनके पिता संजय गांधी की कर्मस्थली रही है। यदि वरुण गांधी अपने पिता की सीट अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो उनको अमेठीवासियों की सहानुभूति मिलने के पूरे आसार हैं।
तो क्या कांग्रेस वरुण गांधी को अपने टिकट पर चुनाव लड़ाएगी ? वैसे प्रियंका गांधी के साथ थो वरुण गांधी के अच्छे खासे संबंध में बताये जाते हैं। पर राहुल गांधी के सामने वरुण गांधी का खतरा होने के अंदेशे के चलते कांग्रेस का वरुण गांधी को पार्टी में लेना मुश्किल ही लग रहा है। हां यदि वरुण गांधी यदि निर्दलीय चुनाव लड़े तो कांग्रेस उनको समर्थन दे सकती है। वैसे तो सपा ने भी वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट देने की बात कही थी। खुद सपा प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार ने कहा था कि यदि वरुण गांधी पीलीभीत से उनकी पार्टी से चुनाव लड़ना चाहें तो वह अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। इन सबके बावजूद वरुण गांधी चुप्पी साध ले गये। तो क्या वरुण गांधी घर बैठ जाएंगे ? या फिर बीजेपी से अलग होकर संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे। वरुण गांधी के सामने यह भी दिक्कत है कि कांग्रेस में न तो वह शामिल होंगे और न ही सोनिया गांधी उन्हें शामिल होने देंगी। दरअसल वरुण गांधी लिखने और बोलने के मामले में राहुल गांधी से आगे माने जाते हैं। ऐसे में सोनिया गांधी वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल कर राहुल गांधी के लिए कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती हैं।
पीएम मोदी की रैली में न जाकर वरुण गांधी ने अपनी नाराजगी तो दिखा दी है। अब देखना यह होगा कि वरुण गांधी इस नाराजगी को क्या रूप देते हैं। बताया जा रहा है कि वरुण गांधी फिलहाल अपनी मां मेनका गांधी की सुल्तानपुर सीट के लिए चुप हैं और मेनका गांधी को ही सुल्तानपुर से चुनाव लड़ाएंंगे। पर ऐसे में तो वरुण गांधी का राजनीतिक करियर तो चौपट ही हो जाएगा। इस चुनाव में शांत रहना मतलब राजनीति के दूर जाना है। तो क्या प्रधानमंत्री की रैली में वरुण गांधी के न पहुंचने को बीजेपी अनुशासनहीनता के रूप में लेगी ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि वरुण गांधी बीजेपी नेतृत्व को मजबूर कर रहे हों कि वह उन पर एक्शन ले और उनको बगावत करने का मौका मिले। उन पर एक्शन होता है वरुण गांधी को तर्क पर बोलने का मौका मिलेगा।