
मुझे नहीं मालूम कि आज वीर, प्रतापी, शौर्य और साहस के प्रतिरूप महर्षि परशुराम की जयंती है। क्योंकि मुझे उनके जन्मदिवस की जानकारी नहीं है। लेकिन समाज में आज लोग उनकी जयंती मना रहे हैं तो मुझे इसमें भी कोई आपत्ति नहीं। महर्षि परशुराम किसी एक जाति विशेष से संबंधित नहीं थे ।जब लोग उनको किसी जाति विशेष से बांध लेते हैं तो हम अपने महापुरुषों का सम्मान दूसरे समुदाय, समाज अथवा वर्ग की नजर में गिराते हैं। निश्चित रूप से महर्षि परशुराम एक महापुरुष थे। जो सभी के लिए महापुरुष हैं जो स्वयं शौर्य ,वीरता तथा साहस की प्रतिमूर्ति थे। महर्षि परशुराम ने इस पृथ्वी को क्षत्रियों से 21 बार खाली नहीं किया था!! !!
यह मात्र एक भ्रांत धारणा है। ऐसा कहने से इस समाज के बहुत सारे लोग महर्षि परशुराम को महापुरुष मानने में संकोच करेंगे बल्कि उनका सम्मान नहीं करेंगे। जो लोग यह समझते हैं कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से खाली कर दिया था, उनकी बुद्धि पर भी तरस आएगा। हम अपने महापुरुषों को ऐसी स्थिति में खड़ा कर देते हैं कि कुछ लोग सम्मान करें और कुछ लोग आ्सम्मान करें। यह एक अच्छी स्थिति नहीं है। हमारे यहां मनुस्मृति में विधान है कि यदि राजा आताताई हो जाए, अत्याचारी हो जाए ,आनाचारी हो जाए अपने क्षत्रिय धर्म का पालन न करें, प्रजा का पालन और रक्षण में कर पाए, तो ऐसे राजाओं को भी सजा दी जानी चाहिए। उन राजाओं को सजा देने की जिम्मेदारी ऋषियों की और ब्राह्मणों की होती थी। क्योंकि ब्राह्मण क्षत्रिय वर्ण से ऊपर है। ऊपर वाले को ही सजा देने का नीचे वाले पर अधिकार है।
महर्षि परशुराम के समय काल में 21 राजा यहां पर ऐसे थे जो अपने धर्म का पालन नहीं कर रहे थे उनके यहां की जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही थी उनके अत्याचारों से तंग आकर के,तब ऐसी परिस्थितियों में महर्षि परशुराम ने उन्ही 21 राजाओं को मौत के घाट उतार दिया था और जनता का उद्धार किया था। केवल 21 राजाओं को दंड देने की बात इतिहास में है जिसको अतिशयोक्ति में हम यह कहते हैं कि महर्षि परशुराम ने पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियों से खाली कर दिया था। अगर हम पृथ्वी को 21 बार खाली कर देने की बात को यथावत सत्य स्वीकार कर लेते हैं हालांकि ऐसा हुआ नहीं था ,लेकिन मान ले, तो यह क्षत्रिय कहां से बच रह गए ,यह कहां से और किसने बनाए फिर जो आज पृथ्वी पर मिलते हैं। यदि हम इसको सत्य मान लें तो आज के क्षत्रिय महर्षि परशुराम को सम्मान क्यों दें? यह भ्रांत धारणा आज नहीं तो कल अथवा भविष्य में वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा कर सकती है।
हमें वर्ग संघर्ष से बचकर के एकता, प्रेम, बंधुत्व और सहअस्तित्व की भावना को धारण करना होगा तभी हम एक अच्छे और सभ्य समाज का निर्माण कर सकते हैं। क्योंकि क्षत्रियों के पूर्वजों को 21 बार पृथ्वी से समाप्त किया है ,वह व्यक्ति क्षत्रियों के दृष्टिकोण में पूजनीय कैसे हो सकता है? महर्षि परशुराम के विषय में केवल वास्तविकता को और सत्य को ऐतिहासिक तथ्य को स्वीकार करने की आवश्यकता है और भ्रांत धारणा को दूर करने की आवश्यकता है। मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है केवल सत्य को आपके पास तक पहुंचाने का मेरा उद्देश्य है। महर्षि परशुराम की जयंती पर उनको सादर नमन।
देवेंद्र सिंह आर्य