मजदूर आंदोलन में सोशलिस्ट तहरीक की भूमिका

प्रोफेसर राजकुमार जैन 

( भाग- 2)
विदेशी दासता से आजादी मिलने के बाद “कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी” का राष्ट्रीय सम्मेलन कानपुर में आयोजित हुआl जिसमें पार्टी के नाम से कांग्रेस शब्द हटा दिया गया और पार्टी का नया नाम ‘सोशलिस्ट पार्टी’ रखा गयाl सम्मेलन में पार्टी का पॉलिसी स्टेटमैंट प्रारूप प्रतिनिधियों के सामने रखा गया। पार्टी का मकसद लोकतंत्रात्मक समाजवादी ( Democratic Socialism ) समाज की स्थापना करना था, जिसमें हर व्यक्ति श्रमजीवी है, सभी व्यक्ति, स्त्रियों समेत समान है, जहां सभी के लिए समान अवसर है, जहां पारिश्रमिक में इतना अंतर नहीं है कि वर्ग भेद पैदा हो। जहां सारी संपत्ति समाज की है, जहां विकास योजनाबद्ध है। सोशलिस्ट पार्टी की श्रमिक संबंधी नीति, स्वतंत्र और समान जीवन के आधार पर नयी सामाजिक व्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, ट्रेड यूनियनो, सहकारिता, लेबर कॉलेजो और श्रमिकों के समितियां के माध्यम से उनका समर्थन प्राप्त करने की है।
मजदूरों से संबंधित प्रस्ताव में लिखा गया कि देश के बिखरे छोटे-छोटे मजदूर संगठनों के स्थान पर अखिल भारतीय स्तर पर मजदूर संगठन बनाने की आवश्यकता और महत्व समझकर राष्ट्रव्यापी ऐसे औद्योगिक मजदूर संघ के निर्माण पर बल दिया जो आंतरिक लोकतंत्र और संगठन स्वायत्तता के लिए प्रतिबद्ध हो। मेहनतकश लोगों को लोकतांत्रिक समाजवाद के सिद्धांतों से अवगत कराया जाये। जिससे उनमें ऐसी वर्गीय एकता और उसके प्रति आस्था विकसित हो जो पुराने संकुचित और धार्मिक आस्था से अलग हो, पार्टी के पालिसी स्टेटमेंट में यह भी स्पष्ट किया गया कि मजदूर संघ और सहकारिता देश की मेहनतकश जनता के लिए लोकतंत्र के प्रशिक्षण के माध्यम है। प्रशिक्षण द्वारा ही श्रमिक वर्गो में राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रो में उत्तरदायित्व उठाने की क्षमता आ सकती है। समाजवादी व्यवस्था की स्थापना में श्रमिक वर्ग की बढ़ती हुई भागीदारी और उत्तरदायित्व पूर्ण भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।, इसलिए पार्टी की श्रमिक नीति पार्टी के पालिसी स्टेटमेंट का सार भाग है,’कांग्रेस से हटने के बाद मुल्क में तीन प्रमुख मजदूर संगठन थे। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, इंडियन फेडरेशन ऑफ़ लेबर तथा ऑल इंडिया नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस।
सोशलिस्ट पहले ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस मे कार्यरत थे, जहां कम्युनिस्ट भी शामिल थे। परंतु सोशलिस्ट अब अपना ट्रेड यूनियन बनाना चाहते थे। इसके अतिरिक्त ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन भी अस्तित्व में था।
कांग्रेस से अलग होने से पहले ही सोशलिस्ट मजदूरों के बीच में कार्यरत थे। 29 दिसंबर 1947 को सोशलिस्टों की मुंबई शाखा ने मजदूरों की एक सांकेतिक हड़ताल कराई जो बहुत ही कामयाब रही। दिसंबर 1948 में कोलकाता में समान विचार वाले कार्यरत मजदूर संघो के कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक सम्मेल आयोजित हुआ। पंजाब में पहले से ही सोशलिस्टों के प्रभाव में हिंद मजदूर पंचायत के नाम से एक श्रमिक संगठन था। इंडियन लेबर फेडरेशन और हिंद मजदूर पंचायत को मिलाकर एक नया मजदूर संगठन बनाया गया और इसका नाम ‘हिंद मजदूर सभा’ रखा गया। इसी सम्मेलन में हिंद मजदूर सभा के संविधान का एक प्रारूप भी पास किया गया, जिसके अनुसार हिंद मजदूर सभा के निम्नलिखित उद्देश्य थे।
1 देश के श्रमिक वर्ग के आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक हितों को प्रोन्नत करना।
2 हिंद मजदूर सभा से ,सम्बद्ध संगठनों को दिशा निर्देश, संयोजन और सहायता देना।
3. श्रमिकों की सेवा से सम्बंधित उनके अधिकार, सहूलियतों और अन्य हितों को सुरक्षा देना। एक ही उद्योग और व्यवसाय के श्रमिक संगठनों का फेडरेशन निर्माण करना। एक ही उधोग और व्यवसाय में कार्यरत श्रमिकों द्वारा राष्ट्रीय श्रमिक संधो का गठन।
4. श्रमिकों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और उनका सम्प्रेषण ।
5. संगठन बनाने की स्वतंत्रता, सभा करने की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता, समाचार पत्रों की स्वतंत्रता, रोजगार या सम्प्रेषण का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, हड़ताल करने का अधिकार,
6 देश में लोकतांत्रिक समाजवादी समाज की स्थापना के लिए श्रमिको को संगठित करना।
7 श्रमिकों के लिए सहकारिता समितियों और शिक्षा को प्रोन्नत देना।
8 देश और विदेश के समान उद्देश्य वाले संगठनों के साथ सहयोग करना।
औपचारिक एवं वैधानिक नजरिए से हिन्द मजदूर सभा एक स्वतंत्र संगठन थी। परंतु इसको सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं द्वारा ही बनाया गया था। इसकी कमेटी में अधिकतर सोशलिस्ट ही थे।
मजदूरों के सम्बन्ध में लिखा गया कि देश के बिखरे छोटे-छोटे मजदूर संगठनों के स्थान पर अखिल भारतीय स्तर पर मजदूर संगठन बनाने की आवश्यकता और महत्व समझकर राष्ट्रव्यापी ऐसे औद्योगिक मजदूर संघ के निर्माण पर बल दिया जो आंतरिक लोकतंत्र और संगठन स्वायत्तता के लिए प्रतिबद्ध हो। मेहनतकश लोगों को लोकतांत्रिक समाजवाद के सिद्धांतों से अवगत कराया जाये। जिससे उनमें ऐसी वर्गीय एकता और उसके प्रति आस्था विकसित हो जो पुराने संकुचित और धार्मिक आस्था से अलग हो, पार्टी के पालिसी स्टेटमेंट में यह भी स्पष्ट किया गया कि मजदूर संघ और सहकारिता देश की मेहनतकश जनता के लिए लोकतंत्र के प्रशिक्षण के माध्यम है।
1952 के आम चुनाव से पहले सोशलिस्ट पार्टी ने अपना घोषणा पत्र ‘वि बिल्ड फॉर सोशलिज्म” अंग्रेजी में तथा” समाजवादी निर्माण की ओर” हिंदी’ शीर्षक से प्रकाशित किया। इसमें देश के उद्योगों को तीन वर्गों में विभाजित किया। राष्ट्रीयकृत सेक्टर, मध्य दर्जे के गैर सरकारी उद्योग के सेक्टर, सहकारी सेक्टर, घोषणा पत्र में यह मांग की गई थी की क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस और बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण होl वस्त्र उद्योग चीनी और सीमेंट उद्योग जिनकी आम आदमी को काफी मात्रा में आवश्यकता होती है उन्हें सार्वजनिक सेक्टर में रखा जाए। भारी उद्योग जैसे लोहा, इस्पात, बिजली, पावर, भारी रसायन, खान, जहाजरानी और रेलवे राष्ट्रीयकृत वर्ग में होना चाहिए। इन उद्योगों का प्रबंधन पूर्ण रूप से राज्य के हाथ में होना चाहिए। शेष उद्योगों को छोटे उद्यमियों में से ऐसे लोगों के हाथ में दिया जाना चाहिए जिनमे उद्योग के संगठन की क्षमता हो और जिन्होंने अनिश्चितता के समय में भी जोखिम उठाने की क्षमता दिखाई है।
सोशलिस्‍ट जहाँ कामगारों की जमीनी लड़ाई में आगे रहे है , वहीं आंदोलन के नये औजार और उसके वैचारिक पक्ष पर भी लीक से हटकर नये परिपेक्ष में मजदूरों के अधिकारों , चार्टर .मांगपत्र को भी गहन छान-बीन कर तथ्यों पर आधारित हकीकत से जोड़कर प्रस्‍तुत करते आये है। काग्रेसं सोशलिस्ट पार्टी के 84 वे स्‍थापना दिवस (17 मई) के अवसर पर समाजवादी समागम कि ओर से “समाजवादी घोषाण” पत्र प्रकाशित किया गया तथा इस दिशा में क्‍या होना चाहिए उसको भी रेखांकित किया गया। .
चार्टर में सरकार की मजदूर सम्बन्धित नीतियों का निचोड़ इन शब्दों में किया गया कि, सरकार एक तरफा तरीकों से श्रम सुधारों के नाम पर वर्तमान श्रम कानूनों में संशोधन कर अपने कार्यक्रमो को गतिशीलता के साथ लागू कर र‍ही है।. सरकार ने 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 कामगार एवं जन विरोधी, नियोजक समर्थक श्रम संहिताएँ औद्योगिक सम्बन्धो पर श्रम संहिता, वेतन पर श्रम संहिता, सामाजिक सुरक्षा पर श्रम संहिता तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर श्रम संहिता बनाने का निर्णय ले लिया है। कुछ राज्य सरकारों ने कुछ मूलभूत श्रम कानूनों जैसे कारखाना कानून, औद्योगिक विवाद. अधिनियम ठेका कामगार कानून आदि को संशोधित कर दिया है। जन विरोधी, श्रमिक विरोधी नियोजन समर्थक उक्त संसाधनों सॉरी का उद्देश्य वर्तमान श्रम कानून में लंबे संघर्ष से प्राप्त श्रमिक हित वर्धक प्रावधानों को शिथिल संशोधित और समाप्त करना है।
हमारे देश में कार्यरत लाखो खेतिहर मजदूर अत्यंत दयनीय स्थिति में कार्य कर रहे है , उन्हें असीमित घंटे कार्य करना पड़ता है , पारिश्रमिक के नाम पर बहुत कम धनराशि ( जो अक्सर न्यूनतम वेतन से कम होती है ) दी जाती है , कोई कार्य सुरक्षा नहीं। इन खेतीहर मजदूरों के वेतन कार्य दशाओ में सुधार किया जाये तथा चिकित्सा लाभ एवं बुढ़ापे का सहारा पेंशन कि व्यवस्था की जाये। .
सोशलिस्ट मैनिफेस्टो समाजवादी समागम ( दिल्ली) की और से हिन्द मजदूर सभा के महासचिव साथी हरभजन सिंह सिद्धू की और से प्रकाशित किया गया। . जिसको साथी सिद्दू ने मजदूर संघो की कोआर्डिनेशन समिति को भी अग्रसारित किया। जिसे समिति ने मंज़ूर कर कारवाई करने का इरादा जाहिर किया। .
हमें इस बात का फख्र हैं कि कामगारों द्वारा चुनी गई सबसे बड़ी यूनियन All Indian Railway Men’s Union द्वारा जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में करवाई गई रेलवे हड़ताल, मजदूर आंदोलनों के इतिहास में दर्ज हो गई है। इससे बड़ी हडताल अभी तक हिंदुस्तान में कामगारों द्वारा नहीं हो पायी है। उसी तरह हिन्‍द मजदूर सभा जिसके साथ अनेकों मजदूर संघ जिनकी संख्‍या लाखों में है वे इससे साथ सम्बद्ध है।. मजदूर आंदोलन की एक बड़ी त्रासदी यह भी रही है कि कम्‍यूनिट विचारधारा वाली यूनियनों ने प्रतिस्पर्धा में सोशलिस्ट यूनियनों का प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से विरोध किया।
खास तौर से पिछली काग्रेंसी सरकारों के शासन में क्‍योंकि कम्युनिस्ट पार्टी का तालमेल कभी खुला कभी छुपा हुआ कांग्रेस
पार्टी के साथ रहा जिसके कारण उनकी यूनियनों को बढावा तथा सोशलिस्ट यूनियनों को नजरअंदाज किया गया.
अन्‍त में कहूंगा कि महान सोशलिस्‍ट नेताओं द्वारा स्‍थापित मजदूर यूनियनों ने अनेकों प्रकार के कष्‍ट उठाने, विरोध सहने के बावजूद मजदूरों के बीच में हमेशा आदर / समर्थन बनाये रखा। नतीजन आज भी HMS , All India Railway men’s यूनियनों को हमारे जुझारू नेताओ हरभजन सिंह सिद्धू ( महामंत्री एचएमएस) तथा साथी शिवगोपाल मिश्रा अध्यक्ष( All India Raiway Men’s Union ) के कुशल नेत्तृव में दिन-प्रतिदिन बुलंदी पर हैं।

  • Related Posts

    Western Uttar Pradesh News : बड़े टकराव का रूप ले सकता है पूरन सिंह और हनुमान बेनीवाल विवाद!

    समाज को विषाक्त कर रही जातीय आधार पर…

    Continue reading
    आज़ादी वाले जज्बे से ही पैदा की जा सकती है देशभक्ति !

    चरण सिंह  जब देश के हालात की बात…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    प्रकृति है तो सब कुछ है…

    • By TN15
    • June 5, 2025
    प्रकृति है तो सब कुछ है…

    शैक्षिक अधिकारों का हनन, भेदभाव एवं मानसिक उत्पीड़न एवं फीस वृद्धि पर अभिभावकों ने नेता प्रतिपक्ष आतिशी से की मुलाकात

    • By TN15
    • June 5, 2025
    शैक्षिक अधिकारों का हनन, भेदभाव एवं मानसिक उत्पीड़न एवं फीस वृद्धि पर अभिभावकों ने नेता प्रतिपक्ष आतिशी से की मुलाकात

    गाँव की सूनी चौपाल और मेहमान बनते बेटे

    • By TN15
    • June 5, 2025
    गाँव की सूनी चौपाल और मेहमान बनते बेटे

    दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में भरभराकर गिरी दो मंजिला इमारत

    • By TN15
    • June 5, 2025
    दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में भरभराकर गिरी दो मंजिला इमारत

    अन्याय के खिलाफ मैसर्स- बीएचईएल कम्पनी पर सीटू बैनर तले कर्मचारियों का धरना 43 वें दिन भी जारी रहा

    • By TN15
    • June 4, 2025
    अन्याय के खिलाफ मैसर्स- बीएचईएल कम्पनी पर सीटू बैनर तले कर्मचारियों का धरना 43 वें दिन भी जारी रहा

    पाकिस्तान पर दुनिया मेहरबान, भारत का दोस्त भी दे रहा पाक का साथ!

    • By TN15
    • June 4, 2025
    पाकिस्तान पर दुनिया मेहरबान, भारत का दोस्त भी दे रहा पाक का साथ!