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आप के कीचड़ में बिखर गई झाड़ू और खिल गया कमल !

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चरण सिंह

दिल्ली के इन विधानसभा चुनाव में दिल्ली का कीचड़ साफ करते करते झाड़ू की तिल्ली बिखर गई और इसी कीचड़ में कमल खिल गया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की कोई तिकड़म गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी की सधी हुई रणनीति के सामने कोई काम न आई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में आकर यमुना की गंदगी का मुद्दा उठाकर केजरीवाल के तम्बू में आखिरी कील ठोकने का काम किया। दिल्ली में अब बीजेपी की सरकार बनने के साथ ही अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह का जेल जाना तय माना जा रहा है। इन तीनों दिग्गजों के जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी टूट जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।  बीजेपी ने 27 साल का वनवास को खत्म करते हुए दिल्ली पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है।

केजरीवाल एंड टीम को मुंह की खानी पड़ी। केजरीवाल की इससे बड़ी हार नहीं हो सकती कि नई दिल्ली से वह खुद ही चुनाव हार गए, उनके सिपेहसालार मनीष सिसोदिया जंगपुरा और सत्येंद्र जैन शकूरबस्ती से औंधे मुंह गिरे हैं। केजरीवाल को पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह के बेटे प्रवेश वर्मा ने हराया है तो मनीष सिसोदिया को तरविंदर सिंह मारवाह ने शिकस्त दी है। सत्येंद्र जैन को करनैल सिंह ने परास्त किया है। देखने की बात यह है कि पीएम मोदी ने शुरुआती रैली में ही आम आदमी पार्टी को आप दा कहकर यह संकेत दे दिया था कि इन चुनाव में केजरीवाल एन्ड टीम की विदाई होने जा रही है। जब चुनाव प्रचार थोड़ा आगे बढ़ा तो पीएम मोदी ने झाड़ू की तिल्लियों के बिखरने की बात कर बीजेपी की जीत पक्की कर दी थी। उत्तर के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो दिल्ली में आकर केजीरवाल एन्ड टीम का काम ही तमाम कर दिया। उन्होंने यमुना की गंदगी का मुद्दा उठाकर कहा कि मैं तो अपने 54 मंत्रियों के साथ महाकुंभ में डुबकी लगाकर आया हूं। केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ यमुना में डुबकी लगाकर दिखाएं।

पीएम बनने एक बाद हर चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के दिन आध्यत्मिक यात्रा पर निकलने वाले पीएम मोदी ने 5 फरवरी महाकुंभ में जो डुबकी लगाई उसका भी असर मतदान पर पड़ा। मोदी के डुबकी लगाने के बाद तो दो बजे से जो मतदान ने जोर पकड़ा ऐसा लगा कि जैसे इन मतदाताओं बीजेपी को जिता दिया हो। शराब घोटाला भी केजरीवाल एन्ड टीम को ले डूबा। भले ही वह अपने को कट्टर ईमानदार बोलते रहे पर उनके साथ ही मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के जेल जाने के बाद लोगों का उन पर से विश्वास उठ गया। जमीनी हकीकत तो यह है कि अरविंद केजरीवाल इन विधानसभा चुनाव में दिल्ली के लोगों को लालच में न ले सके। अपने विधायकों के टिकट काटना भी उनको भारी पड़ गया। उनके विधायकों ने भी उनको हराने और बीजेपी को जिताने में अहम् भूमिका निभाई।

इन चुनाव में जब केजरीवाल ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि संविधान लिखने वाले योगेंद्र यादव, बड़े रणनीतिकार रहे कुमार विश्वास, फंडिंग कराने वाले प्रशांत कुमार आज भी उनके दोस्त हैं। उनका पार्टी में स्वागत है। मतलब उनको सामने अपनी हार दिखाई दे रही थी तभी तो उन्हें अपने पुराने संघर्ष के साथी याद आने लगे थे। अरविंद केजरीवाल इन विधानसभा चुनाव में फ्री की योजनाओं पर दिल्ली को रिझा न सके। उनका महिलाओं को 2100 रुपए देने का वादा काम न आ सका। फ्री का बिजली और पानी भी साथ न दे सका। पुजारियों को भी 18000 रुपए प्रतिमाह देने के वादे पर विश्वास न किया गया। यह भी कह सकते हैं कि अब दिल्ली के लोगों को वह बेवकूफ न बना सके।