बिहार के 600 टीचर अचानक हो गए ‘गायब’, दीया-बाती लेकर ढूंढ रहा शिक्षा विभाग

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दीपक कुमार तिवारी

पटना। बिहार में अबतक दो चरणों में नियोजित शिक्षकों की साक्षमता परीक्षा हुई है। तीसरे चरण की परीक्षा बाकी है। वैसे इसकी तिथि निर्धारित कर फिर रद्द कर दी गई थी। दोनों परीक्षा में सफल रहने शिक्षकों की सर्टिफिकेट की जांच हो रही है। मुख्यालय स्तर पर ही जांच को टीम गठित है। जांच में सर्टिफिकेट सही पाए जाने के बाद उन्हें विभाग के स्तर से घोषित लाभ देय होगा। खबर मिली है कि सूबे के विभिन्न जिलों के दर्जनों वैसे शिक्षक सर्टिफिकेट की जांच कराने से अब कतरा रहे हैं, जो सक्षमता परीक्षा पास कर गए हैं।
सर्टिफिकेट की जांच कराने से पीछे हटने वाले तमाम शिक्षकों की सूची जिलों में डीईओ के पास भेजी गई है। विभाग से सभी डीईओ को यह निर्देश दिया गया है कि सर्टिफिकेट जांच से कतरा रहे शिक्षक स्कूल में हैं या नहीं, इसकी जांच कर शीघ्र रिपोर्ट करें। माना जा रहा है कि सर्टिफिकेट जांच कराने में पीछे रहने वाले ये शिक्षक फर्जी हो सकते हैं। आशंका है कि इनके सर्टिफिकेट में कोई गड़बड़ी होगी। इसी कारण जांच से भाग रहे हैं।
विभाग को इसका पुख्ता सबूत हाथ लगा है कि एक ही रौल नंबर पर दो-दो शिक्षक परीक्षा दिए हुए हैं और वे विभिन्न स्कूलों में कार्यरत भी हैं। बताया गया है कि गत दिन मुख्यालय में जांच के दौरान दो शिक्षक पहुंचे थे। दोनों का रौल नंबर एक ही था। हद तो यह कि टीईटी, मैट्रिक और इंटर का सर्टिफिकेट भी एक ही समान था। यह देख अधिकारी हैरान रह गये थे। यानी दोनों शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी एक ही थे। ऐसे 50 से अधिक शिक्षक पकड़े जा चुके हैं।
रिपोर्ट है कि इन संदिग्ध शिक्षकों में से मुजफ्फरपुर के ही आधा दर्जन हैं। सीतामढ़ी जिले के भी बहुत सारे शिक्षक सर्टिफिकेट की जांच नहीं करा सके हैं। शिक्षक जांच से क्यों पीछे चल रहे हैं, यह सर्टिफिकेट की जांच या जांच की निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल सीतामढ़ी समेत सूबे के लगभग 600 शिक्षकों के सार्टिफिकेट की जांच अभी बाकी है। इन शिक्षकों को मूल कागजात के साथ मुख्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया जा चुका हैं।

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