Noise Pollution: सावन का महीना, पवन “क्यों” करे ‘शोर’!

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 Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली दुनिया में 27वें स्थान पर!

Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

किसी वस्तु से उत्पन्न होने वाले सामान्य आवाज़ को ध्वनि कहते हैं। और जब उसी ध्वनि की तीव्रता (Intensity) ज्यादा हो और सुनने वाले को अच्छी ना लगे तो उसे शोर कहते हैं। शोर यानी Noise, Noise यानी  Noise Pollution। लेकिन जब बात Noise Pollution की होती है तो शायद उसे हम गंभीरता से नही लेते है। इसी लापरवाही का नतीजा है कि आज शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर पाया गया है। दिल्ली को लगातार बीमार कर रहा है ये शोर। हाई ब्लड प्रेशर, कान की बीमारियां, मानसिक बीमारियां और चिड़चिड़ापन, इन सब बीमारियों का एक बड़ा कारण है शोर। यही वजह है कि दिल्ली में इसे गंभीरता से लेने की बेहद जरूरत है।

क्यों बढ़ रहा दिल्ली में शोर?

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राजधानी दिल्ली में जितना ध्यान वायु प्रदूषण पर दिया जाता है उतना ही ध्यान ध्वनि प्रदूषण पर भी देने की जरूरत है। शोर बढ़ने का एक सबसे बड़ा कारण है लगातार बढ़ती गाड़ियां। साठ फीसदी से भी अधिक Noise Pollution गाड़ियों के हॉर्न, टायर, प्रेशर हॉर्न, इंजन और Modified Silencer से होता है। आज दिल्ली में 70 लाख से भी अधिक Registered गाड़ियां सड़कों पर चलती है, और लाखों की तादात में NCR और अन्य क्षेत्रों से भी Registered गाड़ियां आती-जाती है, जिससे होने वाले शोर का आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है।

Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

दिल्ली की सकड़े जितनी ही छोटी है, उन पर उतना ही शोर है। लोगों का मानना है कि दिल्ली की सड़को का चौड़ा ना होना भी एक कारण है गाड़ियों के शोर का। दिल्ली की सड़कों की चौड़ाई फिलहाल लगभग सात फीसदी है, जबकि दिल्ली जैसे शहरों की सड़कें इलाके के कुल क्षेत्रफल की बीस से तीस फीसदी के बीच होनी चाहिए। सड़कों के लंबे होने की वजह से, शोर को रोकने के लिए Sound Barriers लगवाना भी संभव नहीं है।

 इतना शोर कैसे कर रहा है लोगों पर असर!

Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

हमारी सुनने की क्षमता 90 Decibels तक होती है। रिहायशी और शांत इलाको में इतना शोर असहनीय होता है। ENT Specialist डॉक्टरों के अनुसार 85 डेसिबल से ज्यादा कोई भी शोर हमारी सुनने की क्षमता कम कर सकता है। WHO के अनुसार हमें 60 डेसिबल तक ही आवाज़ सुननी चाहिए, 85 डेसीबल से अधिक की आवाज़ अगर 8 घंटे से अधिक सुनी जाए तो इंसान बहरा भी हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार एकाग्रता की कमी होना, हाई ब्लड प्रेशर, चिड़चिड़ापन होना, पल्स रेट बढ़ना से सारी बीमारियों को मुख्य कारण शोर ही है लेकिन मरीज ये समझ ही नही पाते है।

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 कैसे कम कर सकते है ये शोर!

इन दिनों दिल्ली सरकार हर तरह के प्रदूषण को काबू करने में जुटी हुई है, इन तरीकों से किया जा सकता है शोर पर Control। दिल्ली के सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषित इलाकों की पहचान करके उन्हें मॉनिटरिंग स्टेशन के तौर पर तैयार करना होगा। ऐसे स्टेशन से म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, यातायात विभाग, ट्रैफिक पुलिस और पुलिस थाने के साथ वहां होने वाले शोर के आंकड़े रोजाना शेयर करने होंगे। इसी हिसाब से सभी विभागों को शोर कम करने की कोशिश शुरू करनी होगी।

Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

सड़कों की बेहतर बनाना होगा, हॉर्न का कम से कम इस्तेमाल, शांत इंजन और टायर वाली गाड़ियों का इस्तेमाल करना होगा, पटाखों से होने वाले शोर के बारे में लोगों को जागरूक करना और गैर जरूरी तरीके से हॉर्न बजाने वालों और मॉडिफाइड साइलेंसर इस्तेमाल करने वालों पर सख्त कार्रवाई करना होगा धार्मिक स्थलों पर माइक या लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कम करना, डीजे और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर नियंत्रण।

 

सरकार ने लिए Noise Pollution नियंत्रित करने के लिए कठोर फैसले

राजधानी दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण के नियमों के अनुपालन के लिए एनजीटी (National Green Tribunal) की एक कमेटी ने दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की सलाह दी है। कमेटी ने अनावश्यक हॉर्न बजाने और मॉडिफाइड साइलेंसर के उपयोग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का सुझाव दिया हैं। प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना, No Honking Zone में हॉर्न बजाने पर 2 हजार रुपए का जुर्माना लिया जाएगा। एनजीटी का मानना है कि एक बार में किसी एक फैसले से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोक पाना संभव नहीं है। इसके लिए लंबे समय तक काम करने वाली रणनीति पर काम करना होगा।

Noise Pollution नियंत्रित करने के लिए कठोर फैसले
Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

Authority ने कहा कि वाहनों के शोर को कम करने के वैकल्पिक उपायों जैसे पेड़ लगाना, जागरूकता, टायर और वाहनों की मरम्मत, वाहनों की गति में कमी, सड़कों की स्थिति के साथ ही पटाखे और अन्य शोर करने वाले कारकों पर मुकदमे किए जा सकते हैं।

लोगों को जागरूक करने के लिए लाया गया एक App!

लोगों को जागरूक करने के लिए लाया गया एक App!
Noise Pollution: शोर करने में दिल्ली को दुनिया में 27वें स्थान पर!

Noise Pollution बढ़ने का एक कारण लोगों में जागरूकता ना होना भी है। लोगों को जागरूक करने के लिए नीरी (National Environmental Engineering Research Institute) ने एक App Launch किया है जिससे हम घर बैठे ही अपने आस पास के शोर को पता कर सकते है। इस App का नाम Noise Tracker है ,जिसे आप प्ले स्टोर से Download कर सकते है। इस App के जरिये आप अपने फोन के Microphone का इस्तमाल कर शोर माप सकते है। अब तक 10 हजार से भी ज्यादा लोग इसे Download कर चुके हैं।

 

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