जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का सारा करिकुलम बदलने होने जा रहा है। नई शिक्षा नीति के हिसाब से सारा करिकुलम अपडेट हो रहा है। कोरोना के कारण जो छात्र विश्वविद्यालय से दूर हैं वह कैसे शिक्षा हासिल कर सके इसका भी ध्यान इसमें रखा जाएगा। जामिया स्थापना के 101 वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने यह जानकारी दी। उन्होने बताया कि जामिया में बहुत सारे नए कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। कई सारे नए पैरामेडिकल कोर्स भी शुरू किए जा रहे हैं। इनकी अनुमति ली जा रही है और विदेशी भाषाओं से संबंधित पाठ्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं।
स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था जामिया मिलिया इस्लामिया ने शुक्रवार को अपनी स्थापना के 101 वर्ष पूरे कर लिए। स्थापना दिवस समारोह में कुलपति ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमें महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं। इनका पालन तो हमें करना ही है, वह हमारा फोकस है। इसके अलावा इस कोरोना के जमाने में हमने पाया कि हमारे पास टेक्नोलॉजी कम थी। अब हम उसकी पूर्ति करने की कोशिश कर रहे हैं। अब जब विश्वविद्यालय खुलने पर छात्र आएंगे तो हम उनको हॉस्टल में नहीं रख पाएंगे, क्योंकि यहां इतने कमरे नहीं इसलिए अब हम नए हॉस्टल बना रहे हैं।
कुलपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भी जामिया छठे स्थान पर है जो कि एक बेहतर प्रदर्शन है फिर भी इसे और बेहतर करने के लिए प्रयास लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऊंचे पायदान पर पहुंचने और फिर वहां बने रहने के लिए कई गुना अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
कुलपति नजमा अख्तर ने बताया कि विश्वविद्यालय को सभी फाइनल ईयर के छात्रों के लिए खोला जा चुका है। जैसे ही नई गाइडलाइन सरकार द्वारा जारी की जाएगी उसके अनुरूप विश्वविद्यालय को अन्य छात्रों के लिए भी खोला जाएगा।
स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था जामिया मिलिया इस्लामिया ने शुक्रवार को अपनी स्थापना के 101 वर्ष पूरे कर लिए। स्थापना दिवस समारोह आज विश्वविद्यालय के डॉ. एमए अंसारी सभागार के प्रांगण में एनसीसी कैडेट्स द्वारा कुलपति प्रो नजमा अख्तर को दिए गए गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शुरू हुआ।
कुलपति ने एक अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘इनकॉन्टिनम-चिसेलिंग द माइंड’ का एमएफ हुसैन आर्ट गैलरी में (वर्चुअल और ऑफलाइन)उद्घाटन किया, जहां यूएसए, मलेशिया, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, यूएई, बांग्लादेश और भारत के 27 केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के 101 कृतियों को प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर भारत की प्रमुख समकालीन कलाकारों में से एक अंजोली इला मेनन विशिष्ट अतिथि थीं। उन्होंने ललित कला संकाय के शिक्षकों और छात्रों के साथ एक संवादात्मक सत्र किया।