चेहरे है सब क्यों मुरझाए,
अब कौन बताए ।
क्यों फैले दहशतगर्दी के साये,
अब कौन बताए ।।
कभी होकर देश पे कुर्बान,
जो अमर हुए थे,
सपूत वही आज क्यों घबराये,
अब कौन बताए ।
कौन है कातिल भारत माँ के,
सब अरमानों का,
है हर चेहरा नकाब लगाए,
अब कौन बताए ।
लिखूं क्या कहानी मैं
वतन पे मिटने वालों की
वो तो मर के भी मुस्काए,
अब कौन बताए।
ये शब्दों की आजाद शमां,
यूं ही जलती जाएगी,
बुझे न दिल की आग बुझाए,
अब कौन बताए।
इस माटी में जन्मी, एक रोज,
इसी में मिल जाऊँगी,
है अरमां काम देश के आए,
अब कौन बताए ।
(प्रियंका सौरभ के काव्य संग्रह ‘दीमक लगे गुलाब’ से।