म्यांमार का गृह युद्ध भारत और चीन की सीमा तक पहुंचा, हार रही सेना, क्या गद्दी छोड़ेंगे सैन्‍य तानाशाह मिन?

नाएप्यीडॉ। बीते काफी समय से गृहयुद्ध से जूझ रहे म्यांमार के जुंटा नेता जनरल मिन आंग ह्लाइंग के हालिया संबोधन ने नई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। उनके पद से हटने के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, सैन्य तानाशाह मिन आंग का टेलीविजन पर नए साल का संबोधन बहुत ही छोटा, सिर्फ पांच मिनट का रहा। उनके संबोधन में इस बात का कोई उल्लेख नहीं था कि सेना ने दो महीनों में विद्रोही बलों के हाथों करीब एक दर्जन शहर खो दिए हैं। उन्होंने फरवरी 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमार में जो हुआ है, उसके लिए विद्रोहियों को दोषी ठहराया और किसी समूह का नाम लिए बिना क्षेत्रवाद के प्रति आगाह किया।

जुंटा नेता ने इस साल के आखिर में होने वाली जनसंख्या जनगणना में सहयोग करने की भी अपील की गई, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि आम चुनाव के लिए इसकी आवश्यकता है। जुंटा ने सत्ता पर कब्जा करने के एक साल बाद चुनाव कराने की बात कही थी। बाद में तारीख अगस्त 2023 तक के लिए टाल दी गई। अब कोई नहीं जानता कि चुनाव कब होगा। जनरल के संबोधन के कुछ ही दिनों बाद विद्रोहियों ने शान राज्य में कोकांग स्व-प्रशासित क्षेत्र की राजधानी लौक्कई पर कब्जा कर लिया। इस दौरान सैन्य कमान के 2400 सैनिकों ने सरेंडर किया। विद्रोहियों ने भारत और चीन की सीमा की अहम चौकियों पर भी कब्जा कर लिया है।

क्या पद से हटेंगे तानाशाह मिन

स्ट्रैट न्यूज ग्लोबल के मुताबिक, ब्रदरहुड अलायंस का ऑपरेशन 1027 पिछले साल 27 अक्टूबर को तीन जातीय सशस्त्र समूहों- म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए), ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) औ अराकान आर्मी (एए) ने शुरू किया। अराकान आर्मी ने एक दर्जन शहरों और 400 से अधिक जुंटा चौकियों पर कब्जा करते हुए काफी तेज अभियान चलाया है। सेना की बुरी हार के बाद मिन आंग ह्लाइंग की नेतृत्व शैली और प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ जनरल थान श्वे राज्य प्रशासन परिषद के नेतृत्व में बदलाव करते हुए मिन आंग ह्लाइंग के की जगह जनरल सो विन को लाना चाहते हैं। जल्दी ही ऐसा हो जाने की संभावना भी है। ऐसे में जल्दी ही तानाशाह मिन आंग की विदाई हो सकती है।

म्यांमार सेना में कई बदलाव हो रहे हैं। पहले वायु सेना प्रमुख को बदला गया, फिर नौसेना प्रमुख को स्थानांतरित किया गया और पिछले एक महीने में मिन आंग ह्लाइंग के करीबी माने जाने वाले तीन लेफ्टिनेंट जनरलों को भी हटा दिया गया। इसके बाद अगला नंबर मिन आंग का हो सकता है। जिस तरह से सेना आत्मसमर्पण कर रही है, उसे रोकने के प्रयास के तौर पर भी इन बदलावों को देखा जा रहा है। दरअसल, सेना के लोग तख्तापलट अपने परिणाम हासिल करने में विफल रहे हैं। मिन आंग ह्लाइंग चुनाव कराने के लिए निर्धारित समय सीमा से भी आगे निकल गए हैं। म्यांमार में गुस्सा न केवल जुंटा नेतृत्व के खिलाफ है, बल्कि सेना के एक बड़े वर्ग के खिलाफ भी नाराजगी है। भारत में म्यांमार के सैकड़ों सैनिकों का आत्मसमर्पण दर्शाता है कि जुंटा की चीजों से कमान छूट रही है और मिन आंग ह्लाइंग अब वैसे नहीं दिख रहे हैं, जो वह तीन साल पहले थे।

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