
चरण सिंह
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। संत कबीरदास के इस दोहे में बताया गया है कि गुरु का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है। कबीर दास ने इस दोहे में कहा है कि यदि भगवान और गुरु दोनों मेरे सामने खड़े हों तो मैं पहले गुरु के पैर छूऊंगा। इसकी वजह उन्होंने बताई थी कि भगवान के पास जाने का रास्ता भी गुरु ने ही बताया है। कोलकाता रेप-हत्या कांड के साथ ही बिहार बेतिया में जीएनएम कॉलेज में छात्राओं का प्राचार्य पर शराब के नशे में मसाज कराने का आरोप दर्शा रहा है कि आज की तारीख में इन जैसे शिक्षकों ने गुरु जैसा पवित्र पद कैसे कलंकित कर दिया है।
यह क्या हो गया है हमारे समाज को ? कोलकाता रेप और हत्या कांड, बदलापुर यौन शोषण का मामला और फिर बेतिया में जीएनएम कॉलेज में शराब के नशे में छात्राओं से मसाज कराने का आरोप। कोलकाता में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पर भी अनैतिक कार्यों में लिप्त रहने के आरोप लगे हैं। बदलापुर में चार साल की बच्चियों के साथ यौन शोषण किया गया। किसने किया ? उस क्लीनर ने जिसको कहीं न कहीं इन बच्चियों का ध्यान रखना चाहिए था। ऐसे ही जीएनएम कॉलेज में भी घिनौने काम का आरोपी प्राचार्य है। ये मामले तो वह हैं जो उजागर हो गये हैं। देश में ऐसे कितने मामले हैं कि विभिन्न कारणों से दबे पड़े हैं। मतलब जिन लोगों की जिम्मेदारी और जवाबदेही छात्राओं की सुरक्षा की है उनमें से ही कुछ दरिंदे बाहर निकल रहे हैं जो इन छात्राओं की अस्मत से खेल रहे हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार लोग विश्वास करें तो फिर किस पर करें। प्राचार्य तो कॉलेजों में ऐसा पद है जिसे कॉलेजों के शिक्षकों और स्टाफ पर भी ध्यान रखना चाहिए। जिस कॉलेज का प्राचार्य ही भ्रष्ट हो उस कॉलेज की स्थिति क्या होगी, यह बात अच्छी तरह से समझी जा सकती है। दोनों ही प्राचार्यों पर एक्शन तब हुआ जब शासन और प्रशासन की फजीहत होने लगी। मतलब शासन और प्रशासन की ओर इस तरह के मामले में इन जैसे प्राचार्यों का साथ दिया जाता है।दरअसल लड़कियों के लिए सुरक्षित जगह जो मानी जाती है वह उसका घर, स्कूल और रिश्तेदार होते हैं। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि यौन शोषण, रेप और प्रताड़ना के मामले इन विश्वास के रिश्तों में ही होते हैं। बेतिया कॉलेज में छात्राओं ने सीएम नीतीश को तब जाकर पत्र लिखा जब उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। इस मामले में यह बात निकलकर सामने आई कि इन छात्राओं ने प्रभारी प्राचार्य की करतूतों की तस्वीरें दिखाकर विभाग को इस बात की जानकारी दी थी। पता चला है कि छात्राओं की शिकायत के बाद नर्सिंग संस्थान के निदेशक प्रमुख डॉ. सुनील कुमार झा ने इस मामले में बेतिया के सिविल सर्जन को जांच का आदेश भी दिया था। जांच के बाद बेतिया के सीएस ने प्रभारी को दोषी मानते हुए अपनी रिपोर्ट भी भेजी थी पर हैरानी की बात यह है इस प्रभारी प्राचार्य पर अब तक किसी की तरह की कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
इसी तरह का मामला कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज का भी है। इस कॉलेज का प्राचार्य संदीप घोष भी अनैतिक कार्यों में लिप्त रहता था। उसके बारे में पता चला है कि वह अपने चहेते छात्रों के साथ शराब पीता था। मनमानी करता था। उसके खिलाफ भी छात्राओं ने तमाम शिकायतें की पर उसका कुछ बिगाड़ न सका। जिसका परिणाम कोलकाता रेप और हत्या कांड सामने है। यह शासन और प्रशासन का नाकारापन ही रहा कि ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या कर दी गई। अब इस मामले में सीबीआई जांच बैठी हुई है। पर क्या इस तरह के मामले शिकायतों की अनदेखी करने और संदीप घोष जैसे लोगों को बढ़ावा देने के कारण नहीं होते हैं।