Indian Society : जातिवाद का मटका कब फूटकर बिखरेगा?  

इस देश में दो मराठी महापुरुष आये। दोनों ने देश पर इतना उपकार किया कि ये देश उनका उपकार नहीं भुला सकता। एक ने धर्म कि रक्षा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका धर्म था इन्सानियत। दूसरे ने देश को रास्ता बताया भारतीय संविधान लिखकर। हम इन दोनों से कब सीखेंगे? 

 प्रियंका ‘सौरभ’

भारतीय लोकतंत्र का मूल्य संविधान में निहित है और संविधान छुआछूत तथा अस्पृश्यता का निषेध करता है। फिर स्कूल के घड़े में रखा पानी पीने पर दलित बच्चों की क्रूरता से पिटाई क्यों? मासूम बच्चे को अभी पता भी नहीं था कि जाति क्या है और वह जातिगत छुआछूत प्रताड़ना का शिकार हो गया। आखिर हम और समाज मटके से कब आजाद होंगे? राजस्थान  में तीसरी कक्षा के विद्यार्थी नौ वर्षीय इंद्र मेघवाल की हत्या हमारे उन सब गर्वों पर कलंक है जिनका बखान हम धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता के नाम पर करते हैं। ऊँच- नीच को भगवान की देन बता-बता कर, सामाजिक नियंत्रण और डर फैलाना एक प्राचीनतम मनोवैज्ञानिक-सामाजिक हथियार है। भारत की ग़ुलामी के इतिहास में झांके तो हम पाएंगे कि धर्म का समर्थन प्राप्त जातिवादी मानसिकता भारत की गुलामी और हार का सबसे बड़ा कारण है। अगर किसी भी समाज को गुलाम बनाने की सामुदायिक-सांस्कृतिक लत है तो स्वतंत्रता का ढोंग क्यों हो ? सरस्वती मंदिर में अस्पृश्यता की बीमार परम्परा के प्रहार से घायल इंद्र मेघवाल की मौत क्या दिखाती है?

ऐसे संवेनदशील मामलों में सिर्फ शिक्षक के विरुद्ध कार्यवाही पर्याप्त नहीं है इसके लिए शिक्षण संस्थान भी जिम्मेदार बनते है जो ऐसे जातिवादी इलाकों में स्कूल में मटका रखने की अनुमति देते हैं  इसलिए ऐसे शिक्षण संस्थाओं को इनका तोड़ ढूंढना होगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता  का अंत किया गया है और इसका किसी भी रूप में पालन करना अपराध घोषित किया गया है। इसलिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि उसके क्षेत्र में किसी प्रकार का छुआछूत प्रैक्टिस में ना रहे। इस देश में दो मराठी महापुरुष आये। दोनों ने देश पर इतना उपकार किया कि ये देश उनका उपकार नहीं भुला सकता। एक ने धर्म की रक्षा की छत्रपति शिवाजी महाराज और उनका धर्म था इन्सानियत।  दूसरे ने देश को रास्ता बताया भारतीय संविधान लिखकर। हम इन दोनों से कब सीखेंगे? 75 साल पहले हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी तो मिली लेकिन 75 साल बाद भी जातिवाद से नहीं।

पहले अस्पृश्पृयता बहुत ज्यादा थी, जो आज के दौर मे कही -कहीं दिखाई देती है। ऊंच-नीच, छुआछुत के कारण पहले  ऊँची जाति के लोग (खासकर ब्राह्मण,बनिये) नीची जाति के लोगों के पास से निकलते हुये निश्चित दूरी  बनाकर निकलते थे और किसी चीज के लेन-देन के वक़्त हाथों मे एक निश्चित फासला रखते थे। मगर ऐसी बातें सुनकर हँसी तब आती है जब कोई नीची जाति का आदमी बनिये की दुकान से कुछ खरीदने जाता तो बनिया उसके हाथ से पैसे लेते वक़्त कोई फासला नहीं रखता लेकिन उसके बदले समान देते वक़्त फासला बना लेता। तो फिर अछूत कौन हुआ ? सोचिये। अब वक़्त ने करवट बदली है, बिजली पानी मे कुछ सरकारी दखलंदाज़ी होने से अब पानी खींचना नहीं पड़ता। गाँव में नीची जाति के लोग आज बे- धडक अंदर आ जाते हैं और पास रखी कुर्सी या स्टूल पे धडल्ले से बैठ जाते हैं। हाथ मिलाना, साथ चलना तो आम हो गया। कुए की जगह अब पानी की टंकियाँ बनी है जिसमे नल लगे हैं मगर अब उन नलों का जाति के हिसाब से बंटवारा नहीं किया गया। ये सामाजिक बदलाव की पहल वक़्त ने की है, न की किसी जाति विशेष ने।

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ पानी के मटके को छूने पर मासूम को इतना पीटा गया कि जान ही चली गयी। 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली थी। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विपरीत, लोग सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त सम्मानजनक जीवन जीने की आशा रखते थे। हालाँकि अब उत्पीड़कों ने केवल अपना रूप बदल लिया है। कौन नहीं जानता कि आज भी स्कूलों में मिड डे मील को दलित बच्चे छू लेते हैं तो लोग कहते हैं हमारे बच्चों को दीन हीन कर दिया। हम आये दिन कहीं न कहीं ये पढ़ते है कि मिड-डे मील के बचे हुए खाने को स्कूल के पड़ोस में रहने वालों ने सिर्फ इसलिए नहीं लिया क्योंकि खाना देने दलित बच्चे गये थे। प्रगतिशील राज्यों में से एक होने और सामाजिक न्याय का दावा करने वाले तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा के सर्वे में खुलासा हुआ है कि 386 पंचायतों में से 22 में दलित ग्राम प्रधानों को बैठने तक के लिए कुर्सी नसीब नहीं होती। ऐसे में बिना भेदभाव खत्म हुए  किसी भी आजादी का कोई मतलब नहीं है।

इंद्र कि मौत के  इस जघन्य कृत्य के लिए हम सब शर्मिंदा है। 75 साल हो गए पर देश के कुछ ऐसे नीच बुद्धि वाले लोग है जो अपने आप को भगवान समझते हैं और देश के आज़ाद होने के बाद भी ऐसी नीच मानसिकता रखते हैं। जब तक ऐसे लोग रहेंगे देश कभी आज़ाद नही रहेगा। मासूम बच्चे ने सोचा कि जब आजादी के अमृत महोत्सव का ढोल पूरे देश में जोर शोर से पीटा जा रहा है तो शायद मैं भी आजाद हूँ। उसे क्या पता था की ये आजादी उसके लिए नही। वह अबोध बालक हजारों प्रश्न देश के सामने छोडकर आज चला गया। समाज और देश के असली दुश्मन तो इस तरह की मानसिकता वाले लोग हैं जो एक शिक्षक जैसे आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्कूल का संचालन कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को निजी स्कूलों के लिए भी कुछ चारित्रिक मापदंड अनिवार्य करना चाहिए।

जब तक भारतीय समाज और राज्य को संचालित करने वाले केंद्रों-संस्थाओं पर से वर्ण-जाति की विचारधारा के लोगों का कब्जा खत्म नहीं होता है, तब इंद्र मेघवाल अपमानित होते रहेंगे और मारे जाते रहेंगे, बस वजहें अलग-अलग होंगी। वर्ण-जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करने वाली बहुजन वैचारिकी और बहुजन नायकों को भारतीय समाज के केंद्र में स्थापित किए बिना डॉ. आंबेडकर से लेकर इंद्र मेघवाल तक को पानी का घड़ा छूने के लिए दंडित करने की परंपरा को खत्म नहीं किया जा सकता है। यह प्रतिकार सिर्फ इंद्र मेघवाल की हत्या तक सीमित नहीं होना चाहिए। हजारों सालों की ऊंच-नीच की भेदभाव भरी व्यवस्था के खिलाफ होना चाहिए।

(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

  • Related Posts

    विश्व पर्यावरण दिवस : धरती को बचाने का संकट

    नीरज कुमार जानी-मानी हकीकत है कि 1760 में…

    Continue reading
    गाँव की सूनी चौपाल और मेहमान बनते बेटे

    डॉ. सत्यवान सौरभ “गांव वही है, खेत वही…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने फोन कर पीएम मोदी को दिया जी-7 का न्योता 

    • By TN15
    • June 6, 2025
    कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने फोन कर पीएम मोदी को दिया जी-7 का न्योता 

    मुख्यमंत्री की गिरफ़्तारी का आदेश अवैध ?

    • By TN15
    • June 6, 2025
    मुख्यमंत्री की गिरफ़्तारी का आदेश अवैध ?

    कलशयात्रा के साथ श्री राम कथा का हुआ शुभारंभ

    • By TN15
    • June 6, 2025
    कलशयात्रा के साथ श्री राम कथा का हुआ शुभारंभ

    मालदीव की यात्रा के प्रति चेतावनी

    • By TN15
    • June 6, 2025
    मालदीव की यात्रा के प्रति चेतावनी

    भगोड़ा कह सकते हैं चोर नहीं  : विजय माल्या

    • By TN15
    • June 6, 2025
    भगोड़ा कह सकते हैं चोर नहीं  : विजय माल्या

    प्रेम प्रसंग में नाबालिग लड़की की हत्या, दो नाबालिग भाई, दो मामा, ममेरे भाई ने रचा था षड्यंत्र! 

    • By TN15
    • June 6, 2025
    प्रेम प्रसंग में नाबालिग लड़की की हत्या, दो नाबालिग भाई, दो मामा, ममेरे भाई ने रचा था षड्यंत्र!