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मुजफ्फरपुर में ज़कात सेंटर इंडिया का आयोजन

 गरीबी मुक्त समाज के लिए सामूहिक ज़कात प्रणाली पर चर्चा

मुजफ्फरपुर: ज़कात सेंटर इंडिया, मुजफ्फरपुर की ओर से नवाब रोड में एक विशेष सभा का आयोजन किया गया। इसमें आम नागरिकों के साथ प्रोफेशनल्स, डॉक्टर्स, प्रोफेसर्स, व्यवसायियों, महिलाओं और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। सभा का मुख्य विषय था “सामूहिक ज़कात प्रणाली – गरीबी मुक्त और आत्मनिर्भर समाज के लिए सामूहिक प्रयास”।

कार्यक्रम में ज़कात सेंटर इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. अमीनुल हसन ने ज़कात की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह इस्लाम में एक अनिवार्य इबादत है, जो पूंजीपतियों पर चैरिटी टैक्स के रूप में लागू होती है। उन्होंने ज़कात को एक संगठित प्रणाली के तहत संग्रहित और वितरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने भी इस बात पर चिंता व्यक्त की कि हर साल अरबों रुपये ज़कात दी जाती है, लेकिन संगठित प्रणाली के अभाव में इसका पूरा लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाता।

ज़कात सेंटर इंडिया, मुजफ्फरपुर के सचिव सय्यद अहमद ने संस्था की उपलब्धियों और पिछले दो वर्षों में किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि बेरोजगार युवाओं को आर्थिक सहायता, गरीब विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप, परित्यक्त एवं विधवा महिलाओं को पेंशन और असफल कारोबारियों को पूंजी देकर मदद पहुंचाई गई है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. महमूदुल हसन ने की, जबकि संचालन अशरफुल हक और धन्यवाद ज्ञापन हामिद हुसैन ने दिया। सभा में ज़कात सेंटर इंडिया मुजफ्फरपुर के सक्रिय कार्यकर्ता इरशाद हुसैन, मोहम्मद हैदर, मीडिया प्रभारी मोहम्मद इश्तेयाक, सरफराज आलम, हस्साम तारीक सहित 500 से अधिक लोग उपस्थित थे।

इससे पूर्व, स्थानीय माड़ीपुर में शहर के बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. अमीनुल हसन ने सुझाव दिया कि पूरे शहर में एक साथ काम करने की बजाय, कुछ चिन्हित स्लम क्षेत्रों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाए ताकि इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखे और यह एक प्रेरणादायक उदाहरण बने। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज़कात का धन किसी व्यक्ति विशेष या संस्था का नहीं होता, बल्कि इसे संगठित तरीके से समाज के जरूरतमंद लोगों तक पहुँचाना अनिवार्य है।

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