
पाकिस्तान से युद्ध के समय रूस से ख़रीदे गए हथियारों के साथ ही स्वनिर्मित हथियारों के सफल इस्तेमाल से बौखला हुआ है अमेरिका !
नई दिल्ली। भले ही पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना मित्र बताते रहे हों, भले ही मोदी अमेरिका में अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा लगा आये हों, नमस्ते ट्रंप के नाम पर अमहदाबाद में 100 करोड़ रुपए खर्च का दिए हों पर भारत और पाकिस्तान युद्ध में सीजफायर कराने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह भारत का रूस से हथियार खरीदना और अपने यहां हथियार बनाना है। अमेरिका के बौखलाने के पीछे पाकिस्तान से युद्ध के समय रूस से ख़रीदे हथियार के साथ ही स्वनिर्मित हथियारों का इस्तेमाल होना बताया जा रहा है।
आर्थिक प्रगति और स्वतंत्रता
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और यह जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। भारत का ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक विकल्प के रूप में उभरना, जैसे कि Apple का भारत में रिटेल स्टोर खोलना, अमेरिका के लिए आर्थिक प्रतिस्पर्धा का संकेत देता है। हालांकि, अमेरिका द्वारा भारत के संरक्षणवादी नीतियों, जैसे जीएसपी (वरीयता सामान्यीकृत प्रणाली) लाभ वापस लेने, को लेकर आलोचना भी की गई है।
अमेरिका और चीन के बीच हाल के व्यापार समझौतों, जैसे चीन पर आयात शुल्क कम करना, को भारत के लिए एक रणनीतिक झटके के रूप में देखा जा रहा है।
फिर भी, भारत-अमेरिका संबंध 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक माने जाते हैं। दोनों देश क्वाड, रक्षा सहयोग (जैसे LEMOA, COMCASA, BECA), और प्रौद्योगिकी (iCET) में सहयोग कर रहे हैं।
भारतीय प्रवासियों का अमेरिका में बढ़ता प्रभाव और सॉफ्ट पावर भी संबंधों को मजबूत करता है।