Lohia Jayanti : एक चिंतन है लोहिया जी का जीवन : देवेंद्र अवाना

समाजवाद के प्रणेता डॉ. लोहिया के बताये रास्ते पर चल रहा भारतीय सोशलिस्ट मंच : देवेंद्र गुर्जर 

भारतीय सोशलिस्ट मंच ने मनाई राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि  

भारतीय सोशलिस्ट मंच ने सेक्टर 11 स्थित प्रदेश कार्यालय पर समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि मनाई। इस अवसर पर उन चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र अवाना ने कहा कि लोहिया का जीवन ही एक चिंतन हैं | वह आधुनिक भारत के ऐसे प्रतिभाशाली राजनीति-विचारक थे, जिन्होंने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन और समाजवादी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई | उन्होंने गांधीवादी विचारों को अपनाते हुए, एशिया की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर, समाजवाद की एक नई व्याख्या और नया कार्यक्रम प्रस्तुत किया |देवेंद्र अवाना ने कहा कि लोहिया जी ने अपनी महत्वपूर्ण कृति ‘इतिहास-चक्र’ के अंतर्गत यह विचार प्रस्तुत किया कि इतिहास तो चक्र की गति से आगे बढ़ता है |

इस व्याख्या के अंतर्गत उन्होंने चेतना की भूमिका को मान्यता देते हुए द्वंद्वात्मक पद्धति को एक नई दिशा में विकशित किया जो हेगेल और मार्क्स दोनों के व्याख्याओं से भिन्न था |उन्होंने कहा कि लोहिया जी के अनुसार, जाति और वर्ग ऐतिहासिक गतिविज्ञान की दो मुख्य शक्तियां हैं | इन दोनों के बीच लगातार चलती रहती है, और इनके टकराव से इतिहास आगे बढ़ता है | जाति रुढ़िवादी शक्ति का प्रतीक है जो जड़ता को बढ़ावा दती है, और समाज को बंधी-बंधाई लीक पर चलने को विवश करती है |गौतमबुद्धनगर के जिला अध्यक्ष देवेंद्र गुर्जर ने कहा कि लोहिया जी के अनुसार, भारत के इतिहास में दासता का एक लंबा दौर जाति-प्रथा का परिणाम था, क्योंकि वह भारतीय जन-जीवन को सदियों तक भीतर से कमजोर करती रही | इस जाति-प्रथा के विरुद्ध अनथक संघर्ष करने वाले को ही सच्चा क्रांतिकारी मानना चाहिए | भारतीय सोशलिस्ट मंच लोहिया जी बताये रास्ते पर चल रहा है।
देवेंद्र गुर्जर ने कहा कि लोहिया जी ने अपनी चर्चित कृति ‘समाजवादी नीति के विविध पक्ष’ के अंतर्गत यह तर्क दिया कि समाज की संरचना में चार पर्ते पाई जाती हैं, गाँव, मंडल, प्रांत और राष्ट्र  | यदि राज्य का संगठन इन चारों पर्तों के अनुरूप किया जाए तो वह समुदाय का सच्चा प्रतिनिधि बन जाएगा | अतः राज्य में चार स्तंभों का निर्माण करना होगा | इस व्यवस्था को लोहिया ने ‘चौखम्बा राज्य’ की संज्ञा दी है | जैसे चार खम्बे अपना पृथक-पृथक अस्तित्व रखते हुए भी एक छत को संभालते हैं, वैसे ही यह व्यवस्था केंद्रीकरण और विकेंद्रीकरण की परस्पर-विरोधी अवधारणाओं में सामंजस्य स्थापित करेगी |कार्यक्रम में राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह राजपूत ने भी गरिमामय शिरकत रही। कार्यक्रम को राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र शर्मा ने भी संबोधित किया।

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