
नई दिल्ली। ऐसे ही बीकानेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं कहा है कि उनकी रगों में खून नहीं बल्कि गरम सिन्दूर बह रहा है। जिस तरह से पुलवामा आतंकी हमले के बाद बाराकोट सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में बाराकोट स्ट्राइक को खूब भुनाया गया था और प्रचंड बहुमत के साथ एनडीए ने सरकार बनाई थी। ऐसे ही बिहार विधानसभा चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर को भुनाया जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर अहम् मुद्दा हो सकता है। परेशान सिंदूर, जिसे भारतीय सेना ने 6-7 मई \को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले के रूप में अंजाम दिया, का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ सकता है।
राष्ट्रवाद का मुद्दा और बीजेपी की रणनीति
राष्ट्रवाद का उभार: ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राष्ट्रवाद के एक मजबूत प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। पहलगाम हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2025 को बिहार की धरती से आतंकियों को कड़ी सजा देने का ऐलान किया था। इस ऑपरेशन की सफलता, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए, को बीजेपी बिहार चुनाव में एक प्रमुख मुद्दा बनाने की योजना बना रही है।
चुनावी अभियान: बीजेपी इस ऑपरेशन की सफलता को जनता के बीच ले जाने के लिए तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रही है। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में ये यात्राएं गांवों, कस्बों और शहरों में निकाली जा रही हैं, ताकि राष्ट्रवाद की भावना को भुनाया जा सके।
सर्वेक्षण के नतीजे: एक सर्वे के अनुसार, 66% लोग मानते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान को सबक सिखाने में पूरी तरह सफल रहा, जिससे पीएम मोदी की लोकप्रियता और भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है। यह बीजेपी के लिए सकारात्मक माहौल बना सकता है।
विपक्ष की स्थिति और रणनीति
विपक्ष की चुप्पी: ऑपरेशन सिंदूर के बाद, बिहार में विपक्षी दल जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, और जनसुराज ने सरकार पर हमला करने से परहेज किया है। पहले हमलावर रहे विपक्षी नेताओं के सुर बदल गए हैं, क्योंकि वे 2019 की बालाकोट स्ट्राइक के दौरान सबूत मांगने की गलती से सबक ले चुके हैं, जिसने बीजेपी को राजनीतिक लाभ दिलाया था।
कांग्रेस का हमला: हालांकि, कांग्रेस ने ऑपरेशन को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं, जैसे कि ऑपरेशन को अचानक रोकने का कारण और पाकिस्तान को पहले से सूचना देने की बात। उसने चार आतंकियों के जिंदा होने का दावा करते हुए ऑपरेशन को “अधूरा” बताया है। यह रणनीति बीजेपी के राष्ट्रवाद के दावे को कमजोर करने की कोशिश है, लेकिन सर्वे में 57% लोगों ने इन सवालों को राजनीति से प्रेरित माना।
सोशल मीडिया पर पोस्टर वॉर: बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक्स पर पोस्टर वॉर छिड़ी है, जिसमें बीजेपी ने राहुल गांधी को “मीर जाफर” कहा, जबकि कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए सीजफायर को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया।
जाति और राष्ट्रवाद का टकराव
जातिगत समीकरण: बिहार में चुनाव पारंपरिक रूप से जातिगत समीकरणों पर आधारित रहे हैं। बीजेपी और एनडीए इस बार एससी, ओबीसी, ईबीसी और महादलित समुदायों से ज्यादा उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहे हैं, साथ ही 243 विधानसभा सीटों की जातिवार मैपिंग भी कर रहे हैं।
राष्ट्रवाद बनाम जाति: पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में मतदाताओं का मिजाज राष्ट्रवाद की ओर झुक सकता है, जिससे जातिगत समीकरण कम प्रभावी हो सकते हैं। यह बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वह मजबूत स्थिति में है।
चुनाव स्थगित होने की संभावना
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि भारत-पाक तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के कारण बिहार विधानसभा चुनाव को टाला जा सकता है। राष्ट्रवाद का माहौल और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे चुनावी समय को प्रभावित कर सकते हैं।
सोशल मीडिया और जनता की धारणा
सोशल मीडिया पर चर्चा: एक्स पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि बीजेपी ने ऑपरेशन सिंदूर का इस्तेमाल बिहार और बंगाल चुनावों में माहौल बनाने और पीएम मोदी की छवि सुधारने के लिए किया, लेकिन यह रणनीति उलटी पड़ गई। हालांकि, ये दावे असत्यापित हैं और इन्हें सावधानी से देखा जाना चाहिए।
जनता का समर्थन: सर्वेक्षणों से पता चलता है कि जनता ने ऑपरेशन सिंदूर को व्यापक समर्थन दिया है, जिससे बीजेपी को चुनावी लाभ मिलने की संभावना है।