
दूसरी ओर, सिद्धारमैया ने घटना को “बड़ा हादसा” मानते हुए मृतकों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे और घायलों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने स्वीकार किया कि स्टेडियम की क्षमता 35,000 थी, लेकिन 2-3 लाख लोग जुट गए, जिसे कोई अनुमान नहीं लगा सका। उन्होंने एक मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं, जिसे 15 दिनों में रिपोर्ट देनी है।
डीके शिवकुमार ने माफी मांगी, कहा कि “हमने ऐसी भीड़ की उम्मीद नहीं की थी” और कार्यक्रम को 10 मिनट में समेट दिया गया। उन्होंने BJP पर हादसे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। BJP का कहना है कि सरकार ने पुलिस की अनुमति के बावजूद आयोजन को जबरदस्ती करवाया और सुरक्षा इंतजामों में चूक की। तेजस्वी सूर्या ने इसे “कांग्रेस नेताओं का पारिवारिक आयोजन” करार दिया। इस बीच, कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की है।
यह घटना और इसके बाद का सियासी घमासान दर्शाता है कि सुरक्षा और आयोजन की योजना में बड़ी चूक हुई, जिसे लेकर दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।