Farmers Movement : दिल्ली में घुस किसानों ने किया शक्ति प्रदर्शन 

चरण सिंह 

जिन किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया जा रहा था। उन किसानों ने दिल्ली में महापंचायत कर शक्ति प्रदर्शन किया। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हुई इस महापंचायत में 400 संगठनों के भाग लेने का दावा किया जा रहा है। केंद्र सरकार के खिलाफ किसान महापंचायत में संकल्प पत्र लाया गया। किसानों ने निर्णय लिया है कि नौ दिन बाद गांव-गांव में आंदोलन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरुनाम चढ़ुनी ने कहा है कि यह तो किसानों ने  शक्ति प्रदर्शन किया है। सरकार किसानों को जो कमजोर मानकर चल रही थी, उसे बता दिया कि किसान कमजोर नहीं है। आगे की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की कोर टीम निर्णय लेगी कि मांगें मनवाने के लिए आंदोलन का स्वरूप कैसा बनाया जाए।

दरअसल शंभू बोर्डर किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर चल रहे किसान आंदोलन को देखते हुए किसानों को दिल्ली में न घुसने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था। दिल्ली कूच को लेकर किसानों और पुलिस के बीच शंभू बॉर्डर पर झड़पे भी देखने को मिली। किसानों द्वारा लाई गई जेसीबी की भी आलोचना हुई। शंभू बॉर्डर पर चार किसानों के दम तोड़ने की भी बात सामने आई। 26 फरवरी को हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च भी निकाला गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने 14 मार्च को देश की राजधानी दिल्ली में महापंचायत रखी थी। इस महापंचायत को अनुमति नहीं मिल रही थी। कल ही इस पंचायत को अनुमति मिली। पर ट्रैक्टरों और हथियार लाने पर रोक थी। किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया।

दरअसल किसानों का आरोप है कि वह तो उन मांगों को लेकर ही आंदोलन कर रहे हैं जो मांगें सरकार ने मान ली थी। केंद्र सरकार पर किसानों का आरोप है कि उनके साथ वादाखिलाफी की गई है। किसानों की मांगें मुख्य रूप से एमएसपी गारंटी कानून है। किसानों की कर्ज माफी, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने समेत बिजली बिल संशोधन की वापसी, लेबर कोड रद्द किये जाने, मनरेगा के काम 200 दिन मिले,  600 रुपये दिहाड़ी आदि हैं।
किसानों के सामने अपनी मांगें मनवाने के साथ ही यह भी बड़ी चुनौती है कि एनसीआर में दिल्ली बॉर्डर पर जाम लगने का जिम्मेदार किसान आंदोलन को ठहरा दिया जाता है। अभी हाल ही में किसान आंदोलन चल रहा था कि शंभू बॉर्डर पर और दिल्ली बार्डर पर लगने वाले जाम के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहरा दिया जा रहा था। दरअसल किसान दिल्ली में न घुस पाएं। इसलिए दिल्ली के सभी बार्डर को सील कर दिया गया था।
कंक्रीट की दीवारें बना दी गई थीं। दिल्ली बॉर्डर जाम किया था दिल्ली पुलिस ने और बदनाम किये जा रहे थे किसान बेचारे। जो किसान रात दिन मेहनत कर लोगों का पेट पालता है। जब किसान को अन्नदाता कहा जाता है। जिन किसानों के सम्मान में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। जिन किसानों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाते थे। उन किसानों को आज की तारीख में बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
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