अंग्रेजों को अंग्रेजी पढ़ाने वाले, सोशलिस्ट, प्रोफेसर जितेंद्र शर्मा नहीं रहे

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अभी-अभी तकलीफ देह खबर मिली कि हमारे पुराने सोशलिस्ट साथी, दोस्त प्रोफेसर जितेन्द्र शर्मा नहीं रहे। टोरंटो (कनाडा) से अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी सनद याफ़्ता, जिन्होंने कई साल विदेश में अंग्रेजी भाषा साहित्य को पढाया परंतु अपने रहन-सहन, बर्ताव, मिजाज, विचार से एक खांटी सोशलिस्ट ही बने रहे। जिंदगी की आखिरी सांस तक वे सार्वजनिक जीवन में मस्ती से लगे रहते थे। मेरे साथ उनका बरसो बरस पुराना रिश्ता कायम था। वे और उनकी जीवन संगिनी डॉक्टर उषा शर्मा अक्सर मेरे विश्वविद्यालय के घर पर आते रहते थे। डॉ शर्मा एक पुरानी एंबेसडर कार जिसको उन्होंने “बसंती” नाम दे रखा था, मजाक में कहते थे कि हम तीन साथी, एक साथ ही चलते हैं। खुशमिजाज जितेन्द्र शर्मा एक आस्थावान सोशलिस्ट थे। मेरी हर पोस्ट पर वह कमेंट लिखना नहीं भूलते थे।
जनता पार्टी के मेनिफेस्टो बनाने वाली कमेटी के एक सदस्य के रूप में भी उन्होंने भूमिका निभाई थी। उनकी लिखी किताब “इंडिया अनबॉउंड” की भूमिका दिवंगत प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर जी ने लिखी थी। हर नए सियासी मौजू पर अपने विचार लिखते रहते थे। सोशलिस्ट नेताओं से उनका नजदीकी पन भी रहा। उनके लेखन के कुछ नमूने पेश कर रहा हूं।”
“राजनारायणजी की तुलना किसी और नेता से नहीं की जा सकती !
उनकी छवि एक सिरडी (लडाकू )नेता की थी! लेकिन मुझे तो उनका स्नेही स्वरुप ही देखने को मिला !
एक दिन में उनका हाल जानने के लिए उनके दिल्लीस्थित सरकारी बंगले मैं गया ! वे एक खाट पर गांव वालों की भांति रज़ाई में पड़े थे !
कमजोर लग रहे थे ! मुझे देखते ही उठे और उस से पहले कि में उनका हाल पूछता खाट के नीचे से झुक कर एक पोटली निकाली
और एक कपडे की गांठ खोलकर पेड़े निकाले और मेरी तरफ बढ़ा दिए -‘मथुरा के हैं’, कहते हुए !
एक और बार में दिल्ली के गुलमोहर पार्क में अधिवक्ता कृष्ण चंद्र अग्रवाल के घर गया तो राजनारायण जी कुछ लोगों के बीच बैठे एक मुक्कदमे की ड्राफ्टिंग करवा रहे थे ! वकील साहिब ने कुछ पढ़ा तो मेंने वैसे ही एक लफ़ज़ ‘परपोसेली’ की जगह परपोसेफुल्ली बोल दिया ! राजनारायण जी ने वकील साहिब को रोक कर और मेरी और इशारा करते हुए कहा : “उनकी सुनो ” और बाकी की साड़ी ड्राफ्टिंग भी मुझसे ही करवाई”
Once I asked Kishan Patnaik what was his greatest difficulty while working with debt ridden labor in Bihar. He replied: Convincig the labpr that the Sahukar who lent them money was their enemy who enslaved them from generation to generation and deprived them of their small pieces of land. The exploited laboerers countered: No, the Sahukar was their best friend because he gave them money for settling marriages of their sons and daughters, to buy seeds and whenever we needed money.
There is a lesson here for principled sociaslists
The common man even today cannot identify which party or political leader is their friend.Fakery wins, after all.Kishan Patnaik fought with this REALITY.ARE PRESENT DAY PRINCPLED SOCIALISTS BEATING THEIR BREAST OR FIFHTING THIS REALITY?
जनवरी २९, २०२३ रविवॉर
मधु जी(मधु लिमए) से मुझे भी मिलने का मौका मिला
जितेंद्र शर्मा
मधु जी से मुझे भी मिलने का मौका मिला ! जब भजन लाल जी हरयाणा जनता पार्टी को highjack कर कांग्रेस में ले गए थे तो मेरे वकील मित्र कृष्ण चंद्र अग्रवाल और मेंने भजन लाल जी द्वारा किडनैप किये गए विधायकों का पता लगा लिया ! ३० के करीब विधायक लाजपतनगर स्थित एक होटल में छुपे हुए थे ! हम हरयाणा भवन आए तो देवी लाल जी हमारे लिए दूध और नाश्ता ले कर एक कोने वाले कमऱे में आए और कहने लगे कि भजन लाल के अलावा उन्हें कोई भी विधायक मुख्यामंत्री मंजूर है ! मेंने पूछा क्या चौधरी खुर्शीद अहमद उनको स्वीकार होंगे ? देवी लाल जी ने कहा,” हाँ”! तभी में जार्ज फरनेडीज़ और मधु जी को मिलने और अहमद को सपोर्ट करने का अनुरोध ले कर उनके पास गैया था ! दोनों ने अपनी सवकृति दे दी थी लेकिन जब में ने बाबूजी जगजीवन राम जी से खुर्शीद जी के बारे में पूछा तो उन्हों ने कुछ देर सोच कर कहा , “खुसीद कमजोर पड़ेंगेी” और हुआ भी ऐसा ही ! जब में खुर्शीद जी के पास दुबारा मिलने गैया और कहा की आप मेरे साथ चंद्रशेखर जी के पास चलिए और चीफ मिनिस्टर बनाने के लिए अपनी स्वीकृत दी जिए तो उन्हों ने बहुत उदासी और विनर्मत! से जवाब दिया , “में, चीफ मिनिस्टर? ” और इतना कह कर वे एक क!र में बैठ गए और किसी अज्ञात स्थान पर चले गए !
इसके बाद में मधु जी को वेस्टर्न कोर्ट में मिला और पंडारा पार्क में ! किसी काम से नहीं, बस उनके दर्शन के लिए!
और कांग्रेस के ऑफिस में !
सुबह सुबह में Gurgaon से अपनी पत्नी डाक्टर उषा जी के साथ ड्राइव कर रहा था ! रस्ते में पता चला के श्रीमती लक्ष्मी पंडित का देहांत हो गया और राजीव गाँधी उनकी शवयात्रा के साथ क्रेमाटोरियम जायेगे! मेंने १९७७ में हरयाणा में लक्ष्मी पंडित जी के साथ जनता पार्टी का प्रचार किया था ! वह इम्पीरियल होटल में रुकी थीं ! उनहोंने अपने हाथ से बनाकर मुझे काफी पिलाई थी!
जब हम कांग्रेस कार्यालय के गेट के अंदर गए और श्रद्धांजलि सुमन लक्ष्मी जी के शव पर चढ़ाकर एक कोने में खड़े हुए तो देखा मधु लिमये जी भी उसी कोने में खड़े थे ! उनसे नमस्ते हुई !I
have fond memories of Piloo Mody.He was a staunch opponent of the Emergency. And did his 18- month stint in Rohtak jail. I enjoyed working with him while drafting Janata Party Manifesto in 1977 along with Surendra Mohan Ji and Kanugo of Odisha.Mody was a great humorist and made us laugh a lot. Once he wanted to contest for Lok Sabha from Karnal. His American wife used to visit a printing press in my neighborhood in South Extension Part one In Delhi to get anti- Emergency materials printed. He differed with me as my socialis views and actions were polls apart from his Swatantar Party capitalist politics. He, however, agreed with me on forming Farmers Associations. He did not live long. Had he been alive today, I am sure,Indian parliament would not be as humorless and crass a place as it is today. – Professor Jitendra Sharma
सोशलिस्टों के किसी भी आयोजन में उनकी कितनी गहरी लगन रहती थी कि मीटिंग से पहले वह अपने संदेश भेजते रहते थे
राजकुमार जी , सोशलिस्ट इंडिया मीटिंग में आप आमंत्रित हैं । ज़रूर आइये। मिलने का अच्छ अवसर ह। कामरेड विश्वात्मा जी आप को फ़ोन करेंगें ।
आराम हराम है। मोदी जी की विदाई करनी है।
सतहों : अणुव्रत भैवान, दीं दयाल उपाध्याय मार्ग , दिल्ली
तिथि : २ मई , २०२३ , मनगलवार
समय : २-३० दोपहर बाद
अवसर : समाज वादी मिलान
-जितेंद्र शर्मा२०२४ में आराम हराम है।
३० अप्रेल, २०२३, रवि वर को मावलंकर हॉल कितने बजे से कितने बजे तक लिमये जी का जन्मदिन मनाया जायेगा। आप कितने बजे विठल भाई हाउस पहुंचेगे? कृपया उत्तर दें। जितना जल्दी हो सके।
सोशलिस्ट गतिविधियों तथा साथियों के साथ उनके खुलूस मोहब्बत की अनेकों बातें जहन में आ रही है। मेरे एक और सोशलिस्ट दोस्त शंकर सुहेल के इंतकाल पर पर जब मैंने शोक संदेश लिखा तो उन्होंने मुझे जो जवाब में लिखा वह कितनी हकीकत और मार्मिकता से भरी हुई उनकी टिप्पणी थी।
अप्रैल ०७ , २०२३ शुक्रवार
राजकुमार जी ! आप का शंकर सुहेल पर स्मारक लेख पढ़ा। फ़ोन पर ठीक से बात हो नहीं पाई। इस लिए लिख रहा हूँ :
में जानता हूँ राजकुमार जी कि आप दोस्ती को कितनी एहमियत देते हैं। हमारे ज़माने के सोशलिस्टों की खासियत थी गहरी दोस्ती। एक दुसरे के साथ वाक़िफ़ होना ही काफी नहीं था। एक दुसरे के घर और घरवालों को भी खूब जानते थे। बल्कि दोस्त की गैर हाज़री में दोस्त के घर से यूँ ही वापिस नहीं आजाते थे बल्कि घरवालों से भी पूरी दोस्ती रखते और निभाते थे। अब ऐसे दोस्त और वैसे सोशलिस्ट घटते जा रहे है। खालीपन फैलता जा रहा है। आखिर हम सब अकेले ही आते हैं और अकेले ही जाते हैं।
जितेंद्र शर्मा दूसरों की तकलीफ को दूर करने के लिए फिक्रमंद रहते थे उन्होंने मुनादी कर रखी थी
April 03, 2023-04-03
प्रोफेसर जिरेंद्र शर्मा
प्रिय मित्रों: यदि आप या आपका कोई करीबी जो सोनीपत निर्वाचन क्षेत्र में रहता है और उसका कोई व्यक्तिगत या सामाजिक कार्य/समस्या जिला स्तर के सरकारी विभाग में लंबित है, तो कृपया मुझसे संपर्क करें और मैं इसे समाज सेवा के रूप में नि:शुल्क करवाऊंगा।
सादर,
प्रोफेसर जिरेंद्र शर्मा

April 03, 2023-04-03
Dear Friends: If you or anyone close to you who lives in Sonipat constituency and has any personal or social work/problem pending in a district level government department, please contact me and I will get it done free of cost as social service.
Yours sincerely,
Professor Jirendra Sharma
‌। डॉ जितेंद्र शर्मा जी जैसा स्वभाव उनकी पत्नी डॉक्टर उषा शर्मा जी का भी है। अक्सर वे भी टेलीफोन कर मेरी सेहत कुशल क्षेम के बारे में जानकारी लिया करती है, तथा आवश्यक हिदायत भी देती रहती है। डॉ जितेन्द्र शर्मा जैसे प्रतिबद्ध सोशलिस्ट साथी, दोस्त के न रहने, खैरख्वाह के जाने से कमी खल रही है, बेहद रंज है।
प्रोफेसर राजकुमार जैन

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