
भारी पड़ेगा कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना
नई दिल्ली/भोपाल। मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने घर बैठे आफत मोल ली है। इसे उनकी मानसिकता कहें या फिर समझ की कमी उन्होंने एक तरह से कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन कह दिया। कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए उनके विवादित बयान के कारण अत्यंत संकट पूर्ण हो गई है। इस बयान के चलते उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत स्थिति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई:
जबलपुर हाईकोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए स्वतः संज्ञान लेते हुए 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करने का आदेश दिया। FIR दर्ज हो चुकी है, जिसमें गंभीर आपराधिक धाराएँ शामिल हैं।
विजय शाह ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया और उनकी भाषा पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सोच-समझकर बोलना चाहिए। अगली सुनवाई शुक्रवार (16 मई 2025) को होगी।
राजनीतिक दबाव:
कांग्रेस की मांग: कांग्रेस पार्टी विजय शाह के इस्तीफे और उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले की मांग कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने उनके बंगले पर प्रदर्शन किया और उनके नेमप्लेट पर कालिख पोती।
बीजेपी का रुख: बीजेपी के भीतर भी विजय शाह के बयान की निंदा हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है। पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी है, और कुछ नेताओं ने कर्नल सोफिया के परिवार से मुलाकात की है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, और संगठन के साथ उनकी कुर्सी को लेकर मंथन चल रहा है।
सार्वजनिक और मीडियाई प्रतिक्रिया:
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इसे “महिला विरोधी” और “सेना का अपमान” करार दिया।
विजय शाह की प्रतिक्रिया:
उन्होंने पार्टी से कोर्ट में पक्ष रखने के लिए समय माँगा है, और अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है।
भविष्य की संभावनाएं:
विजय शाह का भविष्य निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:
कानूनी परिणाम:
देशद्रोह या अन्य गंभीर धाराओं में दोषी पाए जाने पर उनकी राजनीतिक छवि और करियर को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
पार्टी का निर्णय:
हालाँकि, कुछ सूत्रों का कहना है कि इस्तीफे पर अभी सहमति नहीं बनी है, और पार्टी डैमेज कंट्रोल के लिए अन्य कदम उठा सकती है।
उमा भारती जैसे वरिष्ठ नेताओं का दबाव और पार्टी के भीतर असंतोष उनकी स्थिति को और कमजोर कर सकता है।
सार्वजनिक धारणा:
यदि जनता और सोशल मीडिया पर विरोध बढ़ता है, तो बीजेपी को मजबूरन सख्त कदम उठाना पड़ सकता है।
पार्टी की रणनीति:
यदि पार्टी उन्हें बचाने का प्रयास करती है, तो यह विपक्ष को बीजेपी की “महिला विरोधी” और “सांप्रदायिक” छवि को और उभारने का मौका दे सकता है।
संभावित परिदृश्य:
कम संभावित: यदि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती है और पार्टी उनका बचाव करती है, तो वे मंत्री पद पर बने रह सकते हैं, लेकिन उनकी छवि को गंभीर नुकसान होगा।
कम से कम संभावित: गिरफ्तारी और लंबे कानूनी मुकदमे की स्थिति में उनकी राजनीतिक पारी समाप्त हो सकती है, विशेष रूप से यदि जनता का दबाव बढ़ता है।