कहीं मोदी सरकार के लिए खतरा न बन जाए विशेष राज्य का दर्जा?

चरण सिंह
जिसकी संभावना व्यक्त की जा रहीं थी उसी तरह का व्यवहार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ किया जा रहा है। नीतीश कुमार जब एनडीए में शामिल हुए तभी कहा जाने लगा था कि उन्हें एनडीए में लगातार अपमानित किया जाएगा। बिहार में जहां उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी अपने को नीतीश कुमार से ऊपर दिखलाते हुए बयानबाजी करते देखे जाते हैं वहीं १२ सांसद होने के बावजूद जदयू को मजबूत मंत्रालय नहीं मिले। नीतीश कुमार ढोल पीटकर कह रहे थे कि वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाएंगे। उनके सांसद रामप्रीत मंडल ने संसद में मामले को उठाया भी। पर क्या हुआ ? वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार विशेष राज्य के क्राइटरिया में नहीं आता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या यह जानकारी नीतीश कुमार को मालूम नहीं है ? ऐसे में प्रश्न उठता है कि तो फिर नीतीश कुमार बिहार के लोगों से क्यों बोलते रहे कि वह केंद्र सरकार से विशेष राज्य का पैकेज ले लेंगे।
भले ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है उसमें बिहार के लिए कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं, भले ही सड़क परियोजनाओं के लिए २६००० करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल हो। भले ही बाढ़ प्रबंधन के लिए बिहार को ११,५०० करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जाने की बात बजट में हों, भले ही इसके अलावा २१,४०० करोड़ रुपये की लागत से पीरपैंती में २४००० मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले पावर प्लांट को मंजूरी दी गई हो। भले ही तीन परियोजनाओं के लिए ५७.९ हजार करोड़ रुपये दी जाने की बात हो, भले ही इसके अलावा भी अन्य योजनाओं के लिए बिहार को सहायता मिली हो पर बिहार को विशेष राज्य न मिलने की वजह से बिहार में नाराजगी देखी जा रही है।
दरअसल नीतीश कुमार जब बीजेपी छोड़कर राजद के साथ आये थे तो कहा था कि मर जाएंगे पर बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। २०१४ में मोदी की प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का सबसे अधिक विरोध नीतीश कुमार ने ही किया था। ऐसे ही इन लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने ही मोदी के खिलाफ लामबंदी शुरू की थी। इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार ही थे। नीतीश कुमार को विश्वसनीय नेता नहीं माना जाता है। अब नीतीश कुमार कह रहे हैं अब वह कहीं नहीं जाने वाले हैं। यही वजह है कि लालू प्रसाद उनके बारे में बोलते हैं कि नीतीश कुमार के पेट में दांत हैं। ऐसे में बहुत बड़ा प्रश्न उठता है कि क्या नीतीश कुमार यह सब झेलते रहेंगे ? क्या जो कुछ बिहार को मिला है उस पर खुश होकर वह चुनाव का माहौल बनाएंगे। क्या विपक्ष बिहार को विशेष राज्य के दर्जे पर लालू प्रसाद नीतीश कुमार के विरोध में और अपने पक्ष में माहौल नहीं बनाएंगे ? क्या विशेष राज्य का दर्जा मोदी सरकार के खतरे की घंटी बनने वाला है ?

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