Sagittarius Black Hole
Sagittarius Black Hole: कुछ दिन पहले ही ब्लैक होल का नाम फिर से सुर्खियों में आ गया इस बार अपनी गैलेक्सी के ब्लैक होल की फोटो आ गई हैं फोटो के आते ही इसके चारों ओर फैल सभी मीम बनाने लगे क्योंकि किसी को इस काले से धुंधली फोटो में कुछ भी interesting सा नहीं दिखा। लोग मजाक बनाने लगे कि ये फोटो तो 2019 से भी धुंधली सी हैं। लेकिन अगर आप इसके पीछे की कहानी जानेंगे तो आप भी चकरा जाएंगे।
अप्रैल 2019 में हमने पहली बार एक गोल बिन्दु के चारों तरफ पीली रोशनी वाली फोटो जरुर देखी होगी चारों और इसकी चर्चा (Black Hole News) हुई और इसे ब्लैक होल कहा गया इसके बाद कुछ दिनों पहले हमें एक और ब्लैक होल दिखा जिसे अपनी आकाशगंगा का ब्लैक होल बताया गया, इसका नाम Sagittarius A* बताया गया यह हमारे सूर्य के मास का 40 लाख गुना है और यह लगभग 26,000 लाइट-ईयर दूर है। अब आप सोच रहें होंगे की आखिर हम बाद किस बारे में कर रहें, तो चलिए समझते है कि क्या हैं ये ब्लैक होल, कहां से आता है कहाँ को जाता है और क्या रोचक बातें है इसके बारे (Sagittarius Black Hole) में ।
ब्लैक होल –
ब्लैक होल का निर्माण एक मरे हुए तारे के गिरने से होता हैं असलियत में ब्लैक होल अपने नाम के अनुसार काला रंग का एक चक्र हैं जिसमें गई हर वस्तु गायब हो जाती हैं ब्लैक होल में रौशनी तक इस पार से उस पार नही होती हैं, चारों ओर बहुत तीव्र गुरुत्वाकर्षण होता है क्योंकि इसका निर्माण तारों से होता है तो आप इनकी विशालता का अनुमान लगा ही सकते हैं। ये सब कुछ समझेगें हम हिन्दी में (What Is Black Hole in Hindi)।
कैसे मिलें ये ब्लैक होल –
ब्लैक होल इतने विशाल होते है कि इनको देख पाना केवल एक टेलीस्कोप से ना मुनकिन हैं, जिस फोटो को हम ब्लैक होल की तरह देखते हैं वे असल में पृथ्वी पर उपस्थित कई अलग टेलीस्कोप से खीचीं तस्वीर हैं जिसे आपस में मिला कर बनाया गया हैं। ब्लैक होल की फोटो को लगभग 5 लाख से भी अधिक बार कंप्यूटर पर बनाया गया हैं। इतने अलग-अलग टेलीस्कोप को मिलाकर बनाया गया हैं। इसलिए ये अक्सर खबरों (Black Hole News) में बनें रहते हैं।
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साल 2019 में देखे गए M87 गैलेक्सी का ब्लैक होल M87* और आकाशगंगा के ब्लैक होल Sagittarius A* की फोटो को event horizon telescope से लिया गया हैं ये कोई ऐसा वैसा टेलीस्कोप नहीं हैं बल्कि इसमें 300 से अधिक वैज्ञानिक और 80 से ज्यादा संस्थान लगे हुए हैं उन्होंने पृथ्वीं अलग- अलग स्थान पर रखे टेलीस्कोप को मिलाकर एक ही समय में ली गई फोटो को मिलाकर बनाया गया हैं।
Sagittarius A*, M87 गैलेक्सी के ब्लैक होल M87* के मुकाबले काफी छोटा है, और इसके लगातार बदलते रहने के कारण उसकी फोटो हमें ज्यादा धुंधली दिखाई पड़ती हैं। लेकिन ये फोटो मात्र सांकेतिक फोटो मात्र हैं क्योंकि ब्लैक होल से प्रकाश पृथ्वी तक नहीं आ पाता हैं इसके लिए रेडियो किरणों का प्रयोग किया जाता हैं।
क्यों जरूरी है ब्लैक होल –
आप सोच रहे होंगे की इतने लोग और पैसा इस काले गोले के पीछे लगे हैं, वो भी इतने सालों से एक फोटो के लिए लगे हुए हैं पहले समझते है कि क्यों जरूरी है ये हमारे गैलेक्सी के लिए और तो हमारे ब्रह्माण्ड में कई धूल – कड़, गैसें उपलब्ध हैं जो कि गैलेक्सी में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं, अगर ब्लैक होल नहीं होंगे तो ये कण आपस में टकरा कर गिर जाएंगे, जिससे ब्रह्माण्ड में आए दिन इस तरह की घटना देखने को मिलती रहती हैं।
क्योंकि ब्लैक होल के चारों ओर काफी तेज गुरुत्वाकर्षण होता हैं जिससे ,ये इन आवारा कण को अपने चारों ओर बनाए रखता हैं। जब भी हम ब्लैक होल की फोटो देखते हैं तब हमें यही आवारा धूल- कण और गैसें जलते हुए और घूमते दिखाई पड़ते हैं। इसका तापमान लाखों करोड़ों में होता हैं। इसके अलावा इसके अध्ययन से हम अपने ब्रह्माण्ड की बनावट को समझ सकते हैं।
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ब्लैक होल की राह में वैज्ञानिकों सालों बाद एक बड़ी सफलता हासिल हुई है, अगले कदम में वैज्ञानिक इसकी स्पष्ट फोटो निकालने के लिए प्रयासरत हैं, हमारे ब्रह्माण्ड में लगभग 10 लाख से भी ज्यादा ब्लैक होल हैं, वैज्ञानिक पता लगाने की कोशिश कर रहें कि क्यों इनका आकार बढ़ता क्यों जा रहा हैं। उम्मीद है हमें अपने गैलेक्सी के ब्लैक होल (Sagittarius Black Hole) के बारे में और बहुत कुछ जानने को मिलेगा।