Country’s poverty : केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किये आंकड़े, 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे
केंद्र सरकार ने लोकसभा में जो आंकड़े पेश किये उसके अनुसार देश में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आते हैं। ग्रामीण इलाके में रहने वाला व्यक्ति हर दिन 26 रुपये और शहर में रहने वाला व्यक्ति 32 रुपये भी खर्च नहीं कर पा रहा है तो वह गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा। वहीं राज्यों की अगर बात करें तो छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा गरीब है, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में 10 में से हर तीसरा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है।
आंकड़ों के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली सबसे ज्यादा आबादी छत्तीसगढ़ की है। इस राज्य की 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रही है। झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल, बिहार, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां की 30 फीसदी या उससे ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीती है। यानी इन राज्यों में हर 10 में से तीसरा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आता है। लोकसभा में गरीबी रेखा से जुड़े सवाल पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि देश की 29.9 फीसद आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। यह आंकड़े 2011-2012 के हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि उसके बाद से गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों का हिसाब लगाया नहीं गया। सरकार की गरीबी रेखा की परिभाषा के अनुसार गांव में अगर कोई हर महीने 816 रुपये और शहर में 1000 रुपये खर्च कर रहा है। ऐसे स्थिति में वह शख्स गरीबी रेखा के नीचे नहीं आएगा। देश में अभी 29.9 फीसद आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। मतलब 100 में से 22 ऐसे लोग हैं जो महीने के हजार रुपये भी खर्च नहीं कर पाते हैं।
देश जब आजाद हुआ था तब देश की करीब 80 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे आती थी। आजादी के 75 साल बाद गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली आबादी घटकर 22 फीसद पर आ गई। अगर इसको संख्या में देखा जाए तो कोई खास अंतर नहीं आया। देश की आजादी के वक्त 25 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे थी अब 26.9 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है।