जब हर दो दिन बाद अपने बैलों को आधा-आधा किलो घी पिलाता था किसान

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके, यह आम चलन था।
जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं, यह सब अभी 25-30 वर्ष पूर्व तक होता रहा ।
उस जमाने का देशी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है। और उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था।
टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है।
हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी।
सब आस्तिक थे। दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।
बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था।
बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था, मरने तक उसकी सेवा होती थी।
उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है,अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें,कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ??
जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था।
माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे।
पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।
वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था,वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था
वह सचमुच अतुल्य भारत था

  • Related Posts

    सोशलिस्ट पार्टी इंडिया में उठी प्रेम सिंह को फिर से सक्रिय करने की मांग 

    डाॅ. अम्बेडकर पर खुला सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का राष्ट्रीय कार्यालय, पार्टी के अध्यक्ष अधिवक्ता थम्पन थॉमस ने किया उद्घाटन    द न्यूज 15 ब्यूरो  नई दिल्ली। डाॅ. अम्बेडकर की जयंती पर 14…

    “गोबर, गुस्सा और विश्वविद्यालय की गिरती गरिमा”

    गोबर का जवाब: जब शिक्षा की दीवारों पर गुस्सा पुता हो। गोबर के पीछे सरकार: विज्ञान, शिक्षा और विवेक का अपहरण डॉ. सत्यवान सौरभ जिस देश में बच्चों के हाथों…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में आतंकवादी विरोधी मोर्चा ने फूंका पाक का पुतला 

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में आतंकवादी विरोधी मोर्चा ने फूंका पाक का पुतला 

    भारतीय सोशलिस्ट मंच ने मुर्शिदाबाद हिंसा के विरोध में सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    भारतीय सोशलिस्ट मंच ने मुर्शिदाबाद हिंसा के विरोध में सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा ज्ञापन

    समाजसेवी सह निगम पार्षद रोहित सिकारिया ने जॉय सॉफ़्टी कॉर्नर का फीता काट कर किया उद्घाटन

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    समाजसेवी सह निगम पार्षद रोहित सिकारिया ने जॉय सॉफ़्टी कॉर्नर का फीता काट कर किया उद्घाटन

    “पहलगाम हमला: कब सीखेंगे सही दुश्मन पहचानना?”

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    “पहलगाम हमला: कब सीखेंगे सही दुश्मन पहचानना?”

    अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी : पहलगाँव की घाटी में इंसानियत की हत्या

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी : पहलगाँव की घाटी में इंसानियत की हत्या

    “अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी”

    • By TN15
    • April 23, 2025
    • 0 views
    “अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी”