अमीर नेता को कोई हक़ नहीं गरीब-अमीर के बीच बढ़ती की खाई के बारे में बोलने का  ?

चरण सिंह  
संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा के दौरान सपा मुखिया के भाषण में पीडीए और अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई मुझे महत्वपूर्ण लगी। पहले मैं पीडीए की बात कर लेता हूं। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के लोगों को यह बताएं कि आखिर समाजवादी पार्टी में उन्होंने पीडीए के लिए क्या किया है ? अखिलेश यादव ने पार्टी में पहले से ही जो नेता पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक हैं, उनको पीडीए में बांट दिया। पिछड़ों में भी यादव और उनका परिवार। अखिलेश लोगों को यह भी बताएं कि पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए उन्होंने कौन सा संघर्ष किया। योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल चल रहा है। अखिलेश बताएं कि उन्होंने कौन से समाज के लिए आंदोलन किया। अखिलेश यादव ने तो अपने कार्यकर्ता भी आंदोलन करने से रोक रखे हैं। मतलब संविधान के नाम से पीडीए उन्हें वोट दे दे बस। अखिलेश यादव नए लोगों को क्या जोड़ेंगे अपने पुराने कार्यकर्ताओं को भी याद नहीं कर पा रहे हैं।
अखिलेश यादव आजकल लोहिया, जेपी, चरण सिंह जैसी नेताओं को याद करते। न ही वह कहीं आंदोलन में जाते हैं। राहुल गांधी हाथरस हो आये। राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी को साथ लेकर संभल भी जा रहे थे पर उन्हें रोक लिया गया। अखिलेश यादव तो अपना प्रतिनिधिमंडल भेजते हैं। अखिलेश यादव अभी मुख्यमंत्री पद की बू  से नहीं निकल पा रहे हैं।
यदि कोई व्यक्ति खुद लग्जरी जिंदगी जी रहा है और कह रहा है गरीब और अमीर की खाई बढ़ती जा रही है। तो अखिलेश यादव अपने को गरीब मानते हैं या फिर अमीर। यदि समाजवाद की बात करें तो फिर सबसे पहले विरोध तो अखिलेश यादव का ही होना चाहिए। यादव परिवार की संपत्ति देख लीजिए और आम यादव परिवार की। कितना अंतर मिलेगा संपत्ति में।
मतलब न कोई आंदोलन करो। न एक डंडा खाओ। न जेल जाओ। बस बीजेपी को गलियाने  से देश में समाजवाद आ जाएगा। दरअसल अखिलेश यादव का संगठन को चलाने का तरीका एक व्यापारी की तरह है। मुलायम सिंह यादव समय समय पर अपने जिलाध्यक्षों से बात कर कर लेते थे। क्या अखिलेश यादव भी अपने कार्यकर्ताओं से बात कर पाते हैं। उत्तर न में ही आएगा।
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