धार्मिक स्थलों और धर्म के नाम पर हो रहे अतिक्रमण मामलों में प्रशासनिक रवैया अत्यंत गैर जिम्मेदाराना : अजय खरे

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रीवा । समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अजय खरे ने कहा है कि धर्म की आड़ में जन भावनाओं को भुनाने का काम बहुत आपत्तिजनक शर्मनाक है। इधर देखने को मिल रहा है कि चुनावी वैतरणी पार करने धर्म का सहारा लिया जा रहा है। श्री खरे ने कहा कि धर्म नितांत निजी आस्था का विषय है। सहिष्णुता के बिना धर्म का स्वरूप विकृत हो जाता है । इधर सरकारी खर्च पर पूरे मंत्रिमंडल का हवाई जहाज से रामलला दर्शन के लिए भोपाल से अयोध्या के लिए रवाना होना जन-धन की बर्बादी और ग़लत परम्परा को बढ़ावा देना है। जन साधारण को रोजगार उपलब्ध कराने की जगह टुकड़खोर बनाया जा रहा है। देश की 140 करोड़ की आबादी में से 80 करोड़ गरीब लोगों को 5 किलो मुफ्त अनाज देकर उन्हें मरे ना मुटाय के हालात में पहुंचा दिया है। समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया राजनीति को अल्पकालिक धर्म और धर्म को दीर्घकालीक राजनीति कहा करते थे। श्री खरे ने कहा कि राजनीति बुराई के खिलाफ संघर्ष का नाम है , वहीं धर्म का काम अच्छाई को स्थापित करना है। धर्म और राजनीति के जरिए परोपकार होता है लेकिन वर्तमान दौर में चारों तरफ झूठ और पाखंड देखने को मिल रहा है। धार्मिक स्थलों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहे हैं। संपत्ति हड़पी और बेंची जा रही है। वहीं दूसरी तरफ धर्म का सहारा लेकर सार्वजनिक स्थानों पर वैधानिक अनुमति के बगैर ग़लत तरीके से अतिक्रमण किया जा रहा है। सड़क , शासकीय जमीन , कार्यालय,पार्क, स्कूल आदि की जमीनों पर मनमाना कब्जा हो रहा है। धार्मिक अतिक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने से उनके गलत हौसले बुलंद हैं। श्री खरे ने कहा कि धार्मिक स्थलों और धर्म के नाम पर हो रहे अतिक्रमण मामलों में प्रशासनिक रवैया अत्यंत गैर जिम्मेदाराना अराजक कृत्य है। इस संबंध में सर्वोच्च अदालत के दिशा-निर्देश को अनदेखा करके हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन की मौन स्वीकृति संवैधानिक व्यवस्था के साथ क्रूर खिलवाड़ है।

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