
नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी के बाद भारत ने पाकिस्तान की चौतरफा घेराबंदी की है। भले ही आतंकी ठिकाने ध्वस्त किये गए हों पर टारगेट पाकिस्तान ही किया गया है। भले ही सीज फायर कर दिया गया हो हमारी सेना लगातार संदेश दे रही है कि सिंदूर ऑपरेशन अभी स्थगित किया गया रद्द नहीं। मतलब पाकिस्तान को कभी भी सबक सिखाया जा सकता है। भले ही अमेरिका पाकिस्तान में व्यापार करने की रणनीति बना रहा हो पर भारत अमेरिकी राष्ट्रपति के दबाव में नहीं आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बावजूद एप्पल के सीईओ टिम कुक ने आईफोन कंपनी भारत में लगाने की निर्णय लिया है। मतलब भारत की विदेश नीति कारगर साबित हो रही है।
दरअसल पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को विपक्ष लगातार घेर रहा है। सीज फायर की जानकारी डोनाल्ड ट्रंप के देने के बाद भी केंद्र सरकार की किरकरी हुई है। इसमें दो राय नहीं कि सरकार ने हमले को पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी नेटवर्क से जोड़ा और कई निर्णायक कदम उठाए, जो इसकी “आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” नीति को दर्शाते हैं।
पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों में कटौती
सिंधु जल संधि को निलंबित करना : भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया, जब तक पाकिस्तान क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
अटारी-वाघा सीमा बंद: भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया।
पाकिस्तानी नागरिकों और दूतावास पर कार्रवाई: सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया, और पाकिस्तानी दूतावास के कुछ राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए कहा गया।
पाकिस्तानी वीजा रद्द: भारत ने सभी प्रकार के पाकिस्तानी वीजा तत्काल रद्द कर दिए और भारतीय नागरिकों से पाकिस्तान से तुरंत लौटने का आग्रह किया।
आतंकवाद के खिलाफ सैन्य और रणनीतिक कार्रवाई:
ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया। यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के प्रति कठोर नीति का हिस्सा थी।
सीमा पर तनाव: हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की गई, जिसका भारतीय सेना ने जवाब दिया।
सुरक्षा व्यवस्था में वृद्धि: पहलगाम और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कूटनीति:
प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना : भारत ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने की योजना बनाई, जिसमें विभिन्न दलों के नेता और सांसद शामिल हैं, ताकि वैश्विक मंचों पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूती से रखा जाए और पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के खिलाफ सहयोग मांगा जाए।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने हमले के बाद पीएम मोदी से बात कर संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाई। इजराइल, अमेरिका और स्पेन के राजदूतों ने भी समर्थन जताया, विशेष रूप से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
आलोचनाओं का सामना:
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि हमले से तीन दिन पहले पीएम मोदी को खुफिया रिपोर्ट मिली थी, और इसे खुफिया विफलता बताकर सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए।
हालांकि, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार के जवाब को “बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित” बताया।
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में सरकार पर आंतरिक सुरक्षा विफलता छिपाने के लिए पाकिस्तान को बहाना बनाने का आरोप लगा।
अटारी-वाघा सीमा बंद: भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर चेकपोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया।
पाकिस्तानी नागरिकों और दूतावास पर कार्रवाई: सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया, और पाकिस्तानी दूतावास के कुछ राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए कहा गया।
पाकिस्तानी वीजा रद्द: भारत ने सभी प्रकार के पाकिस्तानी वीजा तत्काल रद्द कर दिए और भारतीय नागरिकों से पाकिस्तान से तुरंत लौटने का आग्रह किया।
आतंकवाद के खिलाफ सैन्य और रणनीतिक कार्रवाई:
ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया। यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के प्रति कठोर नीति का हिस्सा थी।
सीमा पर तनाव: हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की गई, जिसका भारतीय सेना ने जवाब दिया।
सुरक्षा व्यवस्था में वृद्धि: पहलगाम और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कूटनीति:
प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना : भारत ने सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजने की योजना बनाई, जिसमें विभिन्न दलों के नेता और सांसद शामिल हैं, ताकि वैश्विक मंचों पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूती से रखा जाए और पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के खिलाफ सहयोग मांगा जाए।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने हमले के बाद पीएम मोदी से बात कर संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाई। इजराइल, अमेरिका और स्पेन के राजदूतों ने भी समर्थन जताया, विशेष रूप से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
आलोचनाओं का सामना:
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि हमले से तीन दिन पहले पीएम मोदी को खुफिया रिपोर्ट मिली थी, और इसे खुफिया विफलता बताकर सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए।
हालांकि, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार के जवाब को “बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित” बताया।
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में सरकार पर आंतरिक सुरक्षा विफलता छिपाने के लिए पाकिस्तान को बहाना बनाने का आरोप लगा।
चीन और अन्य देशों की प्रतिक्रिया:
चीन ने पहलगाम हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की और भारत-पाकिस्तान से बातचीत के जरिए तनाव कम करने का आग्रह किया। पाकिस्तान ने रूस और चीन को जांच में शामिल करने की मांग की, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया।