In PediatricsSeminar on Genetics : डाउन सिंड्रोम और अन्य आनुवंशिक विकारों वाले बच्चों के प्रति दृष्टिकोण पर हुई चर्चा

नोएडा । सेक्टर 30 स्थित पोस्ट ग्रेजुएट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई)  में बाल रोग विभाग के तत्वावधान में  वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय बाल चिकित्सा में आनुवंशिकी था। सत्र के मुख्य अतिथि यूसीएमएसदिल्ली के प्राचार्य डॉ पीयूष गुप्ता  रहे।मेडिकल जेनेटिक्स के क्षेत्र से आमंत्रित वक्ताओं में डॉ सीमा कपूर (एमएएमसीदिल्ली), डॉ रजिया कदवा (हैदराबाद), डॉ भावना अग्रवाल (एम्सनई दिल्लीऔर डॉ नवजोत कौर (ताकेदाशामिल थे। वक्ताओं ने डाउन सिंड्रोमम्यूकोपॉलीसेकेराइडोसविकासात्मक देरी वाले बच्चे के प्रति दृष्टिकोणडिस्मॉर्फिक विशेषताओं वाले बच्चेचयापचय की विभिन्न जन्मजात त्रुटियों वाले लोगों के प्रबंधन जैसे विभिन्न विषयों पर बात की। डॉडी.केसिंह (डीनचाइल्ड पीजीआईने डाउन सिंड्रोम और अन्य आनुवंशिक विकारों वाले बच्चों के प्रति दृष्टिकोण को साझा किया।

सत्र में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हुए और विभिन्न देशों से लगभग 200 चिकित्सकों ने ऑनलाइन/ऑफलाइन भाग लिया। नोएडा से वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ  कर्नल डॉ आर.केथापरडॉ अरविंद गर्गडॉ रुचिरा गुप्ता और डॉ विनीत त्यागी  ने भी प्रतिभाग किया।

डॉ पीयूष गुप्ता ने पूरे भारत में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के बेहतर रोगी देखभाल और प्रशिक्षण की दिशा में संस्थान को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के लिए निदेशकब्रिगेडियर डॉ राकेश गुप्ता के प्रयासों की सराहना की। इस तरह के प्रशिक्षण सत्र  चिकित्सकों के लिए एक वरदान रहे हैं और इन दुर्लभ आनुवंशिक विकारों के शीघ्र निदान और उपचार में मदद कर रहे हैं।

ब्रिगेडियर डॉ राकेश गुप्ता ने बताया- पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी ओपीडी में लगभग 10-15 प्रतिशत बच्चों में अलगअलग आनुवंशिक चिंताएँ होती हैं। मानसिक रूप से मंद पाए गए लगभग 50% व्यक्तियों में उनकी दिव्यांगता  का आनुवंशिक आधार होता है। अधिकांश सूक्ष्म डिस्मॉर्फिक विशेषताओं को एक उचित निदान के लिए समझने की आवश्यकता होती है और आनुवंशिक परीक्षण के प्रकार को तय करने में इसका महत्व है। चयापचय की जन्मजात त्रुटियों  का यदि जल्दी निदान किया जाता हैतो मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को अपरिवर्तनीय क्षति को रोका जा सकता है। डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओं में गुणसूत्र 21 में से एक की एक अतिरिक्त प्रति होती हैमनुष्य में सामान्यतः 46 गुणसूत्र होते हैं। इन बच्चों में हल्की सी मध्यम बौद्धिक अक्षमता होती है। इन सीमाओं के बावजूदऐसे बच्चे बुनियादी विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं यदि परिवार और चिकित्सकों द्वारा उचित देखभाल की जाए।

डॉगुप्ता ने बताया  डाउन सिंड्रोम की घटना काफी सामान्य है  इसलिए उपचार और रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी है। डबल मार्करएनआईपीटी और चौगुनी स्क्रीनिंग टेस्ट जैसे विभिन्न एयूप्लोइडी स्क्रीनिंग टेस्ट की मदद से गर्भवती में भ्रूण में डाउन सिंड्रोम के जोखिम का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके साथ<span lang=”HI” style=”font-size:11.5pt;line-height:115%;font-family:”Mangal”,serif;mso-ascii-theme-font:minor-bidi;mso-h

  • Related Posts

    मोटापे को निमंत्रण देती बदलती जीवनशैली
    • TN15TN15
    • March 8, 2025

    अस्वास्थ्यकर खाने की आदतें, अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों,…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    पाकिस्तान की चौतरफा घेराबंदी कर रहा है भारत 

    • By TN15
    • May 14, 2025
    पाकिस्तान की चौतरफा घेराबंदी कर रहा है भारत 

    हरौली के होनहारों का कमाल : 12वीं बोर्ड में 100% परिणाम

    • By TN15
    • May 14, 2025
    हरौली के होनहारों का कमाल : 12वीं बोर्ड में 100% परिणाम

    विजय शाह के खिलाफ दर्ज होगा देशद्रोह का मुकदमा ?

    • By TN15
    • May 14, 2025
    विजय शाह के खिलाफ दर्ज होगा देशद्रोह का मुकदमा ?

    सीटू व जन नाट्य मंच ने नाटक के माध्यम से 20 मई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की तैयारी

    • By TN15
    • May 14, 2025
    सीटू व जन नाट्य मंच ने नाटक के माध्यम से 20 मई को होने वाली देशव्यापी हड़ताल की तैयारी

    पाकिस्तान ठहरा कुत्ते की दुम, नहीं कर पाएगा सीजफायर का पालन!

    • By TN15
    • May 14, 2025
    पाकिस्तान ठहरा कुत्ते की दुम, नहीं कर पाएगा सीजफायर का पालन!

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    • By TN15
    • May 14, 2025
    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक