द न्यूज 15
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। इनमें एक रंग, खाकी उतारकर खादी पहनने वाले नेताओं का है। चुनाव से ठीक पहले यूपी के दो ऐसे आईपीएस अधिकारी रहे जिन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। इनमें से एक कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरूण तो दूसरे ईडी के ज्वाइंट कमिश्नर रहे राजेश्वर सिंह हैं। दोनों को नौकरी के दौरान सुपर कॉप कहा जाता था। बीजेपी ने इनमें से एक सुपर कॉप राजेश्वर सिंह को लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से मैदान में उतारा है। उन्हें योगी सरकार की महिला कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह का टिकट काटकर यह मौका दिया गया है। राजेश्वर सिंह आज नामांकन कर रहे हैं। इसके पहले वह सुबह-सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे।
उन्होंने कल राज्यममंत्री स्वाति सिंह के आवास पर जाकर उनसे भी मुलाकात की थी। सीएम योगी से मुलाकात की तस्वीर ट्वीट करते हुए राजेश्वर सिंह ने लिखा-‘श्रद्धेय योगी आदित्यनाथ, माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से आशीर्वाद प्राप्त किया। उनकी ऊर्जा अप्रतिम है। उनके मार्गदर्शन से आज नयी यात्रा का आरम्भ है।’ सीएम से मुलाकात के बाद वह लखनफ के हनुमान सेतु मंदिर पहुंचे और विधिवत पूजा-अर्चना करके नामांकन दाखिल करने के लिए आशीर्वाद लिया। बताया जा रहा है कि नामांकन से पहले राजेश्वर सिंह पार्टी मुख्यालय भी जाएंगे। वहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उनकी मुलाकात होगी। बुधवार शाम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह के आवास पर उनसे मुलाकात के दौरान राजेश्वर सिंह ने कहा कि वे मिलकर सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र का विकास कराएंगे। स्वाति सिंह ने उन्हें बधाई दी।
गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में स्वाति सिंह ने इसी सीट से जीत हासिल की थी लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया। राजेश्वर सिंह पुलिस की नौकरी छोड़ पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस सीट से बसपा से मोहम्मद जलीस खान, कांग्रेस से रुद्र दमन सिंह और सपा से पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा मैदान में हैं।
कौन हैं राजेश्वर सिंह : राजेश्वर सिंह 1994 बैच के पीपीपीएस अधिकारी थे। 24 वर्षों की सरकारी सेवा के बाद वीआरएस लेकर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की है। उनका 11 वर्ष का सेवाकाल अभी बचा हुआ था। राजेश्वर, लखनऊ में सीओ गोमतीनगर और सीओ महानगर के पद पर तैनात रह चुके हैं। लखनऊ के अलावा प्रयागराज में भी वह महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त रहे हैं। वर्ष 2009 में वह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में गए थे। बाद में उन्हें ईडी में समायोजित कर लिया गया था। राजेश्वर सिंह की गिनती तेजतर्रार अधिकारियों में की जाती थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी अधिकारी के रूप में वह अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, 2जी घोटाला, जगनमोहन रेड्डी केस, कॉमनवेल्थ गेम्स केस जैसे कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच में शामिल रहे हैं।