बिहार में अगले दो-तीन दिनों तक बारिश की बहुत कम सम्भावना : मौसम वैज्ञानिक

उत्तर बिहार के जिलों में 28 मई के बाद कहीं कहीं हल्की वर्षा होने की अनुमान

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 25-30 मई, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमानित अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के से मध्यम बादल छाये रह सकते हैं।

उत्तर बिहार में अगले दो-तीन दिनों तक बारिश की बहुत कम सम्भावना है। उसके बाद वर्षा की संभावना में थोड़ी वृद्धि होने का अनुमान है। जिसके कारण 28 मई के बाद कहीं कहीं हल्की वर्षा हो सकती है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 36-39 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 22-24 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है।

शुक्रवार के तापमान पर एक नजर डालनें पर अधिकतम तापमानः 36.5 डिग्री सेल्सियस, जो सामान्य से 0.1डिग्री सेल्सियस अधिक एवं न्यूनतम तापमानः 26.0 डिग्री सेल्सियस, जो की सामान्य से 0.7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है।सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 50 से 55 प्रतिशत रहने की संभावना है।

पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 18 से 25 कि0मी0 प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा हवा चलने का अनुमान है।

समसामयिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि विगत दिनों में उत्तर बिहार में अनेक स्थानों पर मध्यम वर्षा भी हुई है, जिसके चलते खेतों में नमी आ गई है। अगले 2 से 3 दिनों के बाद फिर कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की सम्भावना को देखते हुए किसान भाईयों को कृषि कार्यों में सर्तकता बरतने की आवश्यकता है।

रबी मक्का की दौनी एवं दाने सुखाने में विशेष सावधानी रखें। मूंग एवं उरद् की तैयार फलियों की तुराई अविलंब कर लें लम्बी अवधि वाले धान की किस्में जैसे राजश्री, राजेन्द्र मंसुरी, राजेन्द्र स्वेता, किशोरी, स्वर्णा, स्वर्णा सब-1 वी०पी०टी०-5204 एवं सत्यम की नर्सरी लगा सकते हैं। र्नसरी के लिए खेत की तैयारी करें। स्वस्थ पौध के लिए र्नसरी में सड़ी हुई गोबर की खाद का व्यवहार करे।

नर्सरी में क्यारी की चौराई 1.25-1.5 मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार रखें। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई हेतु 800-1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की नर्सरी तैयार करें। बीज की व्यवस्था प्रमाणित स्त्रोत से करें। बीज गिराने के पूर्व बीजोपचार अवश्य कर लें।

लीची तोड़ने के बाद लीची के बगीचों की जुताई कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करे। प्रति प्रौढ़ पेड़ 60 से 80 किलोग्गाम कम्पोस्ट अथवा गोबर की सड़ी खाद, 2.5 किलोग्गाम यूरिया, 1.5 किलोग्ाम सिंगल सुपर फॉसफेट, 1.3 किलोगाम म्युरेट ऑफ पोटाष तथा 50 ग्राम सुहागा के मिश्रण को बृक्ष के पूरे फैलाव में समरुप बिछा कर मिट्टी में मिला दें।

अदरक की बुआई करें। अदरक की मरान एवं नदिया किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। खेत की जुताई में 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद, नेत्रजन 30 से 40 किलोग्राम, स्फूर 50 किलोग्राम, पोटास 80 से 100 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 20 से 25 किलोग्राम एवं बोरेक्स 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करे।

अदरक के लिए बीज दर 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें। बीज प्रकन्द का आकार 20-30 ग्राम जिसमें 3 से 4 स्वस्थ कलियाँ हो। रोपाई की दूरी 30×20 से०मी० रखे। अच्छे उपज के लिए रीडोमिल दवा के 0.2 प्रतिशत घोल से उपचारित बीज की बुआई करें।

खरीफ मक्का की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। खेत की जुताई में 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करे। बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पोटाष का व्यवहार करें। उत्तर विहार के लिए अनुशंसित मक्का की किस्में जैसे सुआन, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 है। भिंडी की फसल में फल एवं प्ररोह वेधक कीट की निगरानी करें।

इसके पिल्लू भिंडी फलों के अन्दर छेद बनाकर उसके अन्दर घुसकर फलों को खाते हैं तथा इसे पूरी तरह नष्ट कर देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम प्रभावित फलों को तोड़कर मिट्टी के अन्दर दबा दें। अधिक नुकसान होने पर डाईमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.5 मि०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव आसमान साफ रहने पर ही करें। लत्तर वाली सब्जियों में फल मक्खी कीट की निगरानी करें। किसान भाई अब बुआई कर सकते है।

भिंडी की फसल में फल एवं प्ररोह वेधक कीट की निगरानी करें। इसके पिल्लू भिंडी फलों के अन्दर छेद बनाकर उसके अन्दर घुसकर फलों को खाते हैं तथा इसे पूरी तरह नष्ट कर देते हैं। इसकी रोकथाम के लिए सर्वप्रथम प्रभावित फलों को तोड़कर मिट्टी के अन्दर दबा दें। अधिक नुकसान होने पर डाईमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.5 मि०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। लत्तर वाली सब्जियों में फल मक्खी कीट की निगरानी करें।
किसान भाई मई के अन्त तक सभी दुधारू पषुओं को गलघोटु एवं लंगड़ी बीमारीयों से बचने के लिए टिका लगायें।

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