August Revolution : जब गांधी जी अख्तियार कर लिया था भगत सिंह का रूप : देवेंद्र अवाना 

August Revolution : आज फिर से अगस्त क्रांति आंदोलन की जरूरत : देवेंद्र गुर्जर, अगस्त क्रांति पर आयोजित विचार गोष्ठी में भारतीय सोशलिस्ट मंच ने लिया अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय 

नोएडा। सेक्टर 11 स्थित भारतीय सोशलिस्ट मंच के प्रदेश कार्यालय पर अगस्त क्रांति पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एक पदयात्रा का भी आयोजन किया। गोष्ठी की अध्यक्षता संगठन के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र अवाना और संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह राजपूत ने किया। अगस्त क्रांति के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर मंच के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र अवाना ने कहा कि अगस्त क्रांति में गांधी के मन में अंग्रेजों के प्रति इतना गुस्सा था कि उन्होंने करो या मरो का नारा दे दिया था। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने भारत से समर्थन मांगा था और वादा किया था कि युद्ध के बाद वे देश को आज़ाद का देंगे पर जब अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ने भारत छोड़ो आंदोलन से दूरी बनाकर रखी थी। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन इतना आक्रामक था कि आंदोलनकारियों से निपटने के लिए अंग्रेजों ने पहली बार सेना को सड़कों पर उतार दिया था। अंग्रेजी सेना की 57 बटालियनों ने देश के तमाम हिस्सों में दमन चक्र चलाया था। इन सैनिकों ने तमाम महिलाओं के साथ बदसलूकी की, दुराचार किया। देवेंद्र अवाना ने कहा कि अगस्त क्रांति में गांधी जी बहुत उद्विग्न थे। स्वभाव के विपरीत तल्ख भी थे। यह भी कहा जा सकता है कि भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी भगत सिंह बन गए थे। अगस्त क्रांति में सारे फैसले जनता के हाथ में थे।

सारे प्रतिबंधों और सुरक्षा इंतजामों को धता बताकर अरूणा आसफ़ अली ने बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में 9 अगस्त की सुबह तिरंगा फहराकर ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी। हड़ताल, धरना, प्रदर्शन, बहिष्कार के साथ शहरों से शुरू आंदोलन अगस्त के मध्य में सुदूर गांवों तक पहुंच गया, किसान-मजदूर घरों-खेतों से निकल पड़े।गौतमबुद्धनगर के जिला अध्यक्ष देवेंद्र गुर्जर ने कहा कि अगस्त क्रांति में छात्र-युवक सब सड़कों पर थे. छोटे-छोटे बच्चे ” करो या मरो” और “अंग्रेजों भारत छोड़ो” के नारे लगाते सड़कों-गलियों में घूम रहे थे रेलवे स्टेशन, डाकघर, थाने फूंके गए। रेल पटरियाँ काट दी गईं. तार-खम्भे उखाड़ फेंके गए।

ब्रिटिश सत्ता के प्रतीक चिन्हों पर लोगों का गुस्सा फूटा। अनेक स्थानों पर अपनी सरकारों की स्थापना हुई। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया-ऊषा मेहता ने गुप्त रेडियो स्टेशन चलाया था।  उसके प्रसारण ने हलचल मचा दी। गिरफ्तारी के पहले ऊषा ने सभी उपकरण नष्ट कर दिए। वह तीन साल जेल में रहीं लेकिन यंत्रणाओं के बाद भी किसी साथी का नाम नही बताया। लोक नायक जयप्रकाश नारायण और उनके कुछ साथी हजारीबाग जेल से फरार हो गए और भारत-नेपाल सीमा पर छापामार लड़ाई छेड़ी। उन्होंने कहा कि अंग्रेज इस नागरिक आंदोलन को पूरी सख्ती से कुचलने में लगे थे। जनता से निपटने के लिए पहली बार सेना को सड़कों पर उतार दिया गया। उसकी 57 बटालियनों ने देश के तमाम हिस्सों में दमन चक्र चलाया था। 16 और 17 अगस्त को दिल्ली में 47 स्थानों पर सेना-पुलिस ने गोलियों चलाईं गई थी।

उत्तर प्रदेश में 29 स्थानों पर पुलिस-सेना की फायरिंग में 76 जानें गईं, सैकड़ों जख्मी हुए।मैसूर में सिर्फ एक प्रदर्शन में सौ से अधिक लोग शहीद हुए। पटना में एक सरकारी भवन पर तिरंगा फहराने के दौरान आठ छात्रों को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया था। लगभग सभी बड़े शहरों में सैकड़ों स्थानों पर सेना-पुलिस ने फायरिंग कर हजारों जानें ले ली थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बीजेपी राज में अराजकता का माहौल है, यह अंग्रेजों के दमन चक्र को याद दिला रहा है। ये लोग अंग्रेजी हुकूमत की तरह सरकार चला रहे हैं। अब देश में फिर से अगस्त क्रांति जैसे आंदोलन की जरूरत है। इस मौके पर नरेंद्र शर्मा, रामवीर यादव,जिलाध्यक्ष देवेन्द्र गुर्जर,विक्की तंवर,रजजे गुर्जर,सतीश अवाना,मेहराजुद्दीन उस्मानी,अरविंद चौहान,एल के मिश्रा, दाता राम पाल,हीरा लाल बलिया,मनोज अवाना,पवन शर्मा, हेमंत अवाना,सतीश शर्मा, मनोज प्रजापति, मौ यामीन,गौरव मुखिया,उस्मान भड़ाना,फिरोज,
राजेंद्र,प्रियांशु चौधरी,सूरज,आदि मौजूद रहे।

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