
नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव ने भारत की रणनीति को बहुआयामी दिशा में लाकर खड़ा कर दिया है। भारत की मौजूदा रणनीति सैन्य, कूटनीतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मोर्चों पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जवाबदेह ठहराना और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना है। नीचे भारत की संभावित रणनीति के प्रमुख बिंदु दिए गए हैं, जो हाल के घटनाक्रमों और उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं।
सैन्य रणनीति: सटीक और त्वरित जवाबी कार्रवाई
टारगेटेड स्ट्राइक्स और ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को नष्ट किया गया। यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘प्री-एम्प्टिव’ और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसी रणनीतियों पर जोर दे रहा है।
कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन: भारत की इस सैन्य रणनीति का उद्देश्य तेज, सीमित और गहरी घुसपैठ वाली कार्रवाइयाँ करना है, ताकि पाकिस्तान को परमाणु हथियारों का उपयोग करने का बहाना न मिले। यह रणनीति दुश्मन को चकमा देने और 50-80 किमी तक अंदर घुसकर लक्ष्य को नष्ट करने पर केंद्रित है।
रक्षा तंत्र को मजबूत करना: भारत का S-400 ट्रायम्फ जैसे उन्नत डिफेंस सिस्टम और मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में प्रभावी साबित हुआ है।
खुली छूट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को समय, लक्ष्य और कार्रवाई के तरीके चुनने की स्वतंत्रता दी है, जो दर्शाता है कि भारत भविष्य में भी आक्रामक जवाबी कार्रवाइयाँ कर सकता है।
2. कूटनीतिक रणनीति: वैश्विक समर्थन और पाकिस्तान को अलग-थलग करना
आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस: भारत ने घोषणा की है कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, जिसका जवाब उसी स्तर पर दिया जाएगा। यह नीति वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में उजागर करने का हिस्सा है।
वैश्विक समर्थन जुटाना: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस और अन्य देशों के साथ बातचीत कर भारत का पक्ष रखा है। भारत ने QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और रूस जैसे सहयोगियों से कूटनीतिक और सैन्य समर्थन हासिल किया है।
चीन को चेतावनी: भारत ने पाकिस्तान के समर्थक चीन को स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान की ओर से कोई भी सैन्य कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
पाकिस्तान को शर्मसार करना: भारत ने आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के बीच संबंधों को सबूतों के साथ उजागर कर वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुँचाया है।
3. आर्थिक और रणनीतिक दबाव
सिंधु जल संधि पर कार्रवाई: भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया और चिनाब नदी के पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर पाकिस्तान पर दबाव बनाया। हालाँकि युद्धविराम के बाद भी यह निलंबन प्रभावी रहेगा, जो पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है।
आयात-निर्यात पर रोक: भारत ने पाकिस्तान से सभी व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। पाकिस्तानी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई।
कराची पोर्ट ब्लॉक की संभावना: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत कराची पोर्ट को ब्लॉक कर सकता है, जैसा कि 1971 की जंग में किया गया था। यह पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को ठप कर सकता है।
पाकिस्तानी नागरिकों पर कार्रवाई: भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को एक सप्ताह में देश छोड़ने का आदेश दिया और पाकिस्तान सरकार के X अकाउंट को ब्लॉक किया।
4. आंतरिक अस्थिरता को बढ़ावा
बलूचिस्तान और PoK में असंतोष: भारत बलूचिस्तान, सिंध और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (PoK) में असंतोष को समर्थन देकर पाकिस्तान को अंदर से कमजोर करने की रणनीति अपना सकता है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे समूहों को अप्रत्यक्ष समर्थन इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक युद्ध: भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा, जिससे पाकिस्तान की सेना और जनता में भय और अनिश्चितता पैदा हो रही है।
5. रणनीतिक धैर्य और दीर्घकालिक पराजय
रणनीतिक धैर्य: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को तत्काल सैन्य कार्रवाइयों के साथ-साथ दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिए, जिसमें पाकिस्तानी सेना को अपमानित करना और पाकिस्तानी जनता को यह समझाना शामिल है कि भारत के खिलाफ हथियारों की होड़ निरर्थक है।
सभ्यतागत और वैश्विक बढ़त : भारत अपनी सभ्यतागत जड़ों, रणनीतिक संस्कृति और वैश्विक समर्थन का उपयोग कर पाकिस्तान को दीर्घकाल में पराजित करने की योजना बना रहा है।
6. युद्ध विराम और भविष्य की बातचीत
वर्तमान स्थिति: 11 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की बातचीत के बाद युद्ध विराम पर सहमति बनी, जिसमें थल, जल और आकाश से हमले बंद किए गए। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ उसका सख्त रुख जारी रहेगा।
आगे की चर्चा: 12 मई को दोनों देशों के अधिकारियों ने आगे की रणनीति पर चर्चा की, लेकिन भारत ने सिंधु जल संधि और अन्य प्रतिबंधों को हटाने से इनकार कर दिया। यह दर्शाता है कि भारत बातचीत के साथ-साथ दबाव बनाए रखेगा।
7. परमाणु खतरे का प्रबंधन
पाकिस्तान की परमाणु धमकी: पाकिस्तान बार-बार परमाणु हथियारों का जिक्र करता है, लेकिन भारत की दूसरी हड़ताल (second-strike) क्षमता इसे बेअसर करती है। भारत का मानना है कि सीमित और तेज कार्रवाइयाँ परमाणु युद्ध की संभावना को कम करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता: अमेरिका और अन्य देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। भारत इस मध्यस्थता का उपयोग पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए कर सकता है।