विश्व हृदय दिवसः फोर्टिस हॉस्पीटल के हृदय रोग विशेषज्ञों ने जारी की चेतावनी

युवाओं में बढ़ रहे हैं हृदय रोग, महिलाएं और पुरुष दोनों को है बराबर का खतरा

ऋषि तिवारी
नोएडा। कुछ समय पहले तक ऐसा माना जाता था कि हार्ट अटैक का खतरा केवल बुजुर्गों को रहता है, लेकिन इधर देखने में आ रहा है कि युवाओं में भी, खासतौर से 30 से 40 साल की उम्र के लोगों को भी हृदय रोग प्रभावित कर रहे हैं। बेशक, दुनियाभर में हृदय रोगों का खतरा बढ़ा है लेकिन भारत में पिछले पांच वर्षों के दौरान ये काफी बढ़े हैं। अचानक हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों के बढ़ने का कारण हमारा तेज रफ्तार जीवन और खराब लाइफस्टाइल है। फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के डॉक्टरों ने आज अस्पताल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस चिंताजनक रुझान की ओर लोगों का ध्यान खींचा है और ऐसे युवा हृदय रोगियों के उदाहरण भी दिए जो अचानक हार्ट अटैक के शिकार बन चुके हैं।

डॉ अजय कौल, चेयरमैन, कार्डियाक साइंसेज़, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने कहा , “हाल के वर्षों में, भारत में युवा आबादी के बीच हृदय रोगों के मामले बढ़ रहे हैं, और खासतौर से 30 से 40 साल की आयुवर्ग के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। आमतौर पर, हृदय रोगों के बारे में यह धारणा थी कि ये रोग केवल अधिक उम्र के वयस्कों को ही प्रभावित करते हैं। लेकिन हाल के अध्ययनों से यह चिंताजनक तस्वीर उभरी है कि अब अधिक युवा भारतीय हार्ट अटैक तथा अन्य कार्डियोवास्क्युलर रोगों के शिकार बन रहे हैं। इसका कारण काफी हद तक लाइफस्टाइल में बदलाव होना है जो खानपान की खराब आदतों, व्यायाम रहित जीवनशैली, और बढ़ते तनाव का परिणाम है। युवा वयस्कों में बढ़ रहे हृदय रोगों के मद्देनज़र, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और डिस्लिपीडेमिया (खून में लिपिड की मात्रा असामान्य होना) की जांच करवाना महत्वपूर्ण है। रूटीन हेल्थ चेकअप के दौरान समय पर रोगों के पकड़ में आने की संभावना बढ़ जाती है और रोगों का बेहतर तरीके से उपचार हो पाता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।”

डॉ संजीव गेरा, डायरेक्टर एंड एचओडी, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा ने कहा , “हम हर साल करीब 70 से 80 हृदय संबंधी रोगों के मामले देख रहे हैं। हाल में हमने 30 से 40 साल की उम्र के कुछ युवा मरीजों का उपचार किया, इन सभी को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के तुरंत बाद ही, उनकी पूरी जांच की गई और तत्काल उपचार किया गया। इन मरीजों को उपचार से फायदा पहुंचा और अब वे सामान्य जीवन बिता रहे हैं। देखा गया है कि युवाओं में बढ़ते हृदय रोगों के पीछे बढ़ता तनाव और व्यायामरहित जीवनशैली मुख्य रूप से जिम्मेदार है।”

संवाददाता सम्मेलन के दौरान वे मरीज भी मौजूद थे जिन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा था और उनका फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा में इलाज किया गया। पहला मामला 37 साल की एक महिल का था जो करीब एक सप्ताह तक छाती में बेचैनी की शिकायत के बाद फोर्टिस नोएडा के आपातकालीन विभाग में भर्ती हुई थीं। मेडिकल जांच से पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और कोरोनरी एंजियोग्राफी में उनकी रक्तवाहिकाओं के ब्लॉक होने का पता चला। अस्पताल में उनका इलाज एक नई टेक्नोलॉजी – डीसीबी (ड्रग कोटेल बैलून) से किया गया ताकि उनके शरीर में स्टेंट या किसी प्रकार की धातु न डालनी पड़ी। सर्जरी के बाद मरीज अब रिकवर हो चुकी हैं और उन्हें 3 दिन बाद ही स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

एक अन्य मामला 36 वर्षीय मरीज का था जो हार्ट अटैक के बाद तथा दो ब्लॉक धमनियों के साथ अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनके मामले में धूम्रपान जैसे रिस्क फैक्टर भी दोषी नहीं थे लेकिन उनके परिवार में हृदय रोगों की हिस्ट्री थी। उनका स्टेंट तथा ड्रग कोटेड बैलून की मदद से इलाज किया गया। इस विकल्प को इसलिए चुना गया था ताकि उनके शरीर में धातु न डाली जाए। सर्जरी के 2 दिन के बाद उन्हें स्थिर होने पर अस्पताल से छुट्टी दी गई।

चौथा मामला 39 वर्षीय एक पुरुष मरीज का था जिन्हें सीने में दर्द और परिश्रम करने पर सांस फूलने की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया था। उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता चला कि वह ट्रिपल वैसल रोग से पीड़ित थे। उनकी कोरोनरी एंतियोग्राफी करनेपर पता चला कि वह कोरोनरी आर्टरी रोग से पीड़ित थे – यह एक सामान्य हृदय रोग है जिसमें हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में प्लाक जमा होने से वे संकुचित हो जाती हैं या कई बार पूरी तरह से अवरोध भी पैदा हो जाता है। अस्पताल में उनकी कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी (सीएबीजी) की गई और 10 दिनों के बाद स्थिर अवस्था में छुट्टी दी गई।

पांचवां मामला 34 वर्षीय मरीज का था जो सीने में दर्द और थोड़ा भी परिश्रम करने पर सांस फूलने की शिकायत के बाद अस्पताल आए थे। उनकी यह शिकायत हर दिन धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। इससे पहले भी उन्हें हृदय संबंधी तकलीफ हो चुकी थी और 2019 में उनकी एंजियोग्राफी भी हो चुकी थी और इसके बाद फरवरी 2024 में दोबारा हो चुकी थी, और अब ट्रिपल वैसल रोग का पता चला था। उन्हें कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी (सीएबीजी) करवाने की सलाह दी गई, जिसके बाद वे धीरे-धीरे रिकवर हो चुके हैं।

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