भारत के सिंधु समझौते रद्द होने के बावजूद सामान्य रूप से बह रही नदियां, सैटेलाइट इमेज से मिली जानकारी  

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इस्लामाबाद/नई दिल्ली। जिस तरह से सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली जा रही हैं कि पाकिस्तान को जाने वाली नदियां सूख गई हैं। ऐसा कुछ नहीं है। ये नदियां सामान्य रूप से बह रही हैं। यह जानकारी इंडिया टुडे की OSINT टीम के सरकारी आंकड़ों और सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण में पाया गया है। दरअसल कश्मीर के पहलगाम में बीते महीने हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अहम कई कदम उठाए हैं। इनमें पाक नागरिकों का वीजा रद्द करने, बॉर्डर बंद करने, हवाई स्पेस बंद करने और सिंधु जल समझौता तोड़ने जैसे फैसले शामिल हैं। इनमें खासतौर से सिंधु जल संधि (IWT) को लेकर कई तरह के दावे हैं।

भारत में सोशल मीडिया पर इस समझौते के टूटने की वजह से पाकिस्तान में नदियां सूख जाने की बात कही जा रही है। वहीं पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर आरोप लगा रहे हैं कि भारत ने अचानक पानी छोड़ दिया है, जिससे पीओके और कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। दोनों ही ओर के दावों में सच्चाई नहीं है। इन सब दावों के बावजूद इंडिया टुडे की OSINT टीम ने सरकारी आंकड़ों और सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण में पाया है कि नदियों की स्थिति में हालिया दिनों में कोई फर्क नहीं आया है। विश्लेषण से पता चला है कि IWT के तहत पाकिस्तान को आवंटित नदियां- सिंधु, चिनाब और झेलम 30 अप्रैल तक उसी तरह बह रही थीं, जैसे वह पहलगाम हमले से पहले थीं। हालांकि भारत की ओर से हाइड्रोलॉजिकल डाटा ना देने से पाकिस्तान के सिंचाई सिस्टम और बाढ़ प्रबंधन पर असर पड़ सकता है।

पाकिस्तान को जाने वाला पानी फिलहाल सामान्य तरीके से बह रहा है लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि IWT पर भारत की ओर से लिए गए फैसले का कोई असर नहीं होने जा रहा है। रिपोर्ट कहती है कि भारत की ओर से पाकिस्तान को पानी छोड़ने के बारे में डाटा नहीं दिया जाएगा तो पाक में सिंचाई का सिस्टम गड़बड़ा जाएगा। इससे वहां खेती के साथ-साथ बाढ़ को रोकने की व्यवस्था पर भी असर होगा।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने भी सैटेलाइट से सिंधु समझौते के तहत आने वाली नदियों की तस्वीरें ली हैं। इससे पता चला है कि IWT निलंबन के बाद नदियों में पानी के बहाव में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत में बने आखिरी बांधों- झेलम नदी पर उरी बांध, चिनाब पर बगलीहार बांध और सिंधु पर नीमू बाजगो बांध में पानी का बहाव सामान्य है। इसी तरह पाकिस्तान में इन नदियों पर बने पहले बांधों- मंगला, मराला और जिन्ना बैराज में भी पानी सामान्य तरीके से बह रहा है।

फिलहाल पानी रोकना मुमकिन नहीं

भू-विश्लेषक राज भगत का कहना है कि नदियों को नियंत्रित करना आसान नहीं है। इसके लिए बड़े बांधों और नहरों की जरूरत होती है। इसमें काफी समय, संसाधन और बजट लगता है। फिलहाल भारत के पास ऐसा कोई व्यवस्था नहीं है कि वह पश्चिमी नदियों (पाकिस्तान को जानी वाली नदियां) के पानी को रोक दे। फिलहाल पानी ऐसे ही बह रहा है, जैसे बह रहा था।

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