
जब तख्त उछाले जाएंगे
इंसा मुस्कुराएंगे..
न लहू बहेगा
न आंसू बहेगा
बस रास्ते मुस्कुराएंगे..
जब तख्त उछाले जाएंगे
इंसा मुस्कुराएंगे…
हो रात कितनी भी गहरी
हर आंगन दीप जलेगा
शहर रोशनी से जग मंगाएंगे
जब तख्त उछाले जाएंगे
इंसा मुस्कुराएंगे…
इंसा मुस्कुराएंगे…
के एम भाई