चरण सिंह
उत्तर प्रदेश भाजपा में जो चल रहा है वह बीजेपी को गर्त में ले जा रहा है। केशव प्रसाद मौर्य जिस तरह से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लामबंदी कर रहे हैं और केंद्रीय नेतृत्व कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यह कहीं न कहीं केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर हो रहा है। हां यह जरूर कहा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ इस घेराबंदी से टस से मस नहीं हो रहे हैं। यह योगी आदित्यनाथ की दृढ़ता ही रही कि जो नेता केशव प्रसाद मौर्य के साथ योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लामबंदी कर रहे थे, उनमें से संजय निषाद भी योगी आदित्यनाथ से मिले हैं। केशव प्रसाद मौर्य को एहसास करने के लिए योगी आदित्यनाथ केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू विधानसभा सीट से हराने वाली विधायक पल्लवी पटेल से मिले हैं। पल्लवी पटेल से योगी आदित्यनाथ की मुलाकात से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नीति आयोग की मीटिंग में भाग लेने दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली में उनकी मुलाकात पीएम मोदी से होगी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि पीएम मोदी उत्तर प्रदेश में हस्तक्षेप कर केशव प्रसाद मौर्य प्रकरण को शांत करवा सकते हैं।
कल प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य पर शिकंजा कसा जा सकता है? ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि केशव प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के साथ लामबंदी कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है ? क्या केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को निपटाना चाहता है। ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि योगी आदित्यनाथ की घेराबंदी का दुष्प्रभाव उप चुनाव पर नहीं पड़ेगा? या फिर उत्तर प्रदेश में ऐसा कौन सा नेता है जो योगी आदित्यनाथ की जगह ले सके। केशव प्रसाद मौर्य तो खुद हारे हुए नेता हैं। ऐसे में यदि उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाता है तो संदेश गलत नहीं जाएगा ? तो फिर बीजेपी में कौन सा नेता है जो उत्तर प्रदेश संभाल सकता है। योगी आदित्यनाथ की तरह अपने दम पर सरकार बनवा सकता है। लोकसभा में ६२ सीटें जितवा सकता है। वैसे भी योगी आदित्यनाथ ने दो बार लगातार मुख्यमंत्री बनकर उत्तर प्रदेश में इतिहास रचा है। वैसे भी आरएसएस का हाथ योगी आदित्यनाथ के सिर पर बताया जा रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाना मुश्किल है।
दरअसल पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) की विधायक हैं। वह समाजवादी पार्टी के समर्थन से विधायक बनी हैं। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अखिलेश यादव से बगावत कर पीडीएम बना लिया था। यह पीडीएम उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर बनाया। हालांकि लोकसभा चुनाव में उन्हें खास सफलता नहीं मिली है। पल्लवी पटेल की बहन अनुप्रिया पटेल अपना दल से मिर्जापुर से सांसद हैं। पल्लवी पटेल और अनुप्रिया पटेल के बीच ३६ का आंकड़ा बताया जाता है। वैसे भी केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही अनुप्रिया पटेल भी ओबीसी आरक्षण को लेकर योगी आदित्यनाथ को घेर रही हैं। ऐसे में पल्लवी पटेल न केवल केशव प्रसाद मौर्य बल्कि अनुप्रिया पटेल की काट बताई जा रही है।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण बदलेगी योगी की पीएम मोदी से मुलाकात!
