
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रखा है। सुनवाई 20 मई 2025 को मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7 दिन में जवाब दाखिल करने और याचिकाकर्ताओं को 5 दिन में प्रत्युत्तर देने का निर्देश दिया था। अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित थी, लेकिन नवीनतम जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।
मुख्य मुद्दों में ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति, और जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार देना शामिल था। याचिकाकर्ताओं, जैसे AIMPLB, जमीयत उलमा-ए-हिंद, और अन्य, ने तर्क दिया कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है। केंद्र सरकार ने जवाब में कहा कि यह कानून वैध है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं और कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करना।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया कि जब तक फैसला नहीं आता, वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी, और ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत घोषित संपत्तियों की स्थिति में बदलाव नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाने से गंभीर संवैधानिक मुद्दे खड़े हो सकते हैं, क्योंकि कई पुरानी मस्जिदों (14वीं-16वीं शताब्दी) के पास औपचारिक दस्तावेज नहीं हैं। फैसला आने तक स्थिति यथावत रहेगी, और कोर्ट का अंतिम निर्णय धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकारों, और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर स्पष्टता लाएगा।