उप चुनाव लड़ाने को इतने बेताब क्यों हैं चंद्रशेखर आजाद ?

चरण सिंह 
आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीतते ही सबसे पहले अपने कार्यकर्ताओं को उप चुनाव लड़ने के लिए एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में उन्होंने कहा कि यदि नगीना के लोग उन्हें इतना प्यार दे सकते हैं तो फिर देश के विभिन्न राज्यों में हो रहे उपचुनाव में लोग प्यार क्यों नहीं देंगे ? अब 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की घोषणा कर दी गई है। 10 जुलाई को जिन राज्यों में उप चुनाव होना है उनमें तमिलनाडु में 1, मध्य प्रदेश में 1, पंजाब में 1, उत्तराखंड में दो, हिमाचल प्रदेश में 3, बिहार में 1 और पश्चिमी बंगाल में 4 सीटें हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा सीट जीतने वाली आजाद समाज पार्टी दूसरे राज्यों में उप चुनाव कैसे जीतेगी ? क्या आजाद समाज पार्टी उप चुनाव में सीटें जीतेगी ? मध्य प्रदेश, पंजाब, और बिहार में तो माना जा सकता है कि आजाद समाज पार्टी चुनाव जीत जाए पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में तो मुश्किल ही लग रहा है।

दरअसल नगीना लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर आजाद को जिस तरह से लोगों ने चुनाव लड़ाया है, उससे चंद्रशेखर आजाद और उनके कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह है। लोकसभा चुनाव के बाद अब पार्टी उप चुनाव में हाथ आजमाना चाहती है। चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा ऐसे ही नहीं जीती है। नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव होते ही बना लिया था। चंद्रशेखर आजाद ने जनपद में स्थानीय मुद्दों पर जमकर काम किया। छोटे-छोटे मुद्दों पर उनकी पार्टी ने संघर्ष किया। नगीना लोकसभा सीट पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक कई साल से संघर्ष कर रहे थे।
जानकारी मिल रही है कि जनपद बिजनौर में जो काम आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता करा ले जा रहे हैं वह तो सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी नहीं करा पा रहे हैं। बिजनौर के अधिकारी आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं के दबाव में देखे जा रहे हैं। इसमें दो राय नहीं कि किसी समय यही हाल बसपा कार्यकर्ताओं का रहता था। वह बात दूसरी है कि चंद्रशेखर आजाद के कार्यकर्ताओं का जलवा विपक्ष में रहने के बावजूद है और बसपा कार्यकर्ताओं का जलवा मायावती सरकार में होता था।
यह चंद्रशेखर आजाद का बढ़ता वजूद ही है कि बसपा मुखिया मायावती को भी चिंता सताने लगी है। मायावती ने अपने संगठन को दुरुस्त करना शरू कर दिया है। मायावती की चिंता इस बात को लेकर भी है कि अपने भतीजे आकाश आनंद को वह कैसे बसपा का उत्तराधिकारी बनाएंगी। कैसे आकाश आनंद को इस लायक बनाएंगी कि उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद का सामना कर सके। मायावती ने चंद्रशेखर आजाद को दलितों का वोट कटवा प्रत्याशी बोला था पर बसपा चौथे नंबर पर खिसक गई और चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा चुनाव जीत लिया।
मायावती ने अपने करियर की सबसे बड़ी गलती अपने भतीजे आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव के बीच में ही घर बैठाकर कर लिया। आकाश आनंद ने सीतापुर में अपने प्रत्याशी महेंद्र यादव के पक्ष में चुनावी सभा करते हुए भाजपा को आतंकवादियों की पार्टी तक कह दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का स्वागत जूतों और चप्पलों से करना। मायावती पर जब बीजेपी का दबाव बना तो उन्होंने आकाश आनंद को न केवल अपने उत्तराधिकारी सम्मान से उन्हें हटा दिया बल्कि उनको राष्ट्रीय कोर्डिनेटर पद से भी हटा दिया। मायावती के इस निर्णय से बसपा का युवा कार्यकर्ता नाराज हो गया।
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