द न्यूज 15
फिरोजाबाद । उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच, उत्तर प्रदेश के सिरसेला गांव के सपेरों ने सरकार से उनके समुदाय को मान्यता देने की गुहार लगाई है। सपेरों को आजीविका कमाने में मुश्किल हो रही है, इसके चलते उन्होंने नागरिक सुविधाओं के लिए सरकार का समर्थन मांगा और लाभ प्राप्त करने के लिए जाति मान्यता की मांग की।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के सिरसेला गांव में सपेरे अस्थायी तौर पर रह रहे हैं। उन्होंने सरकार से उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए उन्हें गांव में नौकरी और नागरिक सुविधाएं प्रदान करने का आग्रह किया है। एक सपेरा इब्रानाथ ने कहा, “हम घूम रहे हैं, भीख मांग रहे हैं और सपेरे के खेल के माध्यम से कमा रहे हैं। चूंकि बच्चे पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसलिए हमारे पास यही एकमात्र विकल्प बचा है। हम अपना गुजारा नहीं कर पा रहे हैं। मेरे पांच बच्चे हैं और मैं कैसे सर्वाइव करूंगा। मैं जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई भी छोटा-मोटा काम करने के लिए बेताब हूं।”
60 वर्षीय इब्रानाथ ने सरकार से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उनके समुदाय को मान्यता देने का अनुरोध किया। इब्रानाथ ने कहा, “मुझे सरकार से मुफ्त राशन मिला, मैं चाहता हूं कि सरकार मुझे आधिकारिक तौर पर मान्यता दे क्योंकि मैं किसी जाति से नहीं आता हूं। इसलिए अगर सरकार से मेरे समुदाय को मान्यता मिलेगी तो मैं भी सरकारी लाभों का हकदार होऊंगा।”
एक अन्य सपेरे राजू नाथ ने कहा कि उनका कोई पक्का घर नहीं है और जिस क्षेत्र में वह रह रहे हैं, वह नागरिक सुविधाओं से वंचित है। उन्होंने कहा, “मुझे सरकार से खाना मिला है और कुछ काम करके गुजारा करता हूं। मेरे पास एक उचित घर नहीं है। हमारे पास पीने के पानी तक पहुंच नहीं है।” उन्होंने आगे कहा,” मैं अपने घरेलू खर्चों उठाने में सक्षम नहीं हूं। हमारे लिए (सांपों के लिए), यह एक दैनिक संघर्ष है। मुझे उम्मीद है कि सरकार हमें एक घर और बुनियादी नागरिक सुविधाएं मुहैया कराएगी।” राजू ने अफसोस जताते हुए कहा कि जब बारिश होती है, तो मैं टिन शेड या पर्दे के नीचे रहता हूं।” बता दें कि उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण का चुनाव 20 फरवरी को होगा। सात चरणों में होने वाले चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के सिरसेला गांव में सपेरे अस्थायी तौर पर रह रहे हैं। उन्होंने सरकार से उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए उन्हें गांव में नौकरी और नागरिक सुविधाएं प्रदान करने का आग्रह किया है। एक सपेरा इब्रानाथ ने कहा, “हम घूम रहे हैं, भीख मांग रहे हैं और सपेरे के खेल के माध्यम से कमा रहे हैं। चूंकि बच्चे पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसलिए हमारे पास यही एकमात्र विकल्प बचा है। हम अपना गुजारा नहीं कर पा रहे हैं। मेरे पांच बच्चे हैं और मैं कैसे सर्वाइव करूंगा। मैं जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई भी छोटा-मोटा काम करने के लिए बेताब हूं।”
60 वर्षीय इब्रानाथ ने सरकार से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए उनके समुदाय को मान्यता देने का अनुरोध किया। इब्रानाथ ने कहा, “मुझे सरकार से मुफ्त राशन मिला, मैं चाहता हूं कि सरकार मुझे आधिकारिक तौर पर मान्यता दे क्योंकि मैं किसी जाति से नहीं आता हूं। इसलिए अगर सरकार से मेरे समुदाय को मान्यता मिलेगी तो मैं भी सरकारी लाभों का हकदार होऊंगा।”
एक अन्य सपेरे राजू नाथ ने कहा कि उनका कोई पक्का घर नहीं है और जिस क्षेत्र में वह रह रहे हैं, वह नागरिक सुविधाओं से वंचित है। उन्होंने कहा, “मुझे सरकार से खाना मिला है और कुछ काम करके गुजारा करता हूं। मेरे पास एक उचित घर नहीं है। हमारे पास पीने के पानी तक पहुंच नहीं है।” उन्होंने आगे कहा,” मैं अपने घरेलू खर्चों उठाने में सक्षम नहीं हूं। हमारे लिए (सांपों के लिए), यह एक दैनिक संघर्ष है। मुझे उम्मीद है कि सरकार हमें एक घर और बुनियादी नागरिक सुविधाएं मुहैया कराएगी।” राजू ने अफसोस जताते हुए कहा कि जब बारिश होती है, तो मैं टिन शेड या पर्दे के नीचे रहता हूं।” बता दें कि उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण का चुनाव 20 फरवरी को होगा। सात चरणों में होने वाले चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे।