चाइल्ड पीजीआई में मनाया गया “विश्व शिशु-अस्थि एवं जोड़ दिवस”, बच्चों के अभिभावकों को बताये गये हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के नुस्खे, कार्यक्रम में बच्चों ने की जोकर के साथ जमकर मस्ती, सेल्फी भी ली
नोएडा। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई) के शिशु अस्थि रोग विभाग ने बुधवार को विश्व शिशु-अस्थि एवं जोड़ दिवस मनाया। इस वर्ष की थीम थी ‘हेल्थी बोन्स एंड जॉइंट्स’। संस्थान के मुख्य रिसेप्शन हॉल में सुबह 10 बजे से दो बजे जागरूकता अभियान चला। इसमें चिकित्सकों ने 100 से अधिक बच्चों व अभिभावकों को बच्चों की हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के नुस्खे बताए। साथ ही अभिभावकों की शंका और भ्रांति भी दूर की। बच्चों के लिए इस आयोजन का मुख्य आकर्षण यहां का जोकर रहा। जोकर ने बच्चों को खूब हंसाया। अभिभावकों ने बताया कि बच्चे यहां इतने खुश हुए कि भूल ही गए कि वह अपनी बीमारी से परेशान होकर अस्पताल में आएं हैं। बच्चों ने जोकर के साथ खूब मस्ती की और सेल्फी भी ली। टैटू आर्टिस्ट ने मुफ्त में बच्चों की फरमाइश पर उनके हाथों पर उनकी पसंद के टैटू बनाये।
संस्थान के निदेशक डॉ. (ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता ने भी अपने विचार और अनुभव साझा किए। प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता ने बताया कि बच्चे स्वस्थ रहते हैं, तो खुश रहते हैं और परिवार में भी खुशियां आती है। इसलिए बच्चों का स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है।
शिशु अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अंकुर अग्रवाल ने बताया – खानपान के साथ-साथ “धूप का सेवन” और खेल-कूद भी इस बढ़ती उम्र में हड्डी और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी होता है। उन्होंने कहा- जंक फ़ूड / फ़ास्ट फ़ूड (बिस्कुट, इंस्टेंट नूडल्स, चिप्स, कुरकुरे, चाऊमीन, मोमोस, बर्गर, पिज़्ज़ा, टॉफ़ी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, पैक्ड जूस इत्यादि) सिर्फ कभी-कभी ही खाना चाहिए। माँ के हाथ का बना घर का ताज़ा खाना (रोटी, सब्जी, दाल, चावल, दूध, दूध के उत्पाद, अंडे, हरी और पत्ते वाली भाजी-तरकारी, इत्यादि) ही स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है। इनसे उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेड, बसा, प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स (आयरन कैल्शियम), इत्यादि मिलता है। फलों के जूस से बेहतर है कि मौसम के ताजा फल खाये जाएँ । “धूप का सेवन” (सर्दी और बरसात में एक घंटा, और ग्रीष्म काल में आधा घंटा रोज) बहुत जरूरी है। धूप प्रातः 10 बजे से दोपहर तीन बजे के बीच की होनी चाहिए। धूप सनस्क्रीन, जाली या कांच से छनकर नहीं लेनी चाहिए। बाजू, गला और चेहरा कपड़ों से ढका हुआ नहीं होना चाहिए।