
चरण सिंह
देश की जनता ने पहले और दूसरे चरण के मतदान में बता दिया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी से नाराज है। पर विपक्ष के नेता जनता की नाराजगी का रुख अपनी ओर नहीं कर पा रहे हैं। विशेष रूप से कांग्रेस के जो निर्णय हो रहे हैं वह न केवल विपक्ष बल्कि लोगों में भी निराशा का भाव भर दे रहे हैं। क्या कांग्रेस में राहुल गांधी के सामने किसी की नहीं चल रही है ? क्या पूरी की पूरी कांग्रेस राहुल गांधी के निर्णय के साथ हो ले रही है। यदि नहीं तो फिर अमेठी में बचकाना निर्णय क्यों ?
अमेठी कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार राहुल गांधी को वहां से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन तक दे दिया राहुल गांधी हैं कि राय बरेली से पर्चा भर दिया। राहुल गांधी ने यह सब तब किया है जब अमेठी से स्मृति ईरानी लगातार उन्हें ललकार रही हैं।
बीजेपी तो वायनाड से चुनाव लड़ने पर पहले ही उन्हें भगोड़ा ठहरा दे रही थी। अब जब उन्होंने अमेठी छोड़ रायबरेली से पर्चा भर दिया है तो बीजेपी को बोलने का मौका तो उन्होंने ही दिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के बर्दवान से कहा है कि डरो मत भागो मत, उन्होंने कहा कि वह तो पहले ही कह रहे थे कि विपक्ष की सबसे बड़ी नेता भागेंगी। सोनिया गांधी रायबरेली छोड़ राज्यसभा चली गईं। मैंने कहा कि राहुल गांधी वायनाड से भी भागेंगे। वहां से वह चुनाव हार रहे हैं। मैंने कहा कि अमेठी से भागेंगे। यहां से भाग गये और रायबरेली में जाकर पर्चा भर दिया। प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कह दिया है कि अब न कोई ओपिनियन पोल की जरूरत है और न ही परिणाम की। परिणाम तो घोषित हो चुके हैं। मतलब राहुल गांधी का अमेठी से चुनाव न लड़ना। हार मानना।
राहुल गांधी को यह समझ लेना चाहिए कि वह जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमला बोलते हैं और बात बात में ललकारते हैं। अब प्रधानमंत्री हर भाषण में उन्हें टारगेट करेंगे। बीजेपी का छोटा से छोटा नेता कुछ भी नहीं समझेगा। राहुल गांधी के इस निर्णय से तो ऐसा ही लग रहा है कि वह अमेठी से चुनाव लड़ने से डर रहे हैं। रायबरेली से वह जीत भी जाते हैं तो अमेठी को लेकर बीजेपी उन्हें घेरने से बाज नहीं आएगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा क अमेठी से भी हारे और राय बरेली से भी हारेंगे। राहुल गांधी के इस निर्णय से बीजेपी ने न केवल कांग्रेस बल्कि पूरे के पूरे विपक्ष को बैकफुट पर धकेल दिया है। अब जब भी राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घरेंगे, तभी बीजेपी के नेता यह कहकर उनको चुप कराने की कोशिश करेंगे कि जब तुम स्मृति ईरानी से ही डरकर भाग गये तो फिर प्रधानमंत्री को किस हैसियत से ललकार रहे हो।
अमेठी से चुनाव लड़ने वाले केएल शर्मा सोनिया गांधी के प्रतिनिधि हैं। वह लंबे समय से गांधी परिवार को चुनाव लड़ते आ रहे हैं। सोनिया गांधी तो पर्चा भरकर आ जाती थीं। केएल शर्मा ही रहे हैं जो उनको चुनाव लड़ाते थे। ऐसे में यह तो कह सकते हैं कि सोनिया गांधी ने अपने विश्वसनीय नेता को टिकट दिया है पर राजनीति में कोई किसी का नहीं होता है। ऐसे में यह भी कहा सकता है कि भले ही राहुल गांधी और केएल शर्मा दोनों ही चुनाव जीत जाएं पर राहुल गांधी के अमेठी से जीतने पर जो धमाका होता वह धमाका अब रायबरेली से नहीं होने वाला है।