मोदी सरकार के गलत फैसलों का खामियाजा उठाना पड़ सकता है योगी आदित्यनाथ को !

चरण सिंह राजपूत
त्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही विपक्ष की मुख्य पार्टी समाजपार्टी ने योगी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन न किया हो, भले ही रालोद विपक्ष की भूमिका में कहीं दिखाई न दिया हो पर रालोद सपा गठबंधन भाजपा को  कांटे की टक्कर देने जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या योगी सरकार से उत्तर प्रदेश की जनता बहुत नाराज है। यदि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की बात करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए किये गये प्रयास से बड़े स्तर पर लोग प्रभावित हैं। उत्तर प्रदेश में राहजनी, छेड़छाड़ जैसे मामलों में कमी आने की बात करते लोग कहते सुने जा सकते हैं।  हालांकि प्रदेश में पुलिस के खुद के कानून व्यवस्था को हाथ में लेने के कई मामले भी सामने आये हैं। फिर भी योगी सरकार ने मुख़्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे बाहुबलियों को जेल में भेजकर एक अच्छा सन्देश तो दिया है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार पर भले ही एक विशेष धर्म को टारगेट बनाने के आरेाप लगे हों पर योगी ने अपने कार्यकाल में एक ईमानदार और मेहनती मुख्यमंत्री की छवि जरूर बनाई है।
यह अपने आप में में प्रश्न है यदि मुख्यमंत्री ईमानदार और मेहनती है तो फिर विपक्ष में दिखाई न देने वाली पार्टियां फाइट में कैसे आ रही हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के खिलाफ जो माहौल है योगी सरकार के कम मोदी सरकार के गलत फैसलों की वजह से बना है। योगी सरकार ने गन्ने पर 25 रुपए बढ़ाकर काफी हद तक किसानों की नाराजगी को कम किया है। किसान योगी से कम और मोदी से अधिक नाराज हैं। चाहे नये कृषि कानूनों को लेकर किया गया आंदोलन हो, महंगाई का मुद्दा हो या फिर युवाओं पर बेरोजगारी की मार। ये मुद्दे मोदी सरकार की वजह से उत्तर प्रदेश केे चुनाव में हावी होने वाले हैं।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को मनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भी किसानों का बीजेपी के खिलाफ पैदा हुआ गुस्सा कम नहीं हुआ है। मोदी सरकार के खिलाफ किसानों के गुस्से का सबसे बड़ा कारण ७०० से अधिक किसानों का आंदोलन में दम तोड़ना और मोदी सरकार का उनके प्रति कोई सहानुभूति न दिखाना है। किसानों को जो नक्सली, देशद्रोही, नकली किसान और आतंकवादी बोला गया है। वह पीड़ा किसान दिल से लगाये बैठे हैं। किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से होने वजह से भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के भाजपा के खिलाफ जाने की बात कही जा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद और सपा के गठबंधन होने से जाटों और मुस्लिमों के इस गठबंधन के पक्ष में लामबंद होने के आसार बन रहे हैं। यदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जाट और मुस्लिम लामबंद हो गये तो भाजपा को विधानसभा चुनाव में भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 136 विधानसभा सीटें हैं। चुनाव की शुरुआत भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही होती है। चुनाव का माहौल भी इसी क्षेत्र से होती है। यह वह क्षेत्र है जहां से जो पार्टी बढ़त बनाती है वही सरकार बनाने में सफल होती है। यही वजह है कि पश्चिमी यूपी में योगी आदित्यनाथ विशेष ध्यान दे रहे हैं। वैसे भी गत विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी इस क्षेत्र से काफी सीटें हार गई थी। मेरठ में सात सीट में एक बीजेपी हारी थी और इस पर सपा जीती थी। इसी तरह, बागपत में एक सीट पर बीजेपी हारी और आरएलडी जीती ( हालांकि बाद में जीता विधायक बीजेपी में शामिल हो गया था), सहारनपुर में सात में तीन बीजेपी हारी, एक सपा और दो कांग्रेस जीती थी। मुरादाबाद में छह में से चार बीजेपी हारी, चारों पर सपा जीती थी। अमरोहा में चार में एक बीजेपी हारी, सपा जीती। फिरोजाबाद में चार में से एक बीजेपी हारी, सपा जीती। मैनपुरी में चार में से तीन बीजेपी हारी, सपा जीती। संभल में दो सीटें सपा से हार गई थी बीजेपी : इसी तरह बदायूं में छह में से पांच बीजेपी जीती और एक हारी, उस पर सपा जीती। संभल में चार में से दो बीजेपी हारी, वहां सपा जीती। बिजनौर में 8 में से दो बीजेपी हारी, सपा जीती। रामपुर में 5 में से 3 बीजेपी हारी, सपा जीती। शामली में 3 में से एक बीजेपी हारी, सपा जीती, हापुड़ में 3 में से एक बीजेपी हारी, बीएसपी विजयी हुई। शाहजहांपुर में 6 में से एक बीजेपी हारी, सपा जीती। मथुरा में 5 में से एक बीजेपी हारी, बीएसपी जीती। हाथरस में तीन में से एक बीजेपी हारी, उस पर बसपा जीती थी।

ऐसे में 2017 में पश्चिमी यूपी के 136 विधानसभा सीटों में से 109 सीटों पर बीजेपी काबिज रही थी, जबकि 27 सीटों पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा। इन कमजोर सीटों पर कमल खिलाने के लिए खुद योगी ने मोर्चा संभाल लिया है।  सीएम बदायूं, शामली, रामपुर, सहारनपुर, मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद जा चुके हैं। योगी की चिंता यह भी है कि 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में बीजेपी को ध्रुवीकरण का फायदा मिला था, जिसकी संभावना बहुत कम है। ऊपर से किसान आंदोलन के लम्बे चलने पर 700 से ऊपर किसानों का दम तोड़ना। किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत का चौधरी चरण सिंह की जयंती पर उनके समाधि स्थल पर रालोद  अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ दिखाई देना और आचार संहिता लगने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भूमिका के बारे में पत्ते खोलना। यह दर्शाता है कि राकेश टिकैत भी भाजपा के खिलाफ कोई रणनीति बना रहे हैं।

Related Posts

समाजवादी आंदोलन !

राजकुमार जैन संसद विधानसभाओं में समुचित प्रतिनिधित्व, सत्ता…

Continue reading
Special on Hindi Journalism Day : फेक न्यूज की आड़ में पत्रकारिता

अरुण श्रीवास्तव दशकों से संक्रमण के दौर से…

Continue reading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

किरतपुर में बिजली अच्छी आने से जनता में खुशी की लहर

  • By TN15
  • May 30, 2025
किरतपुर में बिजली अच्छी आने से जनता में खुशी की लहर

अवैध गतिविधियों पर चला प्राधिकरण का डंडा

  • By TN15
  • May 30, 2025
अवैध गतिविधियों पर चला प्राधिकरण का डंडा

पीएम से मिले शुभम द्विवेदी के परिजन 

  • By TN15
  • May 30, 2025
पीएम से मिले शुभम द्विवेदी के परिजन 

100 दिन – उत्सव नहीं, आत्ममंथन का समय

  • By TN15
  • May 30, 2025
100 दिन – उत्सव नहीं, आत्ममंथन का समय

सुरवीन चावला ने साझा किया दर्दनाक वाकया, डायरेटर ने की थी किस करने की कोशिश!

  • By TN15
  • May 30, 2025
सुरवीन चावला ने साझा किया दर्दनाक वाकया, डायरेटर ने की थी किस करने की कोशिश!

रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी!

  • By TN15
  • May 30, 2025
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी!