Doordarshan : याद कीजिए वो समय जब छत्त पर लोग इस तरह के एंटीना में तार जोड़कर टीवी पर चैनल सर्च कर लिया करते थे, एक दौर था जब टीवी पर एक ही चैनल आया करता था दुरदर्शन (Doordarshan), जी लंबे समय तक दुरदर्शन एक मात्र चैनल था जिसकी पहुंच भारत के घर घर तक थी।
जब दुरदर्शन (Doordarshan) पर देश ने पहली बार रामायण और महाभारत का प्रसारण देखा, तो लोग इस कदर दीवाने हुए कि कार्यक्रम आने से पहले घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने के बाद बकायदा प्रसाद बांटते थे।
तो आज बात करेंगे दुरदर्शन (Doordarshan) की जिसने भारत के आजादी के बाद उसके विकास में कई ऐतिहासिक योगदान दिए है साथ ही बात करेंगे क्यो लाकडाउन में दुरदर्शन की TRP एकाएक उठने के बाद वापस कम हो गई और दुरदर्शन मेंन स्ट्रीम मीडिया से कहीं दुर क्यो नजर आता है।
भारत सरकार ने आजादी के 12 साल बाद 1959 में Television India की शुरुआत की, शुरुआती दिनों में इसे हफ्ते में 3 दिन ही प्रसारित किया जाता था वो भी 30 मिनेट के लिए क्योंकि इस चैनल की शुरुआत भारत में शिक्षा को ध्यान में रख कर की गई, इसलिए यूनेस्को की ओर से भारत को लगभग 20 हजार डालर की आर्थिक मदद दी गई, और साथ में कुछ TV Set भी, जिनपे Television India दिखाया जा सके। उन दिनों TV भारत के बाजार में नही मिला करते थे।
शुरुआत के दिनों में Television India आकाशवाणी के भवन से काम करता था, इसका उदघाटन भी तत्कालीन और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने किया था, तब इसके 500 वाट के ट्रांसमीटर की क्षमता केवल 20 KM तक के दायरे में प्रसारित करने की थी, इसलिए कुछ ही चुनिंदा जगहों तक इसकी पहुंच थी, इसी के साथ उन दिनो न छोटे शहरों और गांवो में बिजली भी नही थी और टेलीविजन के दाम भी काफी ज्यादा थे इसीलिए ये आम नागरिक की पहुंच से दुर था।
ये सिलसिला 1959 से 1982 तक चला जब टेलीविज को केवल अमीर और राजनेता ही इसे Afford कर पाते थें, कुछ ही महानगरों तक सीमित रहने वाला Television आम लोगो के Interest से दुर था, इस बीच इसमें कुछ एक्सपेरिमेंट भी चलते रहे जैसे कि 1965 में इसमे 5 मिनेट के न्यूज बुलेटिन की शुरुआत हुई, और साल 1975 मे इसी Television India का नाम बदलकर दुरदर्शन कर दिया गया।
लेकिन सबसे बड़ा बदलाव साल 1982 में आया जब दुरदर्शन रंगीन हुआ और राष्ट्रीय स्तर पर भी लांच किया गया तब तक भारत ने अपने सेटेलाइट से इसे प्रसारण करना शुरु कर चुका था। और इसके ठीक 4 साल बाद 1986 में रामानंद सागर की ‘रामायण’ और BR Chopra की महाभारत की शुरुआत हुई।
इस धारावाहिक ने पहली बार देश को दिखाया कि मीडिया में कितना दम है, इन टीवी शो का प्रसारण हर रविवार की सुबह किया जाता था इस समय देश भर की सड़कों पर मानों कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता लोग कार्यक्रम के इतने दीवाने थे कि लोग सड़कों पर उस समय यात्रा नहीं करते थे।
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हम लोग, भारत एक खोज, अलिफ लैला, बुनियाद, नुक्कड़, फौजी, चन्द्रकांता, मालगुड़ी डेज, मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानिया, तरंग एक से बढ़कर एक टीवी शो पहली बार लोगों के सामने आए जिन्होने अपने कंटेंट के दम पर लोगो के दिल के बीच अपनी जगह बना ली।
दुरदर्शन के ही बदौलत भारत ने पहली बार Commercial Ad देखे जो कि दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय बने उदाहरण के लिए हमारा बजाज, पारलेजी, Washing powder निरमा, विकोटर्मरिक, बरनोल सभी ये वे सभी ब्रंड है जिनपे भारतीय भरोसा करते है, इन विज्ञापन का लोगों पर इतना प्रभाव पड़ा कि लोग डिटर्जेन्ट को डिटर्जेन्ट कहने की जगह उसे सर्फ के नाम से ही जानने लगे। इसी तरह लोग कोल्डिंग्स को भी पेप्सी कहने लगे। उनके लिए पेप्सी ही कोल्डिंग था।
वहीं कुछ विज्ञापन अपने messaging और टैग लाइन से भारत की विविधता और गौरव को दिखाते थे उदाहरण के लिए ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ या फिर ‘बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर’ हमारा बजाज जो कि आज तक लोगों की जबान पर है, इसके अलावा उपन्यास कार प्रेमचंन्द्र की कहानियां और आर. के. नारायणजी की “मालगुड़ी” डेज ने भारत के धनी साहित्य को पहली बार दुरदर्शन ने जगह दी।’
आपको लगता होगा कि केवल हॉलीवुड में सिक्वल लाने का चलन था लेकिन भारत के पहले डेटेक्टिव शो करमचंद दुरदर्शन पर इतना पापुलर हुआ कि उस समय इसका दुसरा सीजन लाया गया, इसके बाद ब्योंकेश बक्शी जैसे चर्चित शो भी दुरदर्शन पर आए। जिसे भारत का Sherlock Holmes भी माना जाता है।
इसके बाद उस दौर की भी बात कर लेते है जब दुरदर्शन हमारी मेन स्ट्रीम मीडिया से दूर चला गया, साल 1991 के बाद P.V. Narasimha Rao की सरकार में मनमोहन ने कर्ज में डुबे भारत के मार्केट को Private Companies के लिए खोल दिया, इसके बाद से ही भारत के टेलीविजन में जहां दुरदर्शन एक अकेला खिलाड़ी था। वहीं इसके Competition में Z जैसे प्राइवेट मीडिया हाउस आने लगे,
इसके बाद भी दुरदर्शन अपनी शाख शक्तिमान जैसे शो से बचा लेता है, इसके बाद देख भाई देख जैसे शो युवाओं में चर्चित बने लेकिन ठीक इसी समय प्राइवेट चैनल अपने कंटेट के Presentation पर ज्यादा काम कर रहे थे, नतीजन उनके प्रोगाम टेलीविजन स्क्रीन पर ज्यादा भव्य नजर आने लगे और लोग धीरे धीरे दुरदर्शन से दुसरी तरफ खिचने लगे। इसके बाद ब्रेकिंग और रियलटीज शो ने भी इसमे घी का काम किया,
वही दुरदर्शन ने अपने कंटेट कोई बड़े बदलाव नही कियें ज्यादातर नयें निर्माता अपने शो दुरदर्शन की बजाय प्राइवेट चैनल में लांच करने लगे। समय दर समय दुरदर्शन Private चैनलो से पीछे छुटता गया और अब मानो गायब ही हो गया, 2020 के समय की कोरोना महामारी के दौरान दुरदर्शन(Doordarshan) पर रामायण और महाभारत प्रसारित की गई जिससे एकाएक दुरदर्शन की TRP आसमान छुने लगी।
लेकिन इसे दुरदर्शन की बढ़ी TRP से कुछ बड़ा बदलने वाला नही था, आज के दौर में Netflix और YouTube से मुकाबले के लिए दुरदर्शन को अभी लंबी लड़ाई लड़ना बाकी है अगर सरकार उसे मदद दें तो,
लेकिन आजादी के 75वें साल में भारत की विकास की कहानी में दुरदर्शन ने अपना एक बड़ा योगदान दिया है।
आज दूरदर्शन पर 2 राष्ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं। इसके 14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 46 स्टूडियो के साथ यह देश का एक बड़ा प्रसारणकर्ता है।
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भारत की एक पीढ़ी को दुरदर्शन ने अपनी सरल और शांति पूर्ण तरीके से अपनी बात रखते हुए मनोरंजित और शिक्षित किया जो कि आज के शोरगुल और ब्रेकिंग वाले कल्चर से दुर था, दुरदर्शन (Doordarshan) ने हमें सिखाया कि कैसे आप Celebrity की पर्सनल लाइफ से दुर रह कर भी उन्हे पसंद कर सकते है उनसे जुड़े रह सकते है,
इस तरह के अंदाज वाला दुरदर्शन (Doordarshan) आज ठीक हालत में नही है उम्मीद है कि आने वाले समय में दुरदर्शन की वापसी हो, अभी भी भारत के गांव कसबो में कई आंखे उसका इंतजार कर रहीं होगी और दुरदर्शन उसने भारत को बनाने में अपने हिस्से का काम कर लिया है, अब सरकार से उम्मीद है कि वो भी BSNL की तरह दुरदर्शन के लिए भी कुछ हजार करोड़ पैकेज का ऐलान कर दें। दूरदर्शन ने 63 सालों का सफर पूरा कर लिया है।
आपके लिए ये खबर हमारे साथी सौरभ ने लिखी थी, आपको ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट बाक्स में बताएं, साथ ही बताएं कि आपको दुरदर्शन के कौन से शो या एड याद है हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेदगा।