यह भी पंचांगकारों के षड्यंत्र का शिकार !!
बी कृष्णा
रौशनी का, प्रकाश का उत्सव है दीपावली| यह उत्सव वर्ष के सबसे अँधेरी रात को आती है| अंधकार प्रतीक है भय का, निराशा का|
इस अँधेरे को चीरता हुआ दीये का लौ मानों हर्षित घोषणा कर रहा होता है कि चाहे कितना भी घोर अँधेरा हो एक छोटी सी दीये की लौ में इतना सामर्थ्य है कि वह उस अँधेरे को दूर कर रौशनी को ले आये| बहुत बड़ा जीवन सूत्र पकड़ाता है यह हमें| बस अपने भीतर रौशनी की एक लौ प्रज्ज्वलित करनी है और तमाम तरह के अंधरे दूर हो जायेंगे| भय और निराशा दूर हो जायेंगे| स्वयं के जीवन में तो रौशनी आएगी ही दूसरों का जीवन भी प्रकाशित होगा|
आज हम सब एक और अंधकार से जूझ रहे हैं और वह है किसी भी व्रत और त्यौहार का पोंगा पंडितों के चपेट में आकर भ्रम और स्थिति का निर्माण कर देना| इसकी वजह से व्रत, त्यौहार, उत्सव भाव विहीन होते जा रहे हैं| कब करें? आज करें या कल करें ? कैसे करें? आदि आदि प्रश्नों के बीच हम इतने घिर जाते हैं की उत्सव का उल्लास समाप्त हो जाता है|
इस बार दीवाली को लेकर फिर से भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है|
इस वर्ष दीपावली को लेकर एक बार फिर घमासान मचा हुआ है कि यह कब मनाया जाएगा- 31 अक्टूबर को या 1 नवंबर को ?
नवभारत टाइम्स ( NBT), प्रभात खबर, CNBC , News18 , जागरण जोश आदि ने दीवाली 1 नवंबर को बताया है|यहाँ देखने वाली बात जागरण Josh की खबर में है| 1 नवंबर को शुक्रवार है किंतु इन्होने Thursday लिखा है| इसे क्या कहा जाये ??
आख़िर कुछ सालों से कोई भी व्रत या त्योहार एक दिन क्यों नहीं हो पाता ??
आख़िर क्यों पंचांगकार व्रत एवं त्योहार को लेकर एकमत नहीं हो पाते ??
कार्तिक मास अमावस्या की शुरुआत 31 अक्टूबर को 15:54 बजे से होगी और इसका समापन 1 नवंबर सायं 18:16 बजे होगा।
दोनों दिन प्रदोष काल मिलेगा।
कुछ शास्त्रकारों के अनुसार एक तिथि में जब दो प्रदोष काल मिले तो दूसरा वाला दिन लेना चाहिए।
इस अनुसार दीपावली 1 नवंबर को होगी।
परंतु 31 अक्टूबर को पूरी रात अमावस्या रहेगा।
इसलिए क़ायदे से अमावस्या वाली रात को ही दीवाली मनाई जानी चाहिए।
दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाई जानी चाहिए।
भ्रम और भय के अंधकार से बाहर आकर पुरे हर्ष और उल्लास के साथ दीवाली का त्यौहार मनाईये| अमावस्या की काली रात को दीपों की श्रृंखला से रौशनी से जगमगा दीजिये| स्वयं भी आलोकित होइए और दूसरों के जीवन में भी रौशनी बिखेरिए|
दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।
|| शुभ दीपावली ||
(लेखिका ज्योतिषी, योग और आध्यात्मिक चिंतक हैं)