मुंगेर: विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु पांच दिवसीय योग शिक्षा पाठ्यक्रम कार्यशाला का आयोजन सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में किया गया। इस कार्यशाला में देशभर से 15 योगाचार्य शामिल हुए, जो योग शिक्षा के व्यापक पाठ्यक्रम को तैयार करने पर मंथन कर रहे हैं।
योग शिक्षा के समावेशी विकास पर जोर:
विद्या भारती ने पूरे देश को 11 क्षेत्रों में विभाजित किया है। इस कार्यशाला में सभी 11 क्षेत्रों से योग प्रमुख, सह-प्रमुख और अखिल भारतीय योग संयोजक मिलकर योग शिक्षा के आधुनिक एवं पारंपरिक दृष्टिकोण के संतुलित समावेश पर विचार कर रहे हैं।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्रो. रामादर्श प्रसाद सिंह (स्वामी चिन्मयानंद) ने कहा कि योग को केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति से जोड़कर पढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही, योग शिक्षा को स्कूलों, विश्वविद्यालयों और योग संस्थानों में लागू करने की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. रामादर्श प्रसाद सिंह (स्वामी चिन्मयानंद), अखिल भारतीय योग संयोजक राजेश कुमार, उत्तर बिहार के योग प्रांतीय मार्गदर्शक राजेश कुमार रंजन, दिल्ली क्षेत्र की क्षेत्रीय संयोजिका कल्पना हलधर और विद्यालय के प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया।
कार्यशाला के दौरान उड़ीसा क्षेत्र के क्षेत्रीय संयोजक मधुसूदन वशिष्ठ ने कहा,
“योग न केवल भारत की प्राचीन धरोहर है, बल्कि यह आज की जीवनशैली में मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।”
कार्यक्रम का संचालन राजेश कुमार रंजन और स्वागत संबोधन प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने किया। यह कार्यशाला योग शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी, जिससे आने वाले समय में विद्यार्थियों को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध योग शिक्षा प्राप्त होगी।