अगले 3 दिनों तक प्रचंड लू की स्थिति बने रहने की सम्भावना

 

सुभाष चंद्र कुमार
समस्तीपुर पूसा। डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 20-24 अप्रैल, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल देखे जा सकते हैं। हाँलाकि इस अवधि में मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है।

अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है, जिसके कारण अधिकतम तापमान 39-42 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। जबकि न्यूनतम तापमान 23-26 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। अगले 3 दिनों तक प्रचंड लू की स्थिति बने रहने की सम्भावना है। वही शुक्रवार के तापमान पर एक नजर डालें तो अधिकतम तापमान 36.4 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.3 डिग्री सेल्सियस अधिकएवं न्यूनतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है।

पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 14 से 18 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की सम्भावना है।सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 60 से 70 प्रतिशत तथा दोपहर में 30 से 40 प्रतिशत रहने की संभावना है।समसामयिक सुझाव देते हुए मौसम वैज्ञानिक के अनुसार पूर्वानुमानित अवधि में शुष्क मौसम की संभावना को देखते हुए किसान भाई गेहूँ एवं अरहर की कटनी तथा दौनी प्राथमिकता देकर संपन्न करें।

खड़ी फसलों में सिंचाई शाम के समय में करें। ध्यान दें कि, सिंचाई करते समय हवा की गति कम हों।बसंतकालीन मक्का की फसल जो घुटने की ऊचाई के बराबर हो गयी हो, मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। आवश्यक नमी हेतु सिंचाई करें। इन फसलों में तना छेदक कीट की निगराणी करें। शुष्क एवं गर्म मौसम इस कीट के फैलाव के लिए अनुकूल वातावरण है।

अण्डे से निकलने के बाद इस कीट की छोटी-छोटी सुडियों मक्का की कोमल पत्तियों को खाती है तथा मध्य कलिका की पत्तियों के बीच घुसकर तने में पहुंच जाती है तथा गुदा को खाती हुई जड़ की तरफ बढ़ते हुए सुरंग बनाती है। फलस्वरुप मध्य कलिका मुरझाई हुई नजर आती है जो बाद में सुख जाती है। इस प्रकार पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं उपज में काफी कमी आती है।

इस कीट के रोकथाम हेतु क्लोरपाईरिफॉस 20 ई०सी० दवा का 2.5 मि०ली०/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल में समान रूप से छिडकाव करें।
हल्दी एवं अदरक की बुआई के लिए खेत की तैयारी करें। खेत की जुताई में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डाले। 15 मई से किसान भाई हल्दी एवं अदरक की बुआई कर सकते हैं।

गरमा सब्जियों जैसे भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा की फसल में आवश्यकतानुसार निकाई-गुडड़ाई एवं सिंचाई करें। सब्जियों में कीट एवं रोग-व्याधि की निगरानी प्राथमिकता से करते रहें। कीट का प्रकोप इन फसलों में दिखने पर मैलाथियान 50 ई०सी० या डाइमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1 मि० ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।

ओल की फसल की रोपाई शीघ्र संपन्न करें। रोपाई के लिए गजेन्द्र किस्म अनुशंसित है। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा मिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें उसके बाद उपचारित कन्द को लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके।

आम के पेड़ में मिलीबग (दहिया कीट) की निगरानी करें। यह कीट चिपटे गोल आकार के पंखहीन तथा शरीर पर सफेद दही के रंग का पॉउडर चिपका रहता है। यह आम के पेड़ में मुलायम डालों और मंजर वाले भाग में बहुतो की संख्या में चिपका हुआ देखा जा सकता है तथा यह उन हिस्सों से लागातार रस चुसता रहता है जिससे अक्रान्त भाग सुख जाता है तथा मंजर झड़ जाते हैं।

इस कीट से रोकथाम हेतु डाइमेथोएट 30 ई०सी० दवा का 1.0 मि०ली०/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर पेड़ पर समान रुप से छिडकाव करें। फल बनने के दौरान आम के बगीचे में नमी का रहना अति आवश्यक है।लीची के पेड़ में फल बेधक कीट के शिशु जो उजले रंग के होते हैं। यह फलों के डंठल के पास से फलो में प्रवेश कर गुदे को खाते हैं जिससे प्रभावित फल खाने लायक नहीं रहता।

इस कीट से बचाव हेतु लीची के पत्तियों एवं टहनियों पर प्रोफेनोफॉस 50 ई०सी० का 10 मि०ली० या कार्बारिल 50 प्रतिशत घुलनशील पॉवडर का 20 ग्राम दवा को 10 लीटर पानी में घोलकर अप्रैल माह में 15 दिनों के अन्तराल पर प्रति पेड़ की दर से दो छिड़काव करें।किसान भाई लीची के बगीचों में नमी बनाये रखें। • गर्मीयो में दुधारू पशुओं को सुखा चारा की मात्रा कम दें और दाना की मात्रा बढ़ा दें।

दाना में तिलहन अनाज का प्रयोग करें। चारा दाना प्रातः 5:00 बजे और शाम में धुप खत्म होने के बाद ही दें। साफ ठंढ़ा पानी पुरे समय दें। प्रत्येक व्यस्क पशुओं को 50 गाम खनीज-विटामिन मिश्रण एवं 50 गाम नमक दें। किलनी एवं अठगोढ़वा के नियंत्रण के लिए पलूमेथ्रीन इप्रीनोमेक्टीन या अमितराज दवाओं का प्रयोग करें।

प्याज फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें। थ्रिप्स की संख्या अधिक पाये जाने पर प्रोफेनोफॉस 50 ई०सी० दवा का 1.0 मि०ली० प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड दवा का 1.0 मी.ली. प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।

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