
राष्ट्रीय महासचिव संदीप पांडेय ने जताई दोनों पक्ष के युद्ध विराम का पालन करने की उम्मीद
नई दिल्ली। सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पांडेय ने सीजफायर का स्वागत किया है। पहलगाम के आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों को तबाह करने और दूसरे मामलों में भारत के उन्मादी मीडिया ने भी गैर-ज़िम्मेदाराना रवैया अख्तियार कर अपने द्वारा गढ़े गए आख्यान से उनके उद्देश्य में उनकी मदद ही की। सौभाग्य से मीडिया देश में सांप्रदायिक दरार पैदा करने में सफल नहीं हुई, लेकिन देश में युद्धोन्माद पैदा करने में उन्हें सफलता जरूर मिली। सौभाग्य से 10 मई को दोनों पक्षों की ओर से युद्ध विराम की घोषणा ने दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध को रोक दिया है, हालांकि इसका सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष युद्ध विराम का पूरी तरह से पालन करेंगे।
दरअसल युद्ध से आज तक किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। अपने पड़ोसी के साथ हमेशा संघर्ष की स्थिति में रहने से हमारा खुद का भी भला नहीं होगा। उल्टे युद्ध आतंकवाद को खत्म करने के मुख्य मुद्दे को दरकिनार कर देगा। आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है और इसे पड़ोसियों के साथ युद्ध से हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए रणनीतिक सहयोग, आतंकवादी समूहों की लगातार तलाश और सुरक्षा और खुफिया खामियों को दूर करने की आवश्यकता है।
समस्या का संभावित समाधान पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना है। कहीं न कहीं, किसी को तो इसकी शुरुआत करनी ही होगी। दोनों देशों के बीच बातचीत और उसके बाद विश्वास बहाली के उपाय लागू करने और अंततः आतंकवाद को खत्म करने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करने की ज़रूरत है। हमें याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान ने भी वहां आतंकवादी घटनाओं के लिए भारी कीमत चुकाई है।
इसलिए, हम मांग करते हैं कि भारत सरकार पाकिस्तान में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई वर्तमान सरकार से बातचीत शुरू करे और दोनों देशोंमें आतंकवाद को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए एक संयुक्त ऑपरेशन समूह बनाया जाए और दोनों देशों के बीच स्थायी शांति और मित्रता स्थापित करने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जाएँ।
साथ ही हमारा मानना है कि कश्मीर में होने वाली आतंकवादी घटनाओं को हमें कश्मीर के मुद्दे से अलग करके देखने की गलती नहीं करनी चाहिए। कश्मीर के मसले का स्थायी हल ढूँढे बगैर वहाँ शांति की उम्मीद बेमानी लगती है। कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान देना ज़रूरी होगा –
(1) कश्मीर मुद्दे को कश्मीरी लोगों की भागीदारी के बिना बातचीत के बिना हल नहीं किया जा सकता। कश्मीर में आतंकवाद कश्मीर समस्या का केवल एक लक्षण है।
(2) पाकिस्तान से बदला लेने और उसे सबक सिखाने के लिए छेड़े गए युद्ध के लिए नियंत्रण रेखा को युद्ध के मैदान में बदल दिया गया है, जिससे दोनों तरफ के लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है। सरकार को इसे संज्ञान में लेना चाहिए।
(3) पहलगाम हमले के बाद हुई झड़पों में भी जम्मू-कश्मीर में 20-25 लोग मारे जा चुके हैं। और इस तरह पहलगाम हमले में हुई 26 पर्यटकों की मौत का बदला लेने के लिए हमने युद्ध के छेड़ कर उतने ही या शायद उससे भी ज़्यादा और भारतीय नागरिकों की बली चढ़ा दी है।
(4) आम निर्दोष कश्मीरियों को आसानी से आतंकवादी करार दिया जाता रहा है। इसका एक ताज़ा उदाहरण है पाकिस्तान के हमले में मारे गए कारी मोहम्मद इकबाल, जो पुंछ के एक मदरसे में शिक्षक थे। ये बहुत शर्मनाक और निंदनीय है कि उन्हें बगैर किसी आधार के भारतीय मीडिया द्वारा झूठा लश्कर-ए-तैयबा का नेता बताया गया। हमें समझना होगा कि ऐसी हरकतें कश्मीर के लोगों पर बेहद नकारात्मक असर डालती हैं।