“जिंदा लोगों की फोटो लेना गुनाह”, तालिबान का नया फरमान

जरा सोचिए अगर हमारे देश में एक ऐसा कानून आजाये की जिसमे ‘जिंदा चीजों’ के फोटो या वीडियो लेने पर पाबंदी लगा दी जाए , तो क्या होगा , जिस फोन से आप दिन भर में कई बार खुद की तस्वीर लेते है, अगर अब वो बंद कर दिया जाए तो कैसा रहेगा , लेकिन एक देश ऐसा है जहा ये कानून लागू किया जा रहा है।  सुन कर आजीब जरूर लगा होगा लेकिन हमारी आज की ये खबर 100 प्रतिशत सही है ।  अब क्या है ये पूरा मामला चलिए आपको बताते है।

हम बात कर रहे है अफगानिस्तान की ,जहा जब से तालिबानी सरकार सत्ता पर काबिज हुई है, तभी से लगातार नए नए फरमान जारी किए जा रहे हैं। इसी क्रम में तालिबान ने एक और नया फरमान जारी किया है। जिसे सुनने के बाद आप भी यही कहेंगे की अरे ये क्या बचकानी हरकत है । हाल फिलहाल में वैसे तो तलिबनियों ने अफगानिस्तान में कई नाये कानूनों की शुरुवात की जिससे वहा रेह रेह रहे लोग भी परेशान है । वहीं अब उन्होंने एक अनोखा आदेश जारी किया है, जिसके तहत उन्होंने जीवित इंसानों और जानवरों की तस्वीर लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनका मानना है की इस्लामिक कला में इंसानों और जानवरों की तस्वीरें लेना गलत है।
बताया जाता है कि जिस नए कानून को इस देश में लाया जारहा है ।  ये कोई ढाई दशक पुराना कानून है, जिसे फिर लागू कर दिया है। जानकारी के अनुसार जिस कंधार से निकलकर पूरे मुल्क में तालिबान फैला। वहां शरीयत की आहट सुनाई दे रही है। नए फरमान के अनुसार कांधार में अधिकारी अब ‘जिंदा चीजों’ के फोटो या वीडियो नहीं ले पाएंगे। तालिबानी आदेश में कहा गया है कि ऐसा करने से फायदे से कहीं ज्यादा नुकसान होता है। कांधार के लिए जारी यह आदेश उस काले दौर की याद दिलाता है, जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज था। 1996 से 2001 के बीच, अफगानिस्तान में टेलीविजन तक बैन था। तब भी जिंदा लोगों की तस्वीरें लेने पर पाबंदी थी। कांधार गवर्नर के प्रवक्ता ने एक अंतरराष्ट्रीय न्‍यूज एजेंसी से बातचीत में फरमान की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध आम जनता और ‘स्‍वतंत्र मीडिया’ पर लागू नहीं हैं। सिविल और मिलिट्री अधिकारियों को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि “अपनी formal और informal meetings में जीवित चीजों की तस्वीरें लेने से बचें, क्योंकि इससे फायदे की तुलना में ज्यादा नुकसान होता है।” फरमान के मुताबिक, टेक्‍स्‍ट और ऑडियो की इजाजत है।

कांधार : जहां जन्मा तालिबान

तालिबान ने अपनी जड़ें अफगानिस्तान के दक्षिणी हिस्से में स्थित कांधार से ही जमानी शुरू की थीं. राजधानी काबुल के बाद कांधार, अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. सितंबर 1994 में मुल्ला मोहम्मद उमर ने यहीं से तालिबान की शुरुआत की थी. नवंबर 1994 में तालिबान ने कांधार पर कब्जा कर दिया था. अगले साल तक अफगानिस्तान के 12 प्रांतों पर तालिबान का कब्जा हो चुका था. धीरे-धीरे तालिबान ने कांधार को बेस बनाते हुए पूरे अफगानिस्तान पर हुकूमत जमा ली. 1996 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, तब भी मुल्ला उमर ने कांधार को एक तरह से तालिबान की राजधानी बनाए रखा. 1998 आते-आते करीब 90% अफगानिस्तान पर तालिबान का राज हो गया. 9/11 के बाद अमेरिका ने अलकायदा की जड़ें काटने के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया. तालिबान सत्‍ता से बाहर हो गया. महज दो दशक बाद ही, 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर फिर से नियंत्रण कर लिया. जिस अमेरिका ने उसे 2001 में उखाड़ फेंका था, उसी ने तालिबान को काबुल के तख्त पर बिठाया. काबुल राजधानी रहा लेकिन कांधार लगातार तालिबान का ऐतिहासिक और राजनीतिक गढ़ बना हुआ है.

तालिबान के अजब-गजब फरमान

– अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा करते ही, तालिबान ने लड़कियों के लिए सेकेंडरी एजुकेशन बैन कर दी थी.
– नवंबर 2022 में काबुल के पार्कों और जिमों में महिलाओं के जाने पर रोक लगा दी गई थी.
– दिसंबर 2022 में, तालिबान ने महिलाओं का यूनिवर्सिटी जाना भी प्रतिबंधित कर दिया.
– जनवरी 2023 में तालिबान ने बाल्ख प्रांत में पुरुष डॉक्टरों के महिला मरीजों का इलाज करने पर रोक लगाई थी.
– जुलाई 2023 में तालिबान ने महीने भर के भीतर सारे ब्‍यूटी सलून बंद करने का फरमान जारी किया था.

 

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